14 साल के बच्चों को अपनी पहचान तय करने का हक
१ दिसम्बर २०१८चिली में बने नए कानून के मुताबिक 14 साल की उम्र के बच्चों को अपनी पहचान से जुड़े आधिकारिक दस्तावेजों में अपना नाम और लिंग बदलने का अधिकार होगा. पांच साल की लंबी बहस के बाद देश की संसद ने यह कानून पास किया है.
राष्ट्रपति सेबास्टियान पिनेरा कहते हैं कि इस कानून से 'बहुत ज्यादा पूर्वाग्रहों वाले समाज' में 'भेदभाव' खत्म होगा.
उन्होंने कहा, "सब लोगों के अधिकार और गरिमा बराबर है और इसलिए वे अपनी जिंदगी के खुद निर्माता हैं." नए कानून के तहत 18 साल से ज्यादा उम्र के ट्रांसजेंडर रजिस्ट्रार के दफ्तर में जाकर दस्तावेजों में अपना लिंग बदलवा सकते हैं.
जिन लोगों की उम्र 14 से 18 साल के बीच है, उन्हें इसके लिए अपने माता पिता या फिर अभिभावक की अनुमति लेनी होगी.
क्या है एलजीबीटी, जानिए
इंटिग्रेशन एंड होमोसेक्सुअल लिबरेशन मूवमेंट नाम के संगठन के नेता रोनाल्डो हिमेनेज कहते हैं, "हम एक बड़ा ऐतिहासिक कदम उठा रहे हैं, जिससे ट्रांसजेंडर लोगों के जीवन की गुणवत्ता सुधरेगी."
उनका मानना है, "पहचान का अधिकार बुनियादी अधिकार है जिसे माना जा रहा है. हम में से ज्यादातर लोगों को जन्म से यह अधिकार होता है, लेकिन ट्रांसजेंडर लोगों से यह अधिकार उनके जन्म के साथ ही छीन लिया जाता है."
हिमेनेज कहते हैं कि नए कानून का विस्तार करने की जरूरत है ताकि इसमें 14 साल से कम उम्र के लोगों को शामिल किया जा सके. उनके मुताबिक, "यह स्पष्ट तौर पर मानवाधिकार का हनन है और उम्मीद है कि इसे ठीक कर लिया जाएगा."
चिली में लैंगिक पहचान के अभियान को 2017 की एक फिल्म से गति मिली. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल रही 'ए फैंटेस्टिक वुमन' नाम की इस फिल्म में ट्रासजेंडर अभिनेत्री डानिएला वेगा ने काम किया था.
पहली बार इस बिल को 2013 में लाया गया था, जिसका कैथोलिक बहुल देश चिली में चर्च के साथ साथ कंजरवेटिव पार्टियों ने काफी विरोध किया. 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी पहचान तय करने का अधिकार देने का प्रावधान हटाए जाने के बाद ही बिल को स्वीकार्यता मिली.
एके/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स)