ट्रंप की धमकी से निपटने के लिए चीन खुद को कर रहा है तैयार
१३ दिसम्बर २०२४कोरोना महामारी खत्म होने और जीरो-कोविड लॉकडाउन हटाने के लगभग दो साल बाद भी चीन की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटी है. वह अब भी महामारी के असर से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है. 2024 की पहली तीन तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि 4.8 फीसदी रही. यह चीन के पांच फीसदी के लक्ष्य से अभी भी थोड़ा कम है.
वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी, कमजोर उपभोक्ता मांग और रियल एस्टेट में भारी गिरावट के कारण चीन की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा, अमेरिका के साथ जारी व्यापारिक तनाव ने चीन के निर्यात को भी नुकसान पहुंचाया है. डॉनल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यह तनाव और भी ज्यादा बढ़ सकता है.
'यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड' के 'चाइना सेंटर' में रिसर्च एसोसिएट और यूबीएस के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री जॉर्ज मैग्नस ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "चीन काफी ज्यादा उत्पादन और कम खपत की समस्या से जूझ रहा है. चीनी नेताओं ने आखिरकार यह मान लिया है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त होती जा रही है और यह कोई अस्थायी समस्या नहीं है."
ट्रंप के टैरिफ का क्या और कितना होगा असर
चीन ने प्रोत्साहन वाले दृष्टिकोण को अपनाया
इसी साल सितंबर में चीन ने बैंकों में 2.7 ट्रिलियन युआन (370 अरब डॉलर) डाला, ताकि बैंक ज्यादा कर्ज दे सकें. इसके अलावा, ब्याज दरें कम की गईं. नए बुनियादी ढांचे पर खर्च करने और कर्ज में डूबे रियल एस्टेट डेवलपरों की मदद करने की घोषणा की गई.
पिछले महीने चीन की सरकार ने क्षेत्रीय सरकारों के कर्ज संकट को कम करने के लिए 10 ट्रिलियन युआन की एक और सहायता पैकेज की घोषणा की. पिछले कुछ सालों में इन क्षेत्रीय सरकारों ने बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास परियोजनाओं के लिए बहुत अधिक कर्ज लिया था.
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इन उपायों से चीन के शेयर बाजार में अचानक तेजी आई. शंघाई और शेन्जेन में सूचीबद्ध सबसे बड़े शेयरों का सीएसआई 300 सूचकांक 35 फीसदी बढ़ गया. निवेशकों को उम्मीद है कि चीन जल्द ही घरेलू खपत को बढ़ावा देने में मदद के लिए खरबों युआन के प्रोत्साहन की घोषणा करेगा.
सिंगापुर में सार्वजनिक नीति सलाहकार फर्म 'ग्लोबल काउंसिल' की सीनियर एसोसिएट जियायू ली ने डीडब्ल्यू को बताया, "कुछ लोगों का मानना था कि सरकार उपभोक्ताओं की मांग बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाएगी, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है."
वास्तविक प्रोत्साहन उपाय नहीं
ली ने कहा कि घोषित पैकेज 'प्रभावशाली' था, लेकिन यह मुख्य रूप से मौजूदा कर्जों को पुनर्गठित करने पर केंद्रित था. उनके अनुसार, इसे 'नए प्रोत्साहन' के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि चीन अभी भी स्थानीय सरकारों का कर्ज कम आंक रहा है और इसे 14.3 ट्रिलियन युआन बता रहा है. जबकि, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस आंकड़े को 60 ट्रिलियन युआन या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 47.6 फीसदी बताया है.
नए उपाय 2008-09 के वित्तीय संकट के बाद किए गए उपायों से कहीं ज्यादा बड़े हैं. उस समय यह राशि चार ट्रिलियन युआन तक थी. हालांकि, तब इतनी रकम जीडीपी का लगभग 13 फीसदी हिस्सा थी, जबकि इस साल यह करीब 10 फीसदी है. इस हस्तक्षेप या प्रोत्साहन उपाय ने चीन को वैश्विक मंदी के दौरान जीडीपी वृद्धि दर आठ फीसदी से अधिक बनाए रखने में मदद की थी.
मैग्नस का मानना है कि नए उपायों से विकास दर पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा. ये उपाय सिर्फ स्थानीय और प्रांतीय सरकारों पर बजट में कटौती करने का दबाव कम करेंगे. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि चीन 'सिर्फ किनारे-किनारे काम कर रहा है' और जल्द ही अर्थव्यवस्था में कई संरचनात्मक समस्याओं से निपटने के लिए 'कड़े' कदम उठाने की जरूरत होगी.
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में चीन को उठाने होंगे अन्य कदम
चीनी मामलों के कई अन्य जानकार भी मानते हैं कि हाल के प्रोत्साहन उपाय पर्याप्त नहीं हैं, खासकर जब ट्रंप जनवरी 2025 में व्हाइट हाउस लौटने पर चीन के आयात पर नए शुल्क लगाने की धमकी दे रहे हैं. ट्रंप ने पिछले महीने कहा था कि वह अमेरिका में निर्यात किए जाने वाले सभी चीनी सामानों पर 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे, जिससे संभावित रूप से कुल टैरिफ 35 फीसदी तक बढ़ जाएगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक हालिया सर्वेक्षण में अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि अमेरिका की ओर से नए टैरिफ लगाने पर चीन की वृद्धि दर एक प्रतिशत तक कम हो सकती है. ली ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "बाजार को उम्मीद है कि ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के पद पर दोबारा शपथ लेने, यानी अगले साल तक चीन कोई अन्य आर्थिक कदम नहीं उठाएगा. यानी, चीन उस समय तक इंतजार करेगा." उन्होंने बताया कि इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं कि तब तक किसी भी संभावित प्रोत्साहन का असर और भी कम हो सकता है.
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चीनी मुद्रा कमजोर होने की आशंका
इस बीच, मैग्नस ने कहा कि उन्हें लगता है कि नए टैरिफ से चीन की अर्थव्यवस्था पर 'बहुत ज्यादा असर नहीं होगा', लेकिन युआन थोड़ा और कमजोर हो सकता है. मार्च 2018 में ट्रंप के पहले कार्यकाल में टैरिफ लगाए जाने के बाद, चीन ने अपनी मुद्रा युआन को कमजोर करके कुछ हद तक प्रभाव को कम किया, जिससे चीनी निर्यात सस्ता हो गया.
टैरिफ से बचने के लिए युआन को कमजोर कर सकता है चीन
अगस्त 2019 तक युआन का मूल्य अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 12 फीसदी तक कम हो गया था. यह लगभग एक दशक में इसका सबसे निचला स्तर था. इसके बाद अमेरिका ने चीन को 'मुद्रा हेरफेर करने वाला' देश करार दिया था. दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था और अमेरिका ने कई महीनों तक और भी अधिक शुल्क लगाए.
क्या चीन को 'मार्शल प्लान' जैसी योजना की जरूरत है?
पेकिंग यूनिवर्सिटी में 'नेशनल स्कूल ऑफ डेवलपमेंट' के डीन और 'पीपल्स बैंक ऑफ चाइना' की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य हुआंग यिपिंग ने 'घरेलू मांग को स्थिर करने और बढ़ावा देने' के लिए एक बहुत बड़े प्रोत्साहन कार्यक्रम की मांग की है.
इस महीने 'साउथ चाइना मॉर्निंग' पोस्ट को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने चीन से 'चीनी मार्शल योजना' शुरू करने की मांग की है. इस दौरान उन्होंने यूरोप के पुनर्निर्माण के लिए अमेरिका द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शुरू किए गए आर्थिक सहायता कार्यक्रम का भी जिक्र किया.
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हुआंग का सुझाव है कि चीन अपनी अतिरिक्त औद्योगिक क्षमता का इस्तेमाल करके ग्लोबल साउथ के कम आय वाले देशों को नया बुनियादी ढांचा बनाने और नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है. हालांकि, पश्चिमी देश इस प्रस्ताव का विरोध कर सकते हैं, क्योंकि वे पहले से ही अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में चीन के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं.
चीन को और कितना निवेश करने की जरूरत?
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी 'सिन्हुआ' ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने 9 दिसंबर को 2025 के लिए आर्थिक योजनाओं पर चर्चा की. इसमें अधिक 'सुविधाजनक' मौद्रिक नीति बनाने की मांग की गई. सिन्हुआ ने लिखा, "हमें उपभोग को बढ़ावा देना चाहिए, निवेश से जुड़ी सुविधा को बेहतर बनाना चाहिए और घरेलू मांग को बढ़ाना चाहिए."
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चीन का शीर्ष नेतृत्व यानी पोलित ब्यूरो 18 दिसंबर को अपना वार्षिक केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन आयोजित करने वाला है. इसमें अगले वर्ष के लिए प्रमुख लक्ष्य और नीतिगत रणनीतियां तय की जाएंगी.
कई विश्लेषकों का मानना है कि चीन को अपनी अर्थव्यवस्था में और अधिक पैसा लगाने की जरूरत है. कुछ का अनुमान है कि सरकार को पांच से 10 ट्रिलियन युआन तक का पैकेज जारी करना चाहिए. 'यूनियन बैंकेयर प्रिवी' के एशिया के वरिष्ठ अर्थशास्त्री कार्लोस कैसानोवा ने पिछले महीने रॉयटर्स को बताया था कि 23 ट्रिलियन युआन के पैकेज की जरूरत है.
कई विश्लेषकों का मानना है कि भविष्य में किसी भी प्रोत्साहन पैकेज में सामान्य परिवारों के लिए सामाजिक कल्याण पर खर्च और रियल एस्टेट सेक्टर की मदद पर ध्यान देना चाहिए, न कि पारंपरिक औद्योगिक निवेश और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर.
मैग्नस ने माना कि सरकार घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीतियों में 'सुधार' करेगी, लेकिन उन्हें संदेह है कि चीन उत्पादन आधारित और निर्यात को बढ़ावा देने वाली अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ पाएगा.
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उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि चीन आने वाले समय में किसी और तरह के प्रोत्साहन उपायों की घोषणा नहीं करेगा, लेकिन मुझे लगता है कि सरकार की प्राथमिकता निश्चित रूप से विकास मॉडल को बदलकर अधिक उपभोक्ता-वादी और सामाजिक कल्याण से जुड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की नहीं है." दूसरे शब्दों में कहें, तो मैग्नस अब भी यही मानते हैं कि सरकार सामाजिक कल्याण और उपभोक्ता पर केंद्रित अर्थव्यवस्था की जगह निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था बनाए रखने पर ज्यादा ध्यान दे रही है.