“हज़ारों साल से आर्थिक मंदी में जीता इनसान”
२४ नवम्बर २००८जर्मन रेडियो डॉयचे वेले और दिल्ली निर्यातक समूह की ओर से प्रायोजित हास्य कवि सम्मेलन में आर्थिक मंदी का मुद्दा छाया रहा लेकिन कवियों के लिए कविता की कोई मंदी नहीं थी और दर्शकों के लिए तालियों की मंदी नहीं दिखी.
प्रगति मैदान में व्यापार मेले के सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम हास्य कवि सम्मेलन में सुरेंद्र शर्मा के अलावा वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश आदित्य और अरुण जेमिनी जैसे कवियों ने भी हिस्सा लिया. जेमिनी ने भी आर्थिक मुद्दे के विषय को छुआ और अपनी बातों से दर्शकों का मन मोह लिया. उन्होंने आर्थिक मंदी और आम भारतीयों की आदत को बड़ी ख़ूबसूरती से जोड़ा. आतंकवाद और हाल के दिनों में क्षेत्रवाद से उपजे तनाव का मुद्दा भी पूरे कवि सम्मेलन में छाया रहा और कवियों ने व्यंग्य के बीच क्षेत्रवाद के नाम पर राजनीति चमकाने वालों पर निशाना साधा. कवियत्री सुश्री सीता ने तो अपनी शानदार कविता से प्रगति मैदान के हंसध्वनि थियेटर में मौजूद हज़ारों लोगों का दिल जीत लिया.
इससे पहले जर्मन रेडियो के दक्षिण एशिया प्रमुख ग्राहम लूकस ने हिन्दी में बोलते हुए हास्य कवि सम्मेलन का उद्घाटन किया और थियेटर में मौजूद हज़ारों लोगों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया.
उधर, सुरेंद्र शर्मा ने हर बार की तरह इस बार भी अपनी बातों से समां बांध दिया. उन्होंने कहा कि किस तरह 50 करोड़ की लागत से बनने वाली फ़िल्म देखने कोई ढाई-तीन घंटा नहीं बैठ पाता और किस तरह कुछ कवियों को सुनने के लिए ठंड में हज़ारों लोग तीन घंटे तक बैठे रहे. ज़ाहिर तौर पर उनका इशारा कविता और भारतीय भाषा को ज़्यादा महत्व देने की अपील करना था.