8.6 फीसदी की दर से बढ़ेगा भारत
७ फ़रवरी २०११सीएसओ का अनुमान है कि खेती और इससे जुड़े उद्योग इस साल 5.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगे, जो पिछले साल (2009-10) के मात्र 0.4 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है. इसी वजह से भारत का कुल आर्थिक विकास भी बेहतर होगा और यह साढ़े आठ प्रतिशत पार कर जाएगा.
सीएसओ का अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक और भारत के वित्तीय मंत्रालय के अनुमानों से कहीं ज्यादा है. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी कह चुके हैं कि बढ़ती महंगाई के बावजूद भारत का आर्थिक विकास 8.5 प्रतिशत का रहेगा और रिजर्व बैंक ने भी इसी दर के विकास का अनुमान जताया है. लेकिन सांख्यिकी संस्थान इससे भी ज्यादा विकास की बात कर रहा है.
लेकिन अगर विकास 8.6 प्रतिशत का भी होता है, तो भी यह बात साफ है कि भारत के विकास दर की गति थोड़ी मद्धम पड़ी है. अप्रैल-सितंबर, 2011 के बीच भारत का आर्थिक विकास दर 8.9 प्रतिशत रहा था.
उत्पादन में सबसे तेज
सीएसओ ने जो अनुमान लगाया है, उसके मुताबिक उत्पादन क्षेत्र में विकास दर 8.8 प्रतिशत होगी, जो पिछले साल के बराबर है. खनन के क्षेत्र में यह 6.2 फीसदी होगी, जो पिछले साल के 6.9 प्रतिशत से कम है. जबकि बिजली, पानी और गैस क्षेत्रों में विकास 5.4 प्रतिशत रहेगा. यह भी पिछले साल के 6.4 प्रतिशत से कम है.
सरकारी बयान में कहा गया, "उत्पादन, निर्माण, व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट और संचार, वित्त, बीमा, रीयल एस्टेट तथा कारोबारी क्षेत्र में विकास दर 8 फीसदी से ज्यादा रहेगी और इसी की मदद से भारत की विकास दर 2010-11 में 8.6 फीसदी होगी."
मौजूदा वित्तीय वर्ष में कारोबार, होटल, ट्रांसपोर्ट और संचार क्षेत्र का सम्मिलित विकास 11 फीसदी अनुमानित है, जो पिछले साल के 9.7 प्रतिशत से बहुत ज्यादा है. निर्माण क्षेत्र की विकास दर आठ फीसदी है, जो पिछले साल सात फीसदी रही थी.
इसके अलावा वित्त, बीमा, रीयल एस्टेट और कारोबारी क्षेत्र में इस साल विकास दर 10.6 फीसदी होती दिख रही है, जो पिछले साल के 9.2 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है. वैश्विक मंदी की वजह से भारत का आर्थिक विकास भी घटा था. वह लगातार तीन साल तक नौ फीसदी से बढ़ने के बाद 2008-09 में घट कर 6.8 प्रतिशत हो गया.
भारत में इसी महीने के आखिर में बजट पेश किया जाना है. उससे पहले वित्तीय वर्ष का अनुमान जारी किया गया है ताकि सरकार को अगले साल की योजना और बजट बनाने में मदद मिल सके.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः वी कुमार