हाइड्रोजन वाले भविष्य के लिए अंधेरे में तीर चला रहा जर्मनी
२३ सितम्बर २०२१जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार ने अपने बनाए अंतिम कानूनों में से एक की मई में घोषणा कर सबको चौंका दिया था. अपनी उदासीन पड़ी जलवायु साख को चमकाने की कोशिश में उन्होंने जर्मनी को तय लक्ष्य से पांच साल पहले ही यानी 2045 तक कार्बन न्यूट्रल बनाने की घोषणा की. बर्लिन मानता है कि डीकार्बनाइजेशन की इस योजना में इलेक्ट्रिक गाड़ियों जैसे सामान्य बदलावों से इतर हाइड्रोजन भी केंद्रीय भूमिका निभाएगा.
मैर्केल की सरकार ने जून, 2020 में एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन रणनीति प्रस्तुत की, जिसका उद्देश्य "उन सेक्टरों में जलवायु संरक्षण को संभव बनाना था, जहां ऐसा किया जाना कठिन है." जैसे- स्टील निर्माण, निर्माण, हवाई यातायात और जहाजों से होने वाला भारी परिवहन.
पर्यावरण मंत्री स्वेन्या शुल्से ने रणनीति पेश करते हुए कहा, "इनमें भी कार्बन न्यूट्रैलिटी "संभव है क्योंकि 'ग्रीन हाइड्रोजन' हल बन सकता है." उन्होंने सिर्फ पवन, सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन बनाने के जर्मन लक्ष्य के संदर्भ में यह बात कही.
इस योजना में हाइड्रोजन के विश्वसनीय, किफायती और टिकाऊ उत्पादन और इसके परिवहन और भंडारण के लिए एक गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाना है. जिसके लिए सरकार शुरुआत में 7 बिलियन यूरो या 8.2 बिलियन डॉलर की मदद देगी और अतिरिक्त 2 बिलियन यूरो अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के जरिए विदेशों से हाइड्रोजन के आयात को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित रखे जाएंगे.
दरअसल सरकार ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन उपकरण लाने की कोशिश कर रही है, जिससे 2030 तक 5 गीगावाट क्षमता और साल 2040 तक और 5 गीगावाट अतिरिक्त क्षमता हासिल की जा सके. आसान भाषा में कहें तो 5 गीगावाट क्षमता से ग्रीन हाइड्रोजन पांच परमाणु रिएक्टर की संयुक्त शक्ति के बराबर ऊर्जा पैदा करता है, और यह लिथुआनिया की साल भर की ऊर्जा जरूरत के बराबर है.
पर्यावरण सुरक्षा के पाले में सभी राजनीतिक दल
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि जर्मनी की ग्रीन पार्टी कार्बन उत्सर्जन मुक्त इस अभियान को दिल खोलकर समर्थन दे रही है. जलवायु परिवर्तन पर लोगों की बढ़ती चिंता के बीच ग्रीन पार्टी पर्याप्त शक्तिशाली है कि वह सितंबर के आम चुनावों के बाद इस एक्शन प्लान को बढ़ावा दे सके. चाहे वह गठबंधन में छोटी सहयोगी बनकर ऐसा करे या सरकार से बाहर रहकर.
यह योजना सोशल डेमोक्रेट्स और सीडीयू/सीएसयू की वर्तमान सरकार की ही दिमागी उपज है. इस नाते अगर कंजरवेटिव ब्लॉक की इन पार्टियों से कोई जर्मन चांसलर बना तो उसके ग्रीन हाइड्रोजन योजना से पीछे हटने की संभावना नहीं होगी.
हालांकि धुर दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी इस मामले में अलग है. फिलहाल उसके साथ कोई भी पार्टी गठबंधन नहीं करना चाहती. जिससे बिजनेस समर्थक लिबरल फ्री डेमोक्रेट्स (FDP) जर्मनी में ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर मुख्यधारा की सोच से बाहर हो जाती है. गैस के स्रोत की बात आने पर एफडीपी ने 'नई तकनीकी को स्वीकार करने वाला' बने रहने की प्रतिबद्धता जताई है. ऐसे में लिबरल लोग मायने रखते हैं क्योंकि पहले की कई सरकारों की तरह वे इस साल भी किंगमेकर बन सकते हैं.
ग्रीन बनाम ब्लू, ग्रे और टरक्वाइज
फिलहाल जर्मनी की सारी हाइड्रोजन 'ग्रे हाइड्रोजन' है, जिसे जीवाश्म हाइड्रोकार्बन्स का इस्तेमाल कर बनाया जाता है. यह अपेक्षाकृत कम खर्चीली है, क्योंकि ग्रीन हाइड्रोजन के मुकाबले इसका दाम करीब पांच गुना कम है. हरा रंग पर्यावरण के लिए सबसे अनुकूल हाइड्रोजन की निशानी है क्योंकि इसे नवीकरणीय ऊर्जा की मदद से इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए बनाया जाता है और इसे बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन से मुक्त होती है.
फिर ब्लू हाइड्रोजन आती है, जिसे जीवाश्म गैस से बनाया जाता है लेकिन इसे कम कार्बन वाला माना जाता है क्योंकि यह कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को जमीन के नीचे दबाने के लिए कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (CCS) तकनीकी का इस्तेमाल करती है. और अंतत: टरक्वाइज हाइड्रोजन है, जिसका निर्माण नैचुरल गैस पाइरोलिसिस का इस्तेमाल कर किया जाता है. यह एक ऐसी विधि है जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड पैदा होने के बजाए ठोस कार्बन पैदा होता है.
जर्मनी के लिबरल लोगों की तरह ईयू कमीशन ने भी सभी चार तरह के हाइड्रोजन को कार्बन न्यूट्रैलिटी हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना है. उनका कहना है कि हाइड्रोजन बाजार को शुरुआती चरण में आगे बढ़ाने के लिए जीवाश्म आधारित हाइड्रोजन और इसकी कार्बन स्टोरेज क्षमता की जरूरत होगी.
बहस में गहमागहमी भी
हालांकि जर्मनी के ग्रीन हाइड्रोजन रोडमैप ने राजनेताओं, बिजनेसमैन और शिक्षाजगत में एक जीवंत बहस खड़ी कर दी है. एनर्जी कंपनी ई.ऑन की एक वरिष्ठ अधिकारी काथरीना राइषे मानती हैं कि अगले कुछ सालों में "विकल्प ग्रीन और ब्लू हाइड्रोजन नहीं होंगे बल्कि ब्लू हाइड्रोजन और कोयला होंगे." राइषे ने यह बयान जर्मन हाइड्रोजन काउंसिल की चेयरवुमन के तौर पर दिया. यह काउंसिल बिजनेस, सिविल सोसाइटी और पर्यावरणीय समूहों के 25 विशेषज्ञों का एक समूह है, जिन्हें सरकार की ओर से राष्ट्रीय रणनीति की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया है.
जुलाई, 2020 में राइषे ने एक काउंसिल रिपोर्ट पेश की थी जिसने ब्लू हाइड्रोजन का जोरदार समर्थन किया गया था. इसमें कहा गया था कि अकेले ग्रीन हाइड्रोजन जर्मन उद्योगों को डीकार्बनाइज करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. और यह हाइड्रोजन मार्केट को एकमात्र स्रोत (नवीकरणीय स्रोतों) तक सीमित कर देगी. "ऐसा करके यह फायदे के बजाए नुकसान ज्यादा करेगी."
हालांकि पर्यावरण समूहों ने सरकार के पर्यावरण को केंद्र में लाने के कदम का स्वागत किया है. बुंड इंवायरमेंटल एनजीओ की वेरेना ग्रेचेन ने डीडब्ल्यू को बताया कि जीवाश्म गैस पर आधारित हाइड्रोजन को पर्यावरण संरक्षण के मामले में "ग्रीन हाइड्रोजन के समान नहीं माना जा सकता." हाइड्रोजन काउंसिल का एक सदस्य होने के नाते ग्रेचेन रिपोर्ट में भी एक असहमति की आवाज रही हैं.
जलवायु थिंक टैंक ई3जी के एक रिसर्चर फेलिक्स हाइलमन ने डीडब्ल्यू को एक ईमेल में बताया, सरकार की मान्यता है कि केवल ग्रीन हाइड्रोजन ही टिकाऊ है, "जो पिछले दरवाजे से लंबे समय तक जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में बने रहने के खतरे को कम करती है."
बड़े स्तर पर कामकाज
जर्मनी की वर्तमान हाइड्रोजन खपत सालाना 55 टेरावाट घंटे (TWh) है और इसका उत्पादन पैटर्न दुनिया के बाकी हिस्सों के समान ही है, जिसका उत्पादन दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह ही प्राकृतिक गैस का उपयोग कर किया जाता है. विशेषज्ञों का आकलन है कि प्लान के मुताबिक 2030 तक हाइड्रोजन के उत्पादन में 5 गीगावाट की बढ़ोतरी इसे केवल 14 टेरावाट घंटे बढ़ा सकेगी. जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उस समय तक हाइड्रोजन की मांग 90-110 टेरावाट घंटे तक पहुंचने का अनुमान है.
सिस्टम अनेलिस्ट ओलिवियर गुइलन और होल्गर हंसेल्का जर्मन हेल्महोल्त्स एसोसिएशन के लिए भविष्य की हाइड्रोजन मांग और इससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की मॉडलिंग कर रहे हैं. शोध संगठनों की वेबसाइट पर प्रकाशित एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आदर्श तो यही रहेगा कि मांग का लगभग आधा घरेलू सौर और पवन ऊर्जा से पैदा किया जाए लेकिन इसके लिए पहले नवीकरणीय बिजली उत्पादन की क्षमता को अगले दशक में चौगुना करना की जरूरत होगी.
अपनी नीति की घोषणा के बावजूद सरकार को हाइड्रोजन योजना की सीमाओं की जानकारी है और वह उत्तरी यूरोप के साथ ही स्पेन और उत्तरी अफ्रीका के बहुत से पवन और सौर ऊर्जा उत्पादक देशों के साथ आयात साझेदारी स्थापित करने का प्रयास कर रही है. संभावनाओं का एक एटलस विकसित किया जा रहा है ताकि ऐसे इलाकों को खोजा जा सके, जो हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात के लिए सबसे उपयुक्त हों.
जर्मन उद्योग जगत भी हाइड्रोजन अभियान की तेजी की बराबरी करने की उम्मीद कर रहा है और सरकारी फंडिंग का लाभ पाने के लिए लगभग 20 अरब यूरो की 60 से ज्यादा परियोजनाएं शुरू कर चुका है. ताकि वह उन योजनाओं का लाभ ले सके, जिनका सरकार की ओर से वादा किया गया है. लेकिन फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्रीज (बीडीआई) के प्रमुख सिगफ्रीड रूसवुर्म निवेश कर रहे लोगों को यह चेतावनी देना जरूरी समझते हैं कि निवेश "मनमाने नहीं होने चाहिए."
रूसवुर्म ने एक जर्मन रेडियो स्टेशन डॉयचलैंडफुंक से कहा, "हमें एक रणनीति की जरूरत है... और हम गारंटी चाहते हैं कि संभावित नए प्लांट संचालन के लिए पर्याप्त हाइड्रोजन की सप्लाई कर सकें. अगर यह सुनिश्चित नहीं किया गया, तो भविष्य में इसके लिए कोई निवेश नहीं आएगा."