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स्पेन में खत्म हो गया अलगाववादी गुट

अपूर्वा अग्रवाल
४ मई २०१८

यूरोप के लिए बीता हफ्ता राहत भरा माना जा सकता है. जहां स्पेन में अलगाववादी बास्क गुट ईटीए ने स्वयं को समाप्त करने की घोषणा की तो वहीं अर्मेनिया में पिछले पंद्रह दिनों से जारी विरोध प्रदर्शन अब थम सा गया है.

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ETA Separatisten
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

स्पेन का प्रदेश बास्क कंट्री कैटेलोनिया की तरह आजादी की मांग उठाता रहा है. लेकिन अब इस प्रदेश में हथियारबंद अलगाववादी गुट ईटीए ने अपने संगठन को समाप्त करने की घोषणा की है. 2 मई को जारी अपने पत्र में ईटीए ने कहा है कि इसका मतलब यह नहीं है कि स्पेन और फ्रांस के साथ बास्क कंट्री के मतभेद और विवाद खत्म हो गए. वहीं स्पेन सरकार ने साफ किया है कि पुलिस अब भी ईटीए के सदस्यों को पीछा करना जारी रखेगी. स्पेन सरकार ईटीए सदस्यों को आंतकवादी मानती है. 2017 में इस गुट ने हथियार डाल दिए थे, साथ ही पिछले महीने अपने हमलों के पीड़ितों से माफी भी मांगी. बास्क कंट्री इकलौता ऐसा इलाका था जो स्पेन सरकार को कर राजस्व नहीं देता था. कैटेलोनिया की ही तरह इस क्षेत्र को भी तानाशाह फांक्रो के शासन में बहुत दबाया गया था. जिसके चलते आजादी के आंदोलन ने अलगावादी समूह को जन्म दिया. इस संघर्ष में पिछले 50 सालों के दौरान 800 लोग मारे गए हैं.

ब्रेक्जिट के बाद यूरोपीय संघ का पहला बजट पेश

यूरोपीय कमीशन की ओर से यूरोपीय संघ (ईयू) का साल 2021 से 2027 तक का विस्तृत बजट का मसौदा पेश किया गया. ब्रेक्जिट के चलते ईयू के सामने सबसे बड़ी चुनौती ब्रिटेन से मिलने वाले राजस्व की भरपाई की थी. नया बजट 1135 अरब यूरो का है. हालांकि अभी यूरोपीय संसद और यूरोप परिषद में इस बजट को पारित कराना होगा. बजट में शरणार्थी संकट और सीमा मुद्दों के लिए अधिक आवंटन किया गया है.

Symbolbild 1 Euro Münzen
तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/Weber

इसके साथ ही बड़ा खर्च रक्षा क्षेत्र में भी प्रस्तावित है. वहीं कृषि क्षेत्र में कटौती तो विदेशी सहायता के आवंटन में बढ़ोतरी की गई है. ईयू ने अपने बजट में "कानून के शासन" को महत्ता दी है. इसका मतलब है कि संघ के पास उस देशों के अनुदान में कटौती करने की ताकत होगी जहां सरकारें कानूनों में ऐसा बदलाव करेंगी जो कानून के शासन के खिलाफ हो. पोलैंड और हंगरी जैसे देश इससे प्रभावित हो सकते हैं.

अर्मेनिया में प्रदर्शन थमा, लेकिन आम आदमी असमंजस में

लंबे समय से विरोध प्रदर्शनों के दौर से गुजर रहा अर्मेनिया का जनजीवन अब वापस पटरी पर लौटता नजर आ रहा है. सत्ताधारी दल ने भरोसा दिलाया है कि वह प्रधानमंत्री पद के पद पर विपक्षी नेता को समर्थन देगा. सत्ताधारी रिपब्लिकन पार्टी ने कहा कि वह अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी. इसके बाद माना जा रहा है कि विपक्षी नेता निकोल पाशनियान का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है. लेकिन इसके लिए पाशनियान को संसद में एक तिहाई मतों की आवश्यकता होगी.सरकार के इस भरोसे से पाशनियान ने नेतृत्व में चल रहे प्रदर्शन तो थम गए हैं, लेकिन गरीबी और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे लोग असमंजस में हैं. लोगों को लग रहा है कि पाशनियान के प्रधानमंत्री बनने के बावजूद उनकी स्थिति जस की तस बनी रह सकती है क्योंकि संसद में बहुमत रिपब्लिकन पार्टी के पास ही है.   

Armenische Opposition organisiert neue Massenproteste: Nikol Paschinjan
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/S. Grits