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स्पैक्ट्रम विवाद में सीबीआई को कड़ी फटकार

३० अक्टूबर २०१०

2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई. अदालत ने सीबीआई ने कहा है कि मामला गंभीर है और आप कुछ कर ही नहीं रहे हैं. अदालत ने केंद्र सरकार से भी जवाब देने को कहा है.

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तस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

कोर्ट ने कहा कि, लगता है कि सीबीआई जांच नहीं बल्कि उसका नाटक कर रही है. शुक्रवार को सीबीआई ने अदालत से जांच के लिए कुछ और समय मांगा. इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा, ''आपने कुछ नहीं किया है. शिकायत गंभीर किस्म की है. एक साल बीत चुका है और आप बेपरवाही से जांच कर रहे हैं. बस पैरों से जमीन खोदी जा रही है.''

जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली की बेंच ने कहा कि 15 नवंबर को अगली सुनवाई के दिन सीबीआई तैयारी करके आए. सीबीआई ने जांच के लिए जब छह महीने की मोहलत मांगी तो बेंच ने कटाक्ष भरे अंदाज में कहा, ''आपको जांच करने के लिए कितना समय चाहिए, और 10 साल?''

महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में 2जी स्पैक्ट्रम के लाइंसेंस बांटने में अनियमितताओं का जिक्र किया गया है. सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से भी जवाब देने को कहा है. सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक 2007 में लाइसेंस देने की प्रक्रिया में कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाया. लाइसेंस टेंडर प्रक्रिया के बजाए 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर दिए गए. इसकी वजह से सरकार को अरबों रुपये का नुकसान हुआ.

ऐसा नहीं था कि लाइसेंस पाने की चाह रखने वाले कम थे. लेकिन अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के चक्कर में कई अर्जियों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया. 2जी स्पैक्ट्रम पाने के लिए 100 से ज्यादा कंपनियों ने आवेदन किया था. एक लाइसेंस की फीस 1,658.57 करोड़ रुपये थी. लेकिन अनियमिताओं के चलते सरकार को सिर्फ 9,014 करोड़ रुपये ही मिले. लाइसेंस प्रक्रिया के लिए रेट भी 2001 के लिए गए. जबकि 2008 में लाइसेंस रेट का बाजार मूल्य कई गुना बढ़ चुका था. पुराने रेट के चलते सरकार को 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ.

आरोप दूरसंचार मंत्री ए राजा पर लग रहे हैं. पिछले साल सीबीआई दूरसंचार मंत्रालय के दफ्तरों पर छापे भी मार चुकी है. छापों के बाद दूरसंचार विभाग और कुछ निजी कंपनियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए.

विपक्षी पार्टी बीजेपी केंद्र सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाती है. बीजेपी का कहना है कि सरकार के इशारों पर ही सीबीआई धीमी रफ्तार से काम कर रही है ताकि केंद्रीय मंत्री ए राजा को बचाया जा सके.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा