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9/11 विश्व इतिहास का अभूतपूर्व मोड़

मियोद्राग सोरिच९ सितम्बर २०१६

अपहृत यात्री विमानों की मदद से न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और वाशिंगटन में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पर हुए आतंकी हमलों की इतिहास में कोई मिसाल नहीं. डॉयचे वेले के मियोद्राग सोरिच का कहना है कि उनका असर आज भी जारी है.

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DW Doku Nichts mehr wie es war - New York 15 Jahre nach 9/11 Skyline
तस्वीर: DW

दीवार गिरने के बाद पश्चिम ने जैसे विराम कर दिया. प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री फ्रांसिस फुकुयामा ने इतिहास की समाप्ति की घोषणा की और राजनीतिज्ञ शांति के फायदे की बात करने लगे. अमेरिका ने छाती पर हाइपर सत्ता का तमगा चिपका लिया, पुराने दुश्मन पश्चिमी क्लब में शामिल हो सकते थे, यदि वे खेल के नियमों को मानें, नहीं तो उन्हें दबा दिया गया, नजरअंदाज कर दिया गया.

लेकिन शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिका में कुछ करने की इच्छा का अभाव था, जैसा उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दिखाया था. उस समय अमेरिका ने नाटो, संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ नई विश्व व्यवस्था की संरचना बनाई थी. 90 के दशक में ऐसा कुछ नहीं हुआ. बिल क्लिंटन अरकान्सॉ से वाशिंगटन आने के बावजूद प्रांतीय राजनीतिज्ञ बने रहे. विश्व के उत्तरी हिस्से में कोई नई सुरक्षा संरचना नहीं बनी, दक्षिण में गरीबी से लड़ने की कुशल संरचना नहीं बनी, पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ नहीं हुआ, मध्यपूर्व में कोई स्थायी शांति व्यवस्था कायम नहीं हुई.

AP Iconic Images USA New York Anschläge auf das World Trade Center 2001 Flugzeug fliegt ins Gebäude
तस्वीर: AP

अचानक हुआ हमला

1941 के पर्ल हार्बर के बाद अमेरिका की धरती पर 9 सितंबर 2001 को पहला हमला हुआ. अप्रत्याशित हमला. अमेरिका इस हमले के लिए तैयार नहीं था और बहुत से लोग आज तक असुरक्षित हैं. एक दिन जो कुछ ही पहले शुरू हुई शताब्दी में लंबे समय तक झकझोरता रहेगा. सीआईए के पूर्व डाइरेक्टर जनरल डेविड पेत्रेउस ने इसके बारे में डीडब्ल्यू से कहा था, "आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पीढ़ियों तक चलेगी."

11 सितंबर 2001 के बाद के दिनों में ये बात किसी को पता नहीं थी. उस समय पहली चुनौती थी कि दुनिया को मंदी में जाने से बचाया जाए. केंद्रीय बैंकों ने तिजोरी के दरवाजे खोल दिए. शुरू में उन्बें कामयाबी मिली, क्योंकि शेयर बाजार नहीं लुढ़के. लेकिन कुछ सालों के बाद न तो बैंकों को पता था और न ही ग्राहकों को कि सस्ते पैसे का क्या करें. अमेरिका में जो भी अपना नाम ठीक से लिख सकता था, उसे घर खरीदने के लिए कर्ज मिल गया. आम तौर पर ऐसा घर जिसे वह आम तौर पर खरीदने की हालत में नहीं था.

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मियोद्राग सोरिच

2008 में गुब्बारा फट गया. वाशिंग्टन को मजबूरी में और धन छापना पड़ा. अमेरिका कर्ज के बोझ में डूबता गया. यूरोप, जापान और दूसरी जगहों पर भी यही हुआ. नोट छापने की प्रतिस्पर्धा आज भी जारी है. राजनीतिज्ञ संरचनात्मक समस्याओं का हल निकालने के बदले उसे टालते गए. उधर अमेरिका में मध्यवर्ग सिकुड़ता जा रहा है, उनका जीवनस्तर गिरता जा रहा है. ओसामा बिन लादेन की योजना सफल होती दिख रही है. वह अमेरिका को वित्तीय रूप से कंगाल करना चाहता था, सैनिक तौर पर जीतना नहीं.

संरचना पर बोझ

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने पूर्वगामी की गलतियों से सीखा है. उन्होंने अमेरिकी सैनिकों को विदेशों से या तो पूरी तरह वापस कर लिया है या एकदम कम कर दिया है. आखिर अमेरिका उन युद्धों में क्यों निवेश करे जिसे वह जीत नहीं सकता? लेकिन इराक से वापस लौटने के बावजूद यह रोमांच अमेरिकी करदाताओं पर अरबों का बोझ डाल रहा है. सुरक्षा संरचना को बढ़ाने का सामाजिक खर्च भी होता है. पूर्व सैनिकों के स्वास्थ्य बीमा या पेंशन के रूप में. अमेरिका को यह बोझ अभी सालों तक ढोना होगा.

New Jersey Monument To The Struggle Against World Terrorism
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Gombert

जबकि कथित सुरक्षा के लिए अरबों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं. अमेरिका में ढांचागत संरचना को आधुनिक बनाने या शिक्षा को किफायती और सुलभ बनाने के लिए धन की कमी है. पांच प्रतिशत की सरकारी बेरोजगारी दर इस बात पर पर्दा डालती है कि कितने लोगों ने नौकरी खोजना ही छोड़ दिया है. राजनीतिक मदारी राष्ट्रपति चुनावों में संभावित समाधान पेश कर रहे हैं. वाशिंगटन का राजनीतिक वर्ग समझौता करने के लिए न तो तैयार है और न ही उसके लायक. किताब की दुकानों में ऐसी किताबों की कमी नहीं जो अमेरिका के पतन की भविष्यवाणी कर रही हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि महाशक्ति अमेरिका ने चादर से ज्यादा पैर फैला दिया है.

हालांकि भविष्य की भविष्यवाणी करना गंभीर बात नहीं. सिर्फ एक बात साफ है कि 11 सितंबर 2001 कैसा मोड़ रहा है, हम सबकी सुरक्षा के लिए. हमारी निजता को सीमित करने के लिए और मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून में अमेरिका द्वारा कटौतियों के लिए. नाईन इलेवन सिर्फ ऐतिहासिक चेतावनी नहीं था. ये एक ऐसा दिन था जिसने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के साथ शुरू हो रही शताब्दी की नींव रखी थी.