15 लाख और विदेशियों को अपने यहां बसाना चाहता है कनाडा
२२ नवम्बर २०२२कनाडा की सरकार को अर्थव्यवस्था से जुड़ी अपनी मुसीबतें कम करने के लिए आप्रवासन सबसे असरदार रास्ता लगता है. लेकिन देश में हर कोई इससे सहमत नहीं है. इतनी बड़ी संख्या में विदेशियों को लाकर देश में बसाने से कई लोगों को परेशानी है. नवंबर की शुरुआत में केंद्र सरकार ने अपनी नई योजना घोषित की. इसमें 2025 तक हर साल पांच लाख आप्रवासियों को लाने का लक्ष्य रखा गया है. यानि अगले तीन सालों में करीब 15 लाख नए लोग कनाडा आकर बसेंगे.
आप्रवासियों के भरोसे विकसित देशों की अर्थव्यवस्था
कनाडा अकेला विकसित देश नहीं है, जो विदेशों से कामगारों को बुलाकर अपनी घरेलू कमी को पूरी करने की कोशिश कर रहा है. कनाडा की ही तरह ब्रिटेन और अमेरिका ने भी स्थायी निवासी बनाने का एक कोटा रखा है. हालांकि ब्रिटेन और अमेरिका के मुकाबले कनाडा में यह तादाद चार से आठ गुनी अधिक है.
कनाडा में हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि बाहर से इतने सारे लोगों के आने को लेकर लोगों में थोड़ी घबराहट है. कनाडा ऐसा कई सालों से करता आया है. बहुत अलग-अलग तरीकों से वहां विदेशी लोगों को स्थायी रूप से रहने का अधिकार मिल जाता है. हालांकि नागरिकता का मामला बिल्कुल अलग है. स्थायी निवास देकर वहां काम करने की उम्र के लोगों की कमी को पूरा कर लिया जाता है और अर्थव्यवस्था पटरी पर रहती है. केवल 2021 में ही चार लाख से ज्यादा लोगों को परमानेंट रेजिडेंट बनाया गया, जो कि देश के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या थी.
बूढ़ी आबादी बहुतों की समस्या
कई पश्चिमी देशों में ऐसा देखने को मिल रहा है कि आबादी का बड़ा हिस्सा बुजुर्ग होता गया और जन्म दर कम होती गई. ऐसे हाल में अगर देश को तरक्की करनी है, तो उसे बाहर से लोग लाने ही पड़ेंगे. आप्रवासी इस समय बहुत से देशों में वर्कफोर्स का अहम हिस्सा हैं. सरकार का अनुमान है कि कनाडा में 2032 तक आप्रवासियों की यही आबादी देश की जनसंख्या बढ़ाने वाला सबसे बड़ा हिस्सा भी बन जाएगा.
आज भी कनाडा का हर चार में से एक नागरिक देश में आप्रवासी के रूप में आया था. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में लगभग 14 फीसदी ही आप्रवासी हैं. चूंकि इन देशों में कनाडा के मुकाबले ज्यादा घनी आबादी रहती है, वहां कहीं ज्यादा आप्रवासी दिखाई देते हैं.
कनाडा में कुछ राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बना कर चुनाव लड़ा. जैसे कि दक्षिण पंथी दल पीपल्स पार्टी ऑफ कनाडा ने 2018 में यह मुद्दा उठाया और 2019 के आम चुनावों तक इसे जिंदा रखा. कनाडा के अलग-अलग हिस्सों में भी विदेशियों को लेकर अलग रवैया दिखता है.
कनाडा जाना है काफी अलग
बाकी पश्चिमी देशों से तुलना करें, तो पाएंगे कि कनाडा आर्थिक आप्रवासन पर जोर देता है. कनाडा जाकर वहां के स्थायी निवासी बनने वाले लगभग आधे लोग अपनी शैक्षणिक योग्यता के कारण वहां बुलाए गए, ना कि अपने परिवार के सदस्यों के वहां रहने के कारण. सन 2025 तक कनाडा सरकार स्किल्ड लोगों की इस संख्या को बढ़ाकर 60 फीसदी तक ले जाना चाहती है. कनाडा से मिलता-जुलता सिस्टम फिलहाल केवल न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में ही है.