अफगानिस्तान के अभूतपूर्व भूकंप में कई गांव मिट्टी में मिल गए
अफगानिस्तान के भूकंप ने कई गांवों को जमींदोज कर दिया. बहुत से लोग मलबे के नीचे दब गए. पश्चिमी हेरात प्रांत के 13 गांवों के 1300 से ज्यादा घर मलबे में बदल गए. कम से कम 2000 लोगों की मौत हुई.
मलबे में बदल गई बस्तियां
रिक्टर पैमाने पर 6.3 की तीव्रता वाले भूकंप और फिर 8 आफ्टरशॉक ने धूल भरे पठारी इलाके को झकझोर कर रख दिया. भूकंप के बाद अब तो जिधर नजर दौड़ाइए सिर्फ मलबा ही नजर आता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 11 गांवों में तो एक भी घर सलामत नहीं बचा. सैकड़ों लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हैं.
राहत और बचाव
भूकंप के बाद पीड़ितों को बचाने के लिए राहत अभियान शुरू किए गए हैं. युद्ध की मार से बेहाल देश का बुनियादी ढांचा पहले से ही गरीबी और बदहाली की चपेट में है. बड़ी संख्या में लोग घायल हैं उनके इलाज में खासी दिक्कतें पेश आ रही हैं. सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद अंतरराष्ट्रीय मदद में भी काफी कमी आई है.
जिंदा लोगों की तलाश
राहतकर्मियों की दर्जन भर टीमें मलबे से जिंदा लोगों की तलाश कर रही हैं. संयुक्त राष्ट्र ने डॉक्टर सहित चार एंबुलेंस भी मुहैया कराए हैं जो घायलों को मदद पहुंचा रही हैं. क्षेत्रीय अस्पतालों में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से काउंसलर और दूसरे लोग भी मदद के लिए भेजे गए हैं.
अंतरराष्ट्रीय मदद
संकट की इस घड़ी में अंतरराष्ट्रीय मदद भी पहुंच रही है. खाना, पानी, टेंट और मृत लोगों के लिए ताबूत भेजे गए हैं. अंतरराष्ट्रीय अलगाव झेल रहे अफगानिस्तान तक मदद पहुंचने में देर लगी, शुरुआत में कई घंटों तक यहां मदद के लिए कोई नहीं था. फिर चीन और पाकिस्तान से मदद आई. मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाई गई है.
बिखरी जिंदगी
जहां कभी घर थे वहां अब मलबा है. लोग मलबे से जो कुछ सामान सही सलामत बचा है उसे बाहर निकाल रहे हैं. कहीं बर्तन और बैकपैक दिख रहे हैं तो कहीं गैस चूल्हे टूथब्रश जैसी छोटी मोटी चीजें. इन सब के बीच बच्चे इधर उधर घूम रहे हैं.
अंतिम संस्कार की दिक्कत
एक झटके में 2000 लोगों की मौत की वजह से उनके अंतिम संस्कार में भी काफी दिक्कत आ रही है क्योंकि पूरा गांव ही ढह गया है. कई जगह तो लोग हाथों से गड्ढे खोद कर मृतकों को दफना रहे हैं.
घायलों के इलाज की मुश्किल
अफगानिस्तान में अस्पतालों की हालत भी अच्छी नहीं है, ऐसे में घायलों के इलाज में भी काफी दिक्कत आ रही है. इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी ने चेतावनी दी है कि अगर जरूरी उपाय नहीं किए गए तो घायलों को संभालना मुश्किल हो जाएगा और मरने वालों की तादाद काफी ज्यादा बढ़ जाएगी.
बेघर लोगों की परेशानी
पूरे के पूरे गांव ढह गए हैं ऐसे में जिंदा बचे लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या आवास की है. इसके अलावा जिन लोगों के घर बचे हैं वो उनमें डर की वजह से सोना नहीं चाहते. ऐसे में पार्कों, मैदानों और यहां तक कि सड़कों पर लोग खुले में सोने को मजबूर हैं. यहां इन दिनों रात में तापमान गिर कर 10 डिग्री तक चला जाता है.
भूकंप का केंद्र
भूकंप का केंद्र पश्चिमी हेरात के उत्तर पश्चिम में करीब 40 किलोमीटर दूर था. भूकंप के बाद आफ्टरशॉक की तीव्रता भी रिक्टर पैमाने पर 6.3, 5.9 और 5.5 तक मापी गई है.
अफगानिस्तान में भूकंप
अफगानिस्तान में बीते साल जून में भी भूकंप आया था और तब इसकी चपेट में पहाड़ी इलाके थे. उस दौरान करीब 1000 लोगों की मौत हुई थी. इस बार का भूकंप बीते कई दशकों में सबसे भयानक है.