एशिया की सबसे अधिक ऊंचाई वाली लैंड आर्ट एग्जीबिशन 'सा लद्दाख'
लद्दाख में विभिन्न पृष्ठभूमियों के कलाकार दक्षिण एशिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित एक असाधारण कला प्रदर्शनी में अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन करने के लिए जुटे.
जलवायु, संस्कृति और समुदाय
यह भूमि कला प्रदर्शनी लेह, लद्दाख में 3600 मीटर की ऊंचाई पर आयोजित की गई. इस प्रदर्शनी का शिर्षक 'सा' है. इस प्रदर्शनी में स्थानीय से लेकर विदेशी कलाकारों ने अपनी कला पेश की.
प्रकृति की सोच
एशिया की सबसे ऊंची भूमि कला प्रदर्शनी 'सा' लद्दाख में कलाकारों ने 'जलवायु आशावाद' की व्याख्या की और अपनी कला के जरिए दुनिया से प्रकृति के बारे में भी सोचने का संदेश दिया.
पिघलते ग्लेशियर और पर्यावरण की चिंता
देश-विदेश से आए कलाकारों ने दुनिया को चिंता में डालने वाली चीजों पर आर्ट इंस्टालेशन लगाए, जिनमें ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण तेजी से पिघलते ग्लेशियर के बारे में भी चिंताजनक तस्वीर पेश की गई.
कैसे मिले प्लास्टिक से छुटकारा
इस तस्वीर में एक कलाकार प्लास्टिक कचरे की समस्या को दर्शाता हुआ. कलाकार ने रेत और प्लास्टिक की खाली बोतलों का इस्तेमाल कर इस आर्ट इंस्टालेशन को तैयार किया है.
बेकार और दोबारा इस्तेमाल की जाने वाली चीजें
यह प्रदर्शनी लेह के पास डिस्को वैली की पृष्ठभूमि में लगाई गई, और प्रदर्शनी के लिए जो भी आर्ट इंस्टालेशन को तैयार किया गया उसके लिए त्याग दिए गए, दोबारा इस्तेमाल करने वाले और नवीकरणीय सामग्रियों का ही इस्तेमाल किया गया.
स्थानीय कलाकारों की भी भागीदारी
अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के अलावा लद्दाख के स्थानीय कलाकारों की कलाकृतियां भी प्रदर्शनी में शामिल की गईं. जिससे उन्हें विदेशी कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला.
जलवायु आशावाद
'सा' लद्दाख के सह-संस्थापक राकी निकहेतिया ने इस प्रदर्शनी के बारे में कहा, "हमारा प्राथमिक ध्यान 20 एकड़ भूमि पर होगा, जहां हम जलवायु आशावाद की अपनी व्याख्या में गहराई से उतरेंगे. भूमि कला के उल्लेखनीय माध्यम से हमारा उद्देश्य लुभावने लेकिन नाजुक हिमालयी परिदृश्य के बीच समुदायों को आकर्षक और प्रेरित करते हुए जलवायु संबंधी मुद्दों पर एक समावेशी बातचीत को बढ़ावा देना है."
पहाड़ से एक संदेश
इस तस्वीर में पुराने कपड़ों को जोड़कर एक संदेश लिखा गया है. इसमें लिखा है- 'यू डोन्ट ओन मी' यानी तुम मेरे मालिक नहीं हो.
रात में लेह
जर्मन कलाकार फिलिप फ्रैंक द्वारा पेश एक आर्ट इंस्टालेशन. जिसमें रंगी बिरंगी रोशनी बिखरती हुई नजर आ रही है.
प्रकृति और इंसान के बीच बराबरी जरूरी
'सा' लद्दाख के आयोजकों का कहना है कि इस प्रदर्शनी के जरिए एक अहम संदेश देने की कोशिश की गई है कि अगर इंसान दुनिया में नहीं भी रहे तो प्रकृति हमेशा रहेगी और जो गैर बराबरी पैदा हुई है उसे पाटने की जरूरत है.