स्थानीय चुनाव में जनता ने दिखाया हांगकांग सरकार को आईना
२५ नवम्बर २०१९आखिरी मिनट तक यह दुविधा बनी हुई थी कि चुनाव आखिरकार हो पाएंगे या नहीं. हांगकांग की चीफ एग्जिक्यूटिव कैरी लाम ने कई बार यह कहा था कि अगर हिंसक प्रदर्शन जारी रहे तो चुनाव रोक दिए जाएंगे. हालांकि चुनाव के दिन शांति थी. यहां तक कि कैरी लाम खुद भी अपना वोट डाल आईं और पोलिंग स्टेशन के बाहर प्रदर्शनकारियों ने कोई नारेबाजी या प्रदर्शन नहीं किया.
रविवार को जिला परिषद के चुनावों के नतीजे इससे ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकते थे. लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों ने भारी सफलता हासिल की है जबकि सरकार समर्थक खेमे ने करारी शिकस्त का मुंह देखा है. इससे पहले कभी भी हांगकांग में इतनी बड़ी संख्या में लोग वोट डालने के लिए नहीं निकले थे. यह दिखाता है कि हांगकांग के लोगों के लिए अपनी बात कहना कितना जरूरी हो गया था.
चुनावों से पहले इस बात के लिए बड़े कयास लग रहे थे कि कई महीनों से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के लिए अब कितना समर्थन लोगों में रह गया है. खासतौर से जब दोनों तरफ से पिछले कुछ हफ्तों में भारी हिंसा हुई है. इसके बाद कोई सर्वेक्षण भी नहीं हुआ था. लेकिन जिला चुनाव के नतीजों ने साफ तौर पर इसका जवाब दे दिया है. प्रदर्शनों के अभियान के लिए अब भी लोगों का समर्थन मजबूत है. इसका साथ ही एक और बात बड़ी मजबूती से साफ हो गई है कि हांगकांग के लोग कैरी लाम और उनके कामकाज से पूरी तरह असंतुष्ट हैं.
मामूली असर
हांगकांग के भविष्य पर इन चुनावों के नतीजे का क्या असर होगा? जिला परिषदें केवल स्थानीय कामों के लिए जिम्मेदार होती हैं और राजनीति में इनका कोई खास दखल नहीं होता है. इसके साथ ही 2022 में जब हांगकांग के नए चीफ एग्जिक्यूटिव का चुनाव होगा तो इस पर भी जिला परिषद के चुनावों का बहुत मामूली असर ही होगा. इसकी वजह यह है कि शहर के नेता का चुनाव करने वाली 1,200 सदस्यों की चुनाव कमेटी में अब भी चीन समर्थक ताकतों का ही बोलबाला है.
स्थानीय चुनावों के इतने स्पष्ट नतीजों के बाद हालांकि सरकार के लिए अब यह बेहद जरूरी हो गया है कि वह हांगकांग के लोगों की मांग पर सीधे बड़े कदम उठाए. फिर भी किसी को इस बात पर यकीन नहीं है कि सचमुच ऐसा कुछ होगा या फिर कैरी लाम प्रदर्शनकारियों की सबसे प्रमुख मांग को पूरा करेंगी. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि पुलिस के अत्यधिक बल प्रयोग करने की स्वतंत्र जांच करवाई जाए.
अगर हांगकांग सरकार अब भी निष्क्रिय बनी रहती है तो ऐसे लोग जो मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से कुछ हासिल नहीं होगा उन्हें बढ़ावा मिलेगा. ऐसे में हैरानी नहीं होगी अगर हांगकांग के प्रदर्शनकारी आने वाले दिनों में हिंसा में शामिल होने की सोचें. अगर ऐसा हुआ तो हांगकांग में एक बार फिर हिंसा के वही दृश्य पैदा हो जाएंगे.
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