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बांग्लादेश: भीषण गर्मी से परेशान कपड़ा फैक्ट्री के कर्मचारी

६ जून २०२४

बांग्लादेश में चार लाख से अधिक कपड़ा फैक्ट्री श्रमिकों समेत अलग-अलग कारखानों में काम करने वाले लोगों को अत्यधिक गर्मी के कारण अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इनमें से 60 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं हैं.

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ढाका
ढाकातस्वीर: Mortuza Rashed/DW

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस गर्मी में कारखानों, खासकर कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले दो-तिहाई से अधिक श्रमिकों को अत्यधिक लू का सामना करना पड़ा.

22 साल की आयशा तलुकदार तनीसा ढाका में एक जींस फैक्ट्री में सिलाई का काम करती हैं. यह फैक्ट्री पश्चिमी ब्रांडों के लिए कपड़े बनाती है. बांग्लादेश के 70 साल के इतिहास में इतनी तीव्रता और लंबी अवधि की गर्मी कभी नहीं पड़ी.

आयशा तलुकदार ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से कहा, "हममें से कुछ लड़कियां बीमार पड़ गई हैं. गर्मी की वजह से उन्हें मिचली या बेहोशी आ जाती है."

कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वालों के लिए गर्मी बनी चुनौती
कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वालों के लिए गर्मी बनी चुनौतीतस्वीर: Mortuza Rashed/DW

गर्मी से उद्योग को नुकसान

एड्रियन अर्ष्ट-रॉकफेलर फाउंडेशन रेसिलिएंस सेंटर द्वारा प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक अत्यधिक गर्मी के प्रभाव से बांग्लादेश को सालाना 6 अरब डॉलर की श्रम उत्पादकता का नुकसान हो रहा है.

अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर में दो तिहाई से अधिक कर्मचारी काम के दौरान अत्यधिक गर्मी की चपेट में आ जाते हैं.

बांग्लादेश इंस्टिट्यूट ऑफ लेबर स्टडीज के डिप्टी डायरेक्टर मनिरुल इस्लाम कहते हैं, "गर्मी कपड़ा उद्योग के लिए एक गंभीर व्यावसायिक खतरा है."

इस्लाम ने 400 से अधिक श्रमिकों का सर्वेक्षण किया है और कहा कि गर्मी के असर के कारण सबसे गर्म महीनों के दौरान पांच में से एक श्रमिक को कम से कम एक बार बीमारी की छुट्टी पर जाना पड़ा. उन्होंने बताया कि 32 प्रतिशत श्रमिकों ने कहा कि भीषण गर्मी के कारण उनकी कार्य क्षमता कम हो गई.

गर्मी से बेहाल हुए भारत-बांग्लादेश

काम पर गर्मी का असर

कुछ प्रमुख कपड़ा निर्माता अपने श्रमिकों को गर्मी से बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं, लेकिन श्रम अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि श्रमिकों के स्वास्थ्य की रक्षा और उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए सप्लायरों, ब्रांडों और सरकार से बहुत अधिक धन और प्रतिबद्धता की जरूरत है.

सिर्फ फैक्ट्रियों को ठंडा रखने से श्रमिकों की सुरक्षा नहीं होती है. बांग्लादेश जैसे देश में श्रमिकों को अपने कार्यस्थलों तक पहुंचने के लिए चिलचिलाती धूप में लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के विकल्प कम हैं और कई लोग छोटे व तंग घरों में रहते हैं.

कार्यस्थलों पर इन श्रमिकों को ज्यादातर साझा रसोई, शौचालय और स्नानघर का इस्तेमाल करना पड़ता है. बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग में काम करने वाले श्रमिक औसतन 113 डॉलर (करीब 9400 रुपये) महीना कमाते हैं. इतनी सीमित आय के साथ महंगे एयर कंडीशनिंग सिस्टम और जनरेटर इन श्रमिकों की पहुंच से बहुत दूर हैं. गर्मी में बिजली कटौती बांग्लादेश की एक और समस्या है.

श्रमिकों के लिए बेहतर व्यवस्था की जरूरत

ग्लोबल वर्कर डायलॉग (जीडब्ल्यूडी) के कार्यकारी निदेशक गाय स्टुअर्ट नियमित रूप से कारखाने के श्रमिकों की स्थितियों का सर्वेक्षण करते हैं. उनका कहना है कि कारखानों को ठंडा रखने से श्रमिकों को उनके आने-जाने के दौरान सुरक्षा नहीं मिलती, या घर पर जहां कई लोग छोटे, भीड़-भाड़ वाले घरों में रहते हैं.

ऊर्जा प्रौद्योगिकी कंपनी ग्रिट टेक्नोलॉजीज लिमिटेड में ऑपरेशन के प्रमुख रहे सुदीप पॉल ने कारखानों को जलवायु संबंधी चुनौतियों से निपटने में मदद करने में वर्षों बिताए हैं. उन्होंने कहा कि सरल, सस्ते कदम बदलाव ला सकते हैं. पॉल ने कहा कि इसमें सुबह 8 बजे के बजाय 6 बजे शिफ्ट शुरू करना शामिल हो सकता है, ताकि कर्मचारी दोपहर की गर्मी के चरम पर पहुंचने से पहले लंच के लिए जा सकें, उन्हें घर वापस जाने के लिए हल्के सूती कपड़े और सफेद छतरियां उपलब्ध कराई जा सकें.

उनका यह भी कहना है कि फैक्ट्रियों में कूलर भी लगाए जा सकते हैं जिससे गर्मी से बचाव किया जा सके.

संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की पिछले महीने की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लगभग 19,000 लोग अत्यधिक गर्मी के कारण कार्यस्थल पर होने वाली चोटों के कारण मर जाते हैं और अनुमान है कि 2.62 करोड़ लोग कार्यस्थल पर गर्मी के तनाव से जुड़े किडनी रोगों से पीड़ित हैं.

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)