2013 के अंतरिक्ष के पल
अंतरिक्ष के लिहाज से 2013 काफी अहम साल रहा. अमेरिका और रूस के साथ साथ भारत और चीन ने भी बड़ी ताकतों के तौर पर अपनी पहचान पक्की कर ली. मंगलयान ने हर भारतीय को गर्व से कहने का हक दिया कि हम भी किसी से कम नहीं.
रूस पर गिरा उल्कापिंड
आसमान में टूटते तारों का नजारा खूबसूरत लगता है, पर जब ये धरती पर गिरते हैं तो तबाही मचा सकते हैं. इस साल की शुरुआत इसी तबाही से हुई. फरवरी में रूस में करीब 20 मीटर बड़ा उल्कापिंड गिरा जिससे करीब 1,500 लोग घायल हो गए और 3,000 इमारतों को नुकसान पहुंचा.
शुरू हुआ सुपर टेलीस्कोप
मार्च में अल्मा यानि अटाकामा लार्ज मिलीमीटर ऐरे ने काम करना शुरू कर दिया. 2011 से यूरोप, अमेरिका, कनाडा, जापान, ताइवान और चिली की मदद से इसे बनाया जा रहा था. इसे दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे जरूरी टेलीस्कोप ऑब्जरवेटरी माना जा रहा है.
वरुण का एक और चांद
जुलाई में नासा के हबल टेलीस्कोप ने नेपच्यून ग्रह के 14वें चांद को ढूंढ निकाला. एडविन हबल का बनाया यह टेलीस्कोप 1990 से अंतरिक्ष में है. यह नया चांद 1,00,000 किलोमीटर की दूरी पर नेपच्यून ग्रह का चक्कर लगा रहा है.
एक और सौर मंडल
अंतरिक्ष यान केपलर ने इस साल भी कई नए तारों और ग्रहों को खोज निकाला. केपलर 62 नाम का सौर मंडल धरती से करीब 1,200 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और इसमें पांच ग्रह हैं. यह केपलर के लिए बहुत अच्छा साल नहीं रहा और इसके दो पहियों में खराबी आ गयी.
मंगल को रवाना भारत
नवंबर भारत के लिए मंगलमयी महीना रहा. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 450 करोड़ रुपये खर्च कर मंगल मिशन लॉन्च किया. 300 दिन और करीब 78 करोड़ किलोमीटर का सफर तय कर के मंगलयान लाल ग्रह की कक्षा में पहुंचेगा.
अमेरिका भी मंगल की ओर
मंगलयान के लॉन्च को अभी दो हफ्ते भी पूरे नहीं हुए थे कि अमेरिका ने मावेन (मार्स एटमॉस्फेयर एंड वोलाटाइल इवॉल्यूशन) को अंतरिक्ष के लिए रवाना किया. मंगलयान की ही तरह यह ऑर्बिटर भी सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में पहुंचेगा.
चुंबकीय क्षेत्र की जांच
नवंबर में यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए ने स्वार्म लॉन्च किया जिसके तहत तीन उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे गए. स्वार्म का मकसद धरती के चुंबकीय क्षेत्र की जांच करना और यह समझना है कि सूरज का पृथ्वी पर क्या असर होता है. तीनों सैटेलाइट चार साल तक धरती के चक्कर लगाएंगे.
सूरज के करीब आइसन
नवंबर वैज्ञानिकों के लिए काफी दिलचस्प रहा. महीने के अंत में आइसन नाम का धूमकेतु सूरज के करीब 12 लाख किलोमीटर पास पहुंचा. लेकिन यह सूरज की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया और धूल में बदल गया.
चांद पर चीन
दिसंबर में चीन ने अपना पहला मानवरहित अंतरिक्ष यान 'चांग ई-3' चांद पर भेजा. पिछले करीब चार दशकों में पहली बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हो सकी. चीन ने अपने इस अंतरिक्ष यान का नाम चंद्रमा की देवी चांग ई के नाम पर रखा है.
3डी में आकाशगंगा
साल के अंत में यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए ने गाइआ मिशन के तहत अंतरिक्ष में एक दूरबीन भेजी है. गाइआ टेलीस्कोप हमारी आकाशगंगा की 3डी तसवीरें भेजेगा.