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इतिहास

हजारों साल पहले यूरोप में भी खाई जाती थी समुद्री घास

१८ अक्टूबर २०२३

यूरोपवासी समुद्री खर पतवार, घास या जलीय पौधों को अपने आहार का हिस्सा कम ही बनाते हैं. रिसर्चरों का कहना है कि यह समुद्री खरपतवार मध्ययुग के आखिरी हिस्से तक यूरोपीय लोगों के भोजन का मुख्य हिस्सा थी.

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समुद्री घास में भरपूर पोषण होता है
इस्तांबुल के तटों पर पानी के नीचे मौजूद समुद्री घासतस्वीर: Sebnem Coskun/AA/picture alliance

पुरातत्वविदों ने जलीय पौधों को फिर से भोजन में शामिल करने की अपील की है. समुद्री घास या फिर खर पतवार वास्तव में प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत हैं. जापान समेत कई देशों में यह भोजन का मुख्य हिस्सा है.

हालांकि पश्चिमी देशों के पारंपरिक भोजन से इसे बहुत पहले बाहर कर दिया गया था. वेल्श पकवान लेवरब्रेड जैसे कुछ व्यंजन अपवाद सरीखे ही हैं.

पहले यह समझा जाता था कि खेती का उभार होने के बाद यूरोपीय लोगों ने समुद्री घास का इस्तेमाल सिर्फ ईंधन, खाद या फिर मवेशियों के चारे के रूप में किया. अकाल के दिनों में भी भूख मिटाने के लिए इसका इस्तेमाल हुआ. यही सोच आगे बढ़ती गई.

यूरोप के लोग हजारों साल पहले समुद्री घास को भोजन के रूप में खाते थे
पश्चिमी फ्रांस की एक लैब में सीवीड के नमूनेतस्वीर: FRED TANNEAU/AFP

हजारों साल पहले खाते थे यूरोपवासी

हाल ही में द जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है कि यूरोपवासी समुद्री घास को उसके बाद भी खा रहे थे. इस रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि यूरोप को यह पोषक आहार फिर से अपनाना चाहिए.

प्राचीन काल में समुद्री घास के उपयोग के बारे में पता लगाने के लिए ब्रिटेन के रिसर्चरों की एक टीम ने 74 लोगों के दांतों के हिस्सों का अध्ययन किया. ये लोग हजारों साल पहले स्कॉटलैंड से लेकर स्पेन तक में 28 जगहों पर रहे थे.

कार्बनिक यौगिकों की पहचान के लिए मास स्पेक्ट्रोमेट्री तकनीक का इस्तेमाल कर उन्होंने इस बात के सबूत जुटा लिए हैं कि इन दातों ने कई तरह के जलीय पौधों को चबाया था.

लाल समुद्री घास को स्कॉटलैंड के उत्तर में ओर्केनी द्वीपों पर 5000 साल पहले तक खाया जाता था. स्टडी में पता चला है कि इसे दक्षिणी स्पेन के कासा कोरोना में 8,000 साल पहले तक खाया जाता था. पोटैमोगेटॉन जैसे ताजे पानी के जलीये पौधे को तो पुर्तगाल, स्कॉटलैंड और लिथुआनिया में खाया जाना बहुत आम बात थी.

 समुद्री घास का भोजन में इस्तेमाल यूरोप में बहुत पहले होता था
सीवीड किसान समुद्र तट से लाने के बाद घास की क्वालिटी परख रहे हैंतस्वीर: LOIC VENANCE/AFP

खेती शुरू होने के बाद गुम हुई घास

ग्लासगो की स्कॉटलैंड यूनिवर्सिटी में पुरातत्वशास्त्री कारेन हार्डी इस रिसर्च रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया है कि जलीय पौधों को बहुत लंबे समयांतराल में खाए जाने की बहुत संभावनाए हैं, जितना इस स्टडी में पता चला है उससे कहीं ज्यादा. 

यूरोपीय लोगों के बारे में पहले यह माना जाता रहा है कि 10 हजार साल पहले कृषि का उभार होने के बाद उन्होंने समुद्री घास की ओर से अपना ध्यान हटा लिया था.

हालांकि इस बारे में हुई ज्यादातर रिसर्चों में ध्यान केवल कृषि उत्पादन पर रहा है. ऐसे में संभव है कि समुद्री घास पर ध्यान गया ही ना हो जो आसानी से उपलब्ध था और खाया जा सकता था.

इस तरह के चिप्स अब यूरोप में भी बिकने लगे हैं
जापान में बिकने वाली समुद्री घास की सेंकी हुई शीटतस्वीर: cc_GNU1.2

रिसर्च रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि समुद्री घास को स्थानीय रूप से हासिल किया जा सकता है. इसके उत्पादन में कार्बन का उत्सर्जन कम है और इसके लिए बड़े पैमाने पर खेती की जरूरत नहीं होती.

हार्डी ने कहा, "यह सेहतमंद है, पोषक है, उपलब्ध है और अक्षय है. लोग इसे यूरोप में पहले खाते रहे हैं" हार्डी का मानना है कि भविष्य में ऐसा फिर हो सकता है. वैसे यूरोपीय देशों के एशियन स्टोर में समुद्री घास के बने चिप्स खूब बिकते हैं.

एनआर/सीके (एएफपी)