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समाज

अफगानिस्तानः शांति की उम्मीद लगाए बैठीं महिलाएं

२२ सितम्बर २०२०

दोहा में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधि शांति वार्ता कर रहे हैं और दूसरी ओर देश में तालिबान के हमले बंद नहीं हुए हैं. गर्भवती ताज बीबी इस बार अपने चौथे पति की सलामती की दुआ कर रही हैं.

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ताज बीबी के तीन शौहर तालिबान के साथ लड़ते हुए मारे जा चुके हैं. तस्वीर: Ahmad Sultan/Reuters

ताज बीबी यह दुआ कर रही हैं कि उनके चौथे पति के साथ भी वैसा कुछ ना हो जैसा उनके तीन भाइयों के साथ हो चुका है. उनके पहले तीन पतियों की मौत आतंकियों से लड़ते हुए हो चुकी है. अफगान सरकार के सुरक्षाबलों और तालिबान के लड़ाकों के बीच हिंसा थमती नहीं दिख रही है. कतर में दोनों के प्रतिनिधि देश में शांति स्थापित करने और अंतहीन युद्ध के खात्मे को लेकर बैठकें कर रहे हैं.

पूरे देश में पिछले एक हफ्ते में अफगान सुरक्षाबल के 60 सदस्य मारे जा चुके हैं. ताज बीबी के शौहर अमीनुल्लाह अगले तीन महीने के लिए अग्रणी मोर्चे पर तैनाती के लिए जा रहे हैं. बीबी की एक ही गुजारिश है कि जिन लोगों के पास ताकत हैं वे उन्हें चौथी बार बेवा होने से बचा लें. कुनार प्रांत के सदीकाबाद इलाके में रहने वाली बीबी कहती हैं, "मैं अपने पांच बच्चों को दोबारा यतीम नहीं देखना चाहती."

बीबी की जब पहली बार शादी हुई तो वह 18 साल की थीं. उनकी शादी अमीनुल्लाह के सबसे बड़े भाई से हुई थी, जो कि सैनिक थे. दोनों की जिंदगी अच्छी चल रही थी लेकिन तालिबान से जंग के दौरान उनके पहले शौहर की मौत हो गई. कुछ महीनों बाद बीबी ने उनके छोटे भाई से शादी कर ली. वह भी एक सैनिक था.

पश्तून समाज में बेवा की शादी बाहर नहीं होती है और बेवा की शादी अक्सर देवर से होती है. इस से पहले कि उनकी जिंदगी में नई शुरुआत होती, गर्भवती बीबी को अपने दूसरे शौहर के खून से सने शव की पहचान करनी पड़ी. दूसरा शौहर एक नाके को तालिबान के हमले से बचाने में मारा गया.

'मैं दोषी'

90 दिनों के शोक के बाद बीबी ने अपने ससुर की बात मानते हुए उनके तीसरे बेटे से शादी को राजी हो गईं, जो कि एक पुलिस अफसर था. साल 2017 में तीसरे पति की मौत तालिबान से झड़प में हो गई. उसी साल बीबी ने अमीनुल्लाह से शादी कर ली. वह चौथा भाई है. अमीनुल्लाह ने तीन बार विधवा हो चुकी अपनी भाभी को उनके बच्चों के साथ अपना लिया.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बीबी कहती हैं, "कई बार मैं इसके लिए तालिबान को जिम्मेदार मानती हूं, कई बार अफगान सरकार को और कई बार विदेशी सरकारों को लेकिन ज्यादातर मैं खुदको इस दर्द के लिए जिम्मेदार मानती हूं."

बीबी पांच वक्त की नमाजी हैं. वह कहती हैं, "इस्लाम हमें किसी की हत्या नहीं करने की सीख देता है, लेकिन हमारी इस जमीन पर हम किसी को भी यूं ही मार देते हैं. मुझे नहीं पता कि अल्लाह मेरे दर्द और नुकसान को समझता है या नहीं." बीबी कहती हैं कि वह अमीनुल्लाह से सेना छोड़ने की गुहार लगाती आई है, लेकिन अमीनुल्लाह कहते हैं कि वह ड्यूटी पूरी कर लौट आएंगे. बीबी यह भी दुआ करती है कि शांति उनको बचा लेगी.

बीबी कहती हैं, "मेरा जीवन मेरे शौहर के जिंदा रहने पर निर्भर करता है." बीबी का दिन बच्चों के लिए कपड़े सिलाई कर गुजर जाता है. बीबी के परिवार में 15 लोग हैं और सभी की देखभाल में अमीनुल्लाह का वेतन खर्च हो जाता है. बीबी को उनके तीन पूर्व शौहरों की पेंशन भी मिलती है. 

बीबी कहती है कि लोग एक ही बार मरते हैं लेकिन तीन पतियों को मरता देख वह खुद तीन बार मौत का अहसास कर चुकी हैं.

एए/सीके (रॉयटर्स)

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