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2020 में बदला लेने के लिए पत्रकारों की हत्या के दोगुने मामले

२२ दिसम्बर २०२०

समाज की बेहतरी के लिए कोई खबर लिखी. लेकिन खबर प्रकाशित होने के कुछ ही दिन बाद पत्रकार की हत्या कर दी गई. भारत समेत कुछ देश, 2020 में कई पत्रकारों के लिए जानलेवा साबित हुए.

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Afghanistan-Journalist getötet | Rahmatullah Nikzad
रहमतुल्लाह नेकजादतस्वीर: Rahmat Gul/AP Photo/picture alliance

अफगानिस्तान के गजनी शहर में रहमतुल्लाह नेकजाद अपने घर के पास ही मौजूद मस्जिद की तरफ जा रहे थे. तभी साइलेंसर वाली एक पिस्तौल से उन्हें गोली मारी गई. अफगान पत्रकार समिति के हेड रह चुके नेकजाद की मौके पर ही मौत हो गई. नेकजाद एसोसिएटेड प्रेस न्यूज एजेंसी के लिए बतौर फ्रीलांस पत्रकार काम करते थे.

बीते दो महीनों में यह तीसरा मामला है जब अफगानिस्तान में किसी पत्रकार की हत्या हुई है. नेकजाद की हत्या की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है. तालिबान ने एक बयान जारी कर नेकजाद की मौत को देश के लिए क्षति बताया है.

माफियाओं के निशाने पर पत्रकार 

अफगानिस्तान के मुकाबले काफी शांत कहे जाने वाले कई देशों में भी पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं. शांतिपूर्ण माने जाने वाले भारत में भी 2020 में बदला लेने के लिए दो पत्रकारों की हत्या की गई. वहीं फिलीपींस में 2020 में तीन पत्रकारों की हत्या की गई.

न्यूयॉर्क की कमेटी टू प्रोटेक्ट (सीपीजे) जर्नलिस्ट के मुताबिक इस साल कम से कम 30 पत्रकारों की हत्या हुई. इनमें से 21 को तो साफ तौर पर बदला लेने के लिए मारा गया. 2019 में दुनिया भर में ऐसे 10 मामले सामने आए थे.

Mexiko Journalistin Miroslava Breach ermordet
मेक्सिको की मिरोस्लावा ब्रीचतस्वीर: Eduardo Verdugo/AP Photo/picture alliance

सीपीजे के कार्यकारी निदेशक जोएल साइमन ने एक बयान जारी कर कहा, "यह देखना भयावह है कि बीते एक साल में पत्रकारों की दोगुनी हत्याएं हुई हैं और ये बढ़ोत्तरी दिखाती है कि बेखौफ होकर बदला लेने की प्रवृत्ति से लड़ने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय नाकाम हुआ है.”

हिंसाग्रस्त इलाकों में पत्रकारों की चुनौतियां

ईरान में हाल ही में रुहोल्लाह जाम नाम के पत्रकार को मौत को फांसी दी गई. रुहोल्लाह ने 2017 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान रिपोर्टिंग की थी.

हथियारबंद हिंसा से जूझ रहे मेक्सिको और अफगानिस्तान, रिपोर्टरों के लिए सबसे जानलेवा देश बने हुए हैं.

मेक्सिको में पत्रकार और आम लोग ड्रग्स माफिया के गैंगवॉर का और ज्यादा शिकार बनने लगे हैं. मेक्सिको में इस साल ड्रग्स से जुड़ी हिंसा के चलते 31,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.

कमेटी के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी अगर नहीं आती तो यह संख्या बढ़ भी सकती थी. कोरोना के कारण कई इलाकों में पत्रकारों की आवाजाही प्रभावित रही.

ओएसजे/एनआर (एपी, एएफपी)

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