जब मीडिया दफ्तरों को बनाया गया निशाना
दुनिया भर में बहुत से पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान हिंसा और हमलों का शिकार बनाया जाता है. लेकिन कई बार अखबारों और पत्रिकाओं के दफ्तरों पर सुनियोजित हमले हुए हैं. एक नजर ऐसे ही हमलों पर.
निशाने पर मीडिया
अमेरिकी शहर अनापोलिस में 28 जून 2018 को एक अखबार गजेट के दफ्तर में आकर एक बंदूकधारी ने गोलियां चला दी जिसमें कम से पांच लोग मारे गए. इससे पहले वर्जीनिया में 2015 में 24 साल की एक पत्रकार एलिसन पार्कर और उनके कैमरामैन की एडम वार्ड की लाइव प्रसारण के दौरान हत्या कर दी गई थी. उस समय वे एक स्थानीय टीवी चैनल पर लाइव थे.
शमशाद टीवी हमला
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शमशाद टीवी के दफ्तर में हमलावर पुलिस के वर्दी में दाखिल हुए और तीन घंटे तक हिंसा की. इसमें कम से कम एक व्यक्ति की जान गई और दो दर्जन से ज्यादा घायल हो गए. इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी ली. अप्रैल 2018 में हुए एक अन्य आत्मघाती हमले के पीछे भी आईएस ने अपना हाथ बताया जिसमें नौ पत्रकार मारे गए और 16 अन्य घायल हुए थे.
जे सुई शार्ली
फ्रांस की राजधानी पेरिस में जिहादियों ने जनवरी 2015 में व्यंग पत्रिका शार्ली एब्दो के दफ्तर पर हमला किया, जिसमें 12 लोग मारे गए थे. अल कायदा से जुड़े दो भाइयों ने पत्रिका के दफ्तर में घुस कर गोलीबारी की. पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून छापने के लिए इस पत्रिका को निशाना बनाया गया था. इस हमले की दुनिया भर में कड़ी निंदा हुई और इसे प्रेस की आजादी पर हमला करार दिया गया.
नाइजीरिया में हमले
नाइजीरिया में राजधानी अबुजा और उत्तरी शहर कदुना में अप्रैल 2012 में तीन अखबारों के दफ्तरों पर हमले हुए. नाइजीरिया में अखबार के दफ्तरों पर ये इस तरह के पहले हमले थे. अबुजा में दिस डे अखबार पर हुए आत्मघाती हमले में चार लोग मारे गए थे. वहीं कदुना में मोमेंट और सन नाम के अखबारों को निशाना बनाया गया. कदुना के हमलों में भी चार लोगों की मौत हुई. संदिग्ध हमलावरों को उसी साल उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
बुद्धिजीवी और पत्रकारों पर हमले
अल्जीरिया की राजधानी अल्जीयर्स में फरवरी 1996 को मैसन दे ला प्रेसे इमारत में हुए एक कार बम विस्फोट में 21 लोग मारे गए थे जिनमें 'सोआ दे अल्जीरी' नाम के एक फ्रेंच अखबार के तीन पत्रकार भी थे. इस इमारत में कई अखबारों के दफ्तर थे. अधिकारियों ने इन हमलों के लिए एक जिहादी गुट को जिम्मेदार बताया. आर्म्ड इस्लामिक फ्रंट फॉर द जिहाद नाम के इस गुट ने कई और बुद्धिजीवियों और जाने माने लोगों को निशाना बनाया.