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समाजचीन

चीन में 25 साल से कम उम्र की लड़की से शादी करने पर नकद इनाम

२९ अगस्त २०२३

चीन में जन्म दर में गिरावट पर बढ़ती चिंता के बीच एक काउंटी ने अनोखा उपाय अपनाया है. इस उपाय के तहत जोड़ों को 1,000 युआन दिया जाएगा.

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चीन
दुल्हन की उम्र 25 या उससे कम होने पर नकद इनाम दिया जाएगातस्वीर: JADE GAO/AFP/Getty Images

चेंगशान काउंटी ने पिछले हफ्ते अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर एक नोटिस पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था कि नकद इनाम का उद्देश्य पहली शादी के लिए "आयु उपयुक्त उम्र में शादी करने और बच्चे पैदा करने" की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है. नोटिस में कहा गया है कि अगर दुल्हन की उम्र 25 वर्ष या उससे कम है तो जोड़ों को 1000 युआन (137 डॉलर) का नकद इनाम दिया जाएगा. इसका उद्देश्य इनाम राशि देकर युवाओं को शादी करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

चीन की गिरती जन्म दर पर चिंताओं के बीच युवाओं को शादी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह ताजा सरकारी पहल है. इस "इनाम" के तहत कई तरह के विशेष लाभ देने की बात कही गई है. इसमें बच्चों की देखभाल, प्रजनन और शिक्षा सब्सिडी शामिल है.

जनसंख्या में गिरावट से परेशान सरकार

चीन छह दशकों में पहली बार अपनी जनसंख्या कम होने और बुजुर्गों की संख्या में तेजी से वृद्धि को लेकर चिंतित है और अधिकारी तत्काल जन्म दर बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रहे हैं. इनमें जोड़ों को वित्तीय प्रोत्साहन और बेहतर शिशु देखभाल सुविधाएं मुहैया कराना शामिल है.

चीन में शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र पुरुषों के लिए 22 साल और महिलाओं के लिए 20 साल है. लेकिन शादीशुदा जोड़ों की संख्या लगातार कम हो रही है. सरकारी नीतियों ने जन्म दर को कम कर दिया है और सिंगल महिलाओं के लिए बच्चे पैदा करना कठिन बना दिया है.

102 बच्चे पैदा करने वाले मूसा

चीन को जन्म दर घटने की चिंता

जून में जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2022 में विवाह दर गिरकर 68 लाख के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई, जो 1986 के बाद से सबसे कम है. पिछले साल 2021 की तुलना में आठ लाख कम शादियां हुईं.

एक सरकारी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन की महिला प्रजनन दर पहले से ही दुनिया में सबसे कम में से एक है. 2022 में इसके गिरकर रिकॉर्ड 1.09 होने का अनुमान है.

चीन में कई महिलाएं बच्चों की देखभाल की उच्च लागत के साथ-साथ संभावित करियर में बाधा के कारण मां नहीं बनना चाहती हैं. वह या तो अधिक बच्चे चाहती हैं या बिल्कुल भी बच्चे नहीं चाहती हैं.

देश में लिंग भेदभाव और महिलाओं पर डाली जाने वाली पारंपरिक बाल देखभाल जिम्मेदारियां भी आम हैं.

एए/सीके (रॉयटर्स)