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समाज

शरीर पर जख्मों के निशान, फिर भी इंसाफ नहीं मिलता

७ जुलाई २०२१

अपने पूर्व पार्टनर की आखिरी पिटाई से आहत और जख्मी मारिसेला ओलिवा मैक्सिकन राजधानी में एक अदालत के बाहर अकेले इंतजार कर रही हैं. ताकि यह फैसला हो पाए कि वह अकेले जिंदगी में चलेंगी की नहीं.

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तस्वीर: Eduardo Verdugo/AP Photo/picture alliance

मारिसेला ओलिवा की जिंदगी का एक ही लक्ष्य है. इंसाफ पाना. मैक्सिको जैसे देश में मारिसेला जैसी महिलाओं के लिए इंसाफ पाना बेहद मुश्किल है, समस्या से निपटने के लिए गठित एक सरकारी आयोग के अनुसार महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 94 प्रतिशत मामलों में न्याय नहीं हो पाता है.

58 साल की मारिसेला सवाल करती हैं, "अगर अधिकारी उसे छोड़ देते हैं, तो मैं अपनी रक्षा के लिए कहां जाऊंगी? अगर मुझे मौत की धमकी का सामना करना पड़ रहा है तो मैं कहां छिपूंगी?"

मारिसेला के पूर्व पार्टनर ने उनकी इतनी बेरहमी से पिटाई की कि उन्हें चोटों के कारण सहारा लेकर चलना पड़ता है.

मारिसेला का मामला देश की हजारों महिलाओं जैसा ही है जो लैंगिंक हिंसा का सामना कर रही हैं और अदालतों के चक्कर लगा रही हैं.

सरकार ने इस साल जनवरी और मई के बीच फेमिसाइड के 423 मामले दर्ज किए. जो कि साल 2020 की इसी अवधि की तुलना में सात प्रतिशत अधिक है. पूरे 2020 में फेमिसाइड के 967 मामले दर्ज किए गए थे.

कोर्ट में इंसाफ के लिए भी जद्दोजहद

मारिसेला को इंसाफ के लिए कोर्ट जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. वे बताती हैं कि मध्य मैक्सिको राज्य में पुलिस ने उसके मामले को एक प्रेमी के झगड़े के रूप में माना और पूरा बयान लेने की जहमत तक नहीं उठाई.

उन्होंने एक मानवाधिकार कार्यकर्ता से संपर्क कर न्याय पाने की दिशा में कदम बढ़ाया. मारिसेला पूछती हैं, "न्याय व्यवस्था किसका इंतजार कर रही है? कि वह मुझे मार डाले?" कोर्ट में सुनवाई के बाद आरोपी को हिरासत में भेज दिया गया है.

37 वर्षीय सरकारी कर्मचारी डेनिएला सांचेज अपने पूर्व पार्टनर द्वारा सालों तक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक शोषण के खिलाफ न्याय की मांग कर रही हैं. उन्हें लगता है कि वह दंडाभाव की दीवार का सामना कर रही हैं. 

देखें: इन देशों में कानून के सहारे सजा से बच जाते हैं रेपिस्ट

सांचेज कहती हैं, "पहले ही पल से अधिकारी हमारे शब्दों और मेरे शरीर पर जख्मों के निशान पर संदेह करते आए हैं."

नागरिक संगठन इक्विस जस्टिसिया की सह-निदेशक फातिमा गैम्बोआ का कहना है कि मैक्सिको में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के रूप में "एक जटिल घटना का जवाब देने" में सक्षम संस्थागत ढांचे का अभाव है.

विश्लेषण से पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में न्यायिक अधिकारी संभावित स्थितियों या व्यवहार की पहचान करने में विफल होते हैं जो महिलाओं को जोखिम में डालते हैं या फिर आवश्यक सुरक्षा आदेश जारी करने में भी विफल होते हैं.

गैम्बोआ कहती हैं, "न्याय को लैंगिक दृष्टिकोण से प्रशासित नहीं किया जाता है."

मैक्सिको में न्याय से दूर महिलाएं

सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के उद्देश्य से कई पहल शुरू की हैं. उनमें कानूनी केंद्र शामिल हैं. अधिकारियों का कहना है कि इन केंद्रों में इस साल एक लाख लोगों को कानूनी सलाह दी गई. साथ ही जोखिम वाली महिलाओं के लिए आश्रय भी खोले गए हैं.

मोनिका बोर्रेगो की 21 साल की बेटी यांग क्यूंग जूनो की मौत 2014 में हुई थी. बोर्रेगो को लगता है कि उसकी हत्या फेमिसाइड की कोशिश के आरोपी ने ही की है.

पुलिस ने जूनो की मौत के मामले को आत्महत्या बताकर बंद कर दिया था. हालांकि उसके शरीर पर जख्मों के निशान थे. परिवार को केस दोबारा खुलवाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी. परिवार की कोशिश के कारण संदिग्ध आरोपी की सुनवाई कोर्ट में चल रही है.

जूनो की मां को आज भी याद है कि कैसे एक अधिकारी ने उन्हें "हिस्टीरिया मां" कहकर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था.

एए/वीके (एएफपी)

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