11 हजार वैज्ञानिकों ने की जलवायु आपातकाल की घोषणा
६ नवम्बर २०१९पर्यावरण को लेकर दुनिया को अब गंभीर रूप से कदम उठाने की जरुरत है. भारत के उत्तरी राज्यों में हाल के दिनों में जिस तरह का प्रदूषण देखने को मिला उससे वहां की सरकार, सर्वोच्च न्यायालय और आम जनता पर्यावरण को लेकर गहरी चिंता में डूब गई. अब दुनिया भर के 11 हजार वैज्ञानिकों ने जलवायु आपातकाल की घोषणा की है.
मंगलवार को बायोसाइंस पत्रिका में एक रिसर्च रिपोर्ट छापी गई है. जलवायु आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर करने वाले वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट में लिखा है, "वैज्ञानिकों का यह नैतिक दायित्व है कि वे किसी भी ऐसे संकट के बारे में स्पष्ट रूप से आगाह करे जिससे महान अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा हो. "
वैज्ञानिकों की इस रिसर्च का नेतृत्व करने वाले ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता विलियम रिपल और क्रिस्टोफर वुल्फ लिखते हैं, "वैश्विक जलवायु वार्ता के 40 सालों के बावजूद हमने अपना कारोबार उसी तरह से जारी रखा और इस विकट स्थिति को दूर करने में असफल रहे हैं."
वैज्ञानिक चेतावनी देते हुए कहते हैं, "जलवायु संकट आ गया है और वैज्ञानिकों की उम्मीदों से कहीं अधिक तेजी से यह बढ़ रहा है."
वैज्ञानिकों की चेतावनी को गंभीरता से लेने की जरूरत
वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए 6 व्यापक कदम उठाने के सुझाव दिए हैं.
इस घोषणा पर हस्ताक्षर करने वाले वैज्ञानिकों ने जीवाश्म ईंधन की जगह उर्जा के अक्षय स्रोतों का इस्तेमाल, मीथेन गैस जैसे प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करना. धरती की पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित करना, पौधे आधारित भोजन का इस्तेमाल करना और जानवर आधारित भोजन कम करना, कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था को विकसित करना और जनसंख्या को कम करना शामिल है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु को लेकर जिस तरह से चिंता जाहिर की गई है उससे वे प्रभावित हुए हैं. शुक्रवार को पर्यावरण को लेकर छात्रों के प्रदर्शन और जमीनी स्तर पर अभियान से वे उत्साहित हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है,"विश्व के वैज्ञानिकों का गठबंधन होने के नाते, हम फैसले लेने वाले नेताओं को हर स्तर पर मदद करने को तैयार हैं. मानवता को भी पृथ्वी ग्रह पर जीवन बनाए रखने के लिए कार्य करना होगा, क्योंकि हमारा एक ही घर है और वह पृथ्वी है."
एए/एनआर (डीपीए)
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