अर्मेनिया के राष्ट्रपति का इस्तीफा
२४ जनवरी २०२२आर्मन सार्किस्यान ने रविवार को घोषणा की कि वे संकट के समय में नीति को प्रभावित करने में असमर्थता के कारण अर्मेनिया के राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे रहे हैं. वे पिछले चार साल से देश के राष्ट्रपति के पद पर थे.
लंबे समय से अर्मेनिया एक राजनीतिक संकट में उलझा हुआ है जो दक्षिण और उत्तर पूर्व के विवादित नागोर्नो काराबाख क्षेत्र पर अजरबाइजान के साथ युद्ध के मद्देनजर भड़क उठा है.
सार्किस्यान ने इस्तीफा क्यों दिया?
अजरबाइजान के साथ युद्ध और विरोध प्रदर्शनों के बीच चीफ ऑफ जनरल स्टाफ के प्रमुख को हटाने के अपने फैसले पर सार्किस्यान प्रधानमंत्री निकोल पाशनियान से असहमत थे. पाशनियान ने मार्च 2021 में अर्मेनिया के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ को हटा दिया, उन्होंने दावा किया था कि सेना तख्तापलट की योजना बना रही है.
अजरबाइजान के साथ युद्ध को समाप्त करने वाले शांति समझौते के बाद से पाशनियान दबाव में हैं, नियमित रूप से सड़क पर होने वाले विरोध प्रदर्शनों में उनसे पद छोड़ने की मांग की जाती रही है. रूस द्वारा 2020 में कराए गए समझौते के तहत अजरबाइजान ने 1990 के दशक की शुरुआत में एक युद्ध के दौरान अपने खोए हुए क्षेत्र को फिर से हासिल कर लिया. जिस समय शांति समझौते पर बातचीत हो रही थी, सार्किस्यान ने इस तथ्य की आलोचना की कि उन्हें विचार-विमर्श में शामिल नहीं किया गया था.
अर्मेनिया के राष्ट्रपति की वेबसाइट पर एक बयान में सार्किस्यान ने कहा, "यह भावनात्मक रूप से प्रेरित फैसला नहीं है और यह एक विशिष्ट तर्क से लिया गया है." उन्होंने अपने बयान में कहा, "राष्ट्रपति के पास लोगों और देश के लिए कठिन समय में विदेश और घरेलू नीति की महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए आवश्यक साधन नहीं हैं."
अर्मेनिया में राष्ट्रपति का पद काफी हद तक औपचारिक होता है और कार्यकारी शक्ति मुख्य रूप से प्रधानमंत्री के पास होती है. 2015 के जनमत संग्रह के बाद अर्मेनिया एक संसदीय गणराज्य बन गया जिसने राष्ट्रपति की शक्तियों को काफी सीमित कर दिया. उन्होंने अपने बयान में कहा, "हम एक अनूठी वास्तविकता में रह रहे जिसमें राष्ट्रपति युद्ध और शांति के मामलों को प्रभावित नहीं कर सकता है. वह उन कानूनों को वीटो नहीं कर सकता, जिन्हें वह राज्य और लोगों के लिए हानिकारक मानते है."
निवर्तमान राष्ट्रपति 2018 में चुने गए थे जिन्होंने पहले युनाइटेड किंग्डम में अर्मेनिया के राजदूत के रूप में कार्य किया था. 1996-1997 में सार्किस्यान ने प्रधानमंत्री का पद भी संभाला.
एए/वीके (एफपी, रॉयटर्स, डीपीए)