स्पेन में बढ़ती बेघरों की संख्या
३० जनवरी २०१३स्पेन में 15 साल से रह रहे 62 वर्षीय फर्नांडो अब सड़कों पर रातें बिता रहे हैं. सड़क पर रहने वाले वह अकेले नहीं हैं. 2008 में स्पेन में बेघर लोगों की संख्या 11,844 थी लेकिन 2012 में यह दोगुनी बढ़ गई है. राष्ट्रीय आंकड़ों के मुताबिक 2012 में 22,238 लोग बेघर थे. हालांकि इस रिसर्च में केवल वे लोग शामिल हैं जो शरणगाहों में पनाह लेते हैं. यानी वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है.
मलागा शहर में बेघर लोगों को शरण मुहैया कराने वाली सरकारी स्ट्रीट यूनिट में काम करने वाले टोनी मार्टिन ने बताया, "कई बेघर लोग इन जगहों में रहते हैं, लेकिन कुछ यहां रहना पसंद नहीं करते. वे सड़कों पर रहते हैं और सिर्फ खाने पीने के लिए यहां आते हैं."
लोगों अलग अलग वजहों से सड़क पर रहते हैं. 45 फीसदी लोगों का कहना है कि उनकी नौकरी जाने की वजह से उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है, 26 फीसदी कहते हैं कि वे मकान का भारी किराए नहीं चुका पा रहे हैं. 20.9 फीसदी साथियों से अलग होकर और करीब 12.1 फीसदी घर से बेदखल किए जाने की वजह से सड़कों पर हैं.
नगर निगम में बेघर लोगों के लिए काम करने वाले विभाग की रोजा मार्टिनेज कहती हैं, "जो लोग पहले से गरीब थे उनके जीवन पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. आर्थिक संकट से उन लोगों पर सीधा असर पड़ा है जो गरीबी के स्तर से ऊपर रह रहे थे और अब नीचे आ गए हैं." मार्टिनेज के शरणार्थी गृह में 108 बिस्तर हैं. वह बताती हैं कि अब कई बार पूरे के पूरे परिवार ही सड़क पर दिखने लगे हैं. उन्होंने बताया, "अकसर इन जगहों में सिंगल पैरेट वाला परिवार जिसमें केवल मां और बच्चा होता है, मदद के लिए आते हैं." स्पेन में मौजूदा समय में 25 फीसदी से ज्यादा आबादी बेरोजगार है जिसमें आधे से ज्यादा युवा वर्ग है. अंतरराष्ट्रीय संगठनों का अनुमान है कि इस साल स्पेन की आर्थिक स्थिति 2012 से भी खराब होगी.
स्पेन के सांख्यिकी कार्यालय आईएनआई के मुताबिक बेघर जीवन बिता रहे लोगों में 46 फीसदी विदेशी हैं. आईएनई की रिपोर्ट में बताया गया कि सड़कों पर रह रहे लोगों में से 11.8 फीसदी उच्च शिक्षा पा चुके हैं जबकि 60.3 फीसदी के पास स्कूली शिक्षा है. कई विदेशी खास तौर पर मोरक्को के नागरिक इस बिगड़ती स्थिति में देश लौट रहे हैं. कुछ लोग 2012 में बेघर हुए हैं जबकि कई करीब तीन साल से बेघर जीवन बिता रहे हैं.
मारिटिन ने बताया, "हम इनके लिए बहुत कुछ तो नहीं कर सकते लेकिन हम इस बात का खयाल रखते हैं कि बेघर हो चुके लोगों के लिए कम से कम सफाई सुथरा जीवन मुमकिन हो." सड़कों पर जीवन बिताने वालों का पक्का पता भी नहीं होता, जिसकी वजह से उन्हें मदद में मुश्किल आती है.
एसएफ/एजेए (आईपीएस)