फ्रांस ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन पर बैन लगाया
२७ मई २०२०फ्रांस की सरकार ने कोविड-19 मरीजों के इलाज में विवादित दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के उपयोग पर बैन लगा दिया है. प्रतिबंध लगाने से पहले फ्रांस के दो सलाहकार संस्थानों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दवा को लेकर चेतावनी दी थी कि कई अध्ययनों में इसे संभावित रूप से खतरनाक भी पाया गया है. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल आर्थेराइटिस और ल्यूपस जैसी बिमारियों के इलाज में किया जाता है.
कोरोना वायरस के फैलते प्रकोप को देखते हुए कई डॉक्टरों ने दवा की सलाह दी इसके बावजूद कि इस दवा के कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता के आकलन के लिए शोध का अभी तक अभाव है. इन डॉक्टरों में संक्रामक बीमारियों के एक फ्रांसीसी विशेषज्ञ भी हैं जिन्होंने पिछले सप्ताह अपनी सरकार को ही ये बता कर चौंका दिया कि वो खुद हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन ले रहे थे, कोविड-19 से सुरक्षात्मक उपाय के रूप में.
लेकिन फ्रांस के नए नियमों के तहत, इस दवा का अब सिर्फ कोरोना वायरस के खिलाफ क्षमता की जांच करने के लिए क्लीनिकल ट्रायल में उपयोग किया जा सकता है. इससे ये स्पष्ट नहीं होता कि यही फ्रांसीसी डॉक्टर दिदिएर राओल मार्सेल में स्थित अपने अस्पताल में इसका इस्तेमाल जारी रख पाएंगे या नहीं. राओल पहले ही लांसेट मेडिकल पत्रिका में पिछले हफ्ते छपी एक अध्ययन की व्यापक रिपोर्ट को खारिज कर चुके हैं. इस अध्ययन में पाया गया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन या इससे जुड़े हुए कंपाउंड क्लोरोक्विन को देने से कई मरीजों में मृत्यु का खतरा बढ़ गया.
इस दवा का मलेरिया के इलाज में भी उपयोग किया जाता है. इसे फ्रांस की दवा कंपनी सनोफी प्लैकवेनिल ब्रांड नाम से बेचती है. सनोफी ने प्रस्ताव दिया था कि अगर अध्ययनों में साबित हो पाया कि इस दवा का कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है तो वो इसके लाखों डोज सरकारों को दे देगी. फ्रांस के इस कदम से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन पर विवाद और गहरा गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसका समर्थन कर चुके हैं और यह भी कह चुके हैं कि वो इसका नियमित सेवन भी कर चुके हैं. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन इसका समर्थन नहीं कर रहा है और इसके इस्तेमाल के बारे में चेतावनी दे रहा है. वहीं, अमेरिका की तरह भारत ने भी कोरोनावायरस के खिलाफ इसके इस्तेमाल को समर्थन दिया है. भारत के सर्वोच्च बायोमेडिकल शोध संस्थान आईसीएमआर ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि इसके कोई बड़े साइड इफेक्ट नहीं हैं.
सीके/एए (एएफपी)
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