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दुनिया भर में निर्माण का आधा कारोबार चीन की कंपनियों के पास

११ अगस्त २०२३

निर्माण क्षेत्र में दुनिया भर में चीन ने अपना दबदबा कायम कर लिया है. दुनिया भर में हुए निर्माण के कारोबार का आधा हिस्सा चीन की कंपनियों के खाते में गया है.

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दुनिया का सबसे बड़ा निर्माण समूह चीन की सरकारी कंपनी चीन राज्य निर्माण इंजीनियरिंग निगम (सीएससीईसी) है.
दुनिया का सबसे बड़ा निर्माण समूह चीन की सरकारी कंपनी चीन राज्य निर्माण इंजीनियरिंग निगम (सीएससीईसी) है.तस्वीर: Isaac Lawrence/AFP

शीर्ष 100 कंपनियों में एक से लेकर 6 स्थान तक केवल चीन की कंपनियां हैं. कारोबार के लिहाज से दुनिया की शीर्ष कंपनियों 100 कंपनियों में 11 केवल चीन की हैं. इन कंपनियों ने दुनिया के कुल कारोबार का आधा हिस्सा अपनी झोली में समेट लिया है. ऑडिटिंग कंपनी डेलॉइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक निर्माण कंपनियों का कुल कारोबार करीब 19 लाख करोड़ डॉलर का है जिनमें से 10 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा का कारोबार चीनी कंपनियों का है. 

चीन की सरकारी कंपनियों का दम

रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का सबसे बड़ा निर्माण समूह चीनकी सरकारी कंपनी चीन राज्य निर्माण इंजीनियरिंग निगम (सीएससीईसी) है. इसका कारोबार करीब 305 अरब डॉलर का है. 100 कंपनियों की सूची में यह शीर्ष पर है. इसके अलावा चाइना रेलवे ग्रुप, चाइना रेलवे कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड, चाइना कम्युनिकेशन कंस्ट्रक्शन ग्रुप लिमिटेड,  मेटलर्जिकल कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना लिमिटेड और पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प ऑफ चाइना कारोबार के मामले में सबसे आगे हैं. इसके बाद फ्रांस की विंस कंपनी का स्थान है जिसके बाद फिर चीन की ही एक कंपनी है.

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शीर्ष 100 कंपनियों के बाजार का मूल्य लगभग 15 प्रतिशत घटकर 600 अरब के करीब आ गया है.
शीर्ष 100 कंपनियों के बाजार का मूल्य लगभग 15 प्रतिशत घटकर 600 अरब के करीब आ गया है. तस्वीर: Zhu Xudong/Xinhua/picture alliance

निर्माण क्षेत्र की इन 100 बड़ी कंपनियों का राजस्व पिछले साल 1.9 लाख करोड़ डॉलर का रहा, जो इससे पहले के साल की तुलना में 1 फीसदी ज्यादा है. कमाई में यह बढ़ोत्तरी तब हुई है जबकि निर्माण क्षेत्र भारी बाधाओं से जूझ रहा है.

डेलॉइट में पार्टनर, माइकल मुलर ने कहा कि दुनिया भर में निर्माण उद्योग पिछले कुछ सालों की तुलना में बहुत धीमी गति से बढ़ा है. शीर्ष 100 कंपनियों के बाजार का मूल्य लगभग 15 प्रतिशत घटकर 600 अरब के करीब आ गया है. मुलर ने इस बात पर जोर दिया कि उद्योग पर दबाव बना हुआ है. इसकी वजहें हैं बाधित आपूर्ति शृंखलाएं, सामग्री और श्रम की कमी, बढ़ती ऊर्जा और सामग्री लागत, मुद्रास्फीति और बढ़ती ब्याज दरें. हालांकि उनका मानना है कि दुनियाभर में हो रहे जलवायु की रक्षा के लिए प्रयासों की वजह से इस उद्योग बढ़ावा मिलना चाहिए.

भारत की सिर्फ एक कंपनी

बाजार पूंजीकरण में 22 प्रतिशत तक की गिरावट आई. लेकिन पिछले साल की तुलना में रैंकिंग में डॉलरपीय कंपनियों का कुल कारोबार बढ़ा. एक साल पहले की तुलना में छह फीसदी बढ़ कर यह 373 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. जापान की 14 कंपनियों का टर्नओवर 190 अरब डॉलर था. वहीं 13 अमेरिकी कंपनियों ने करीब 165 अरब डॉलर की कमाई की. फ्रांस की तीन कंपनियों ने करीब 133 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार करके चौथे स्थान पर अपनी जगह बनाई है. हालांकि यह सभी कंपनियां चीन से काफी पीछे हैं.

इस सूची में भारतकी सिर्फ एक कंपनी है. लार्सन एंड ट्रूब्रो ने इन दिग्गज कंपनियों के बीच अपनी जगह बनाई है. 2022 में उसका कारोबार 15 फीसदी बढ़ कर करीब 2,131 करोड़ डॉलर का रहा है. 100 कंपनियों की सूची में यह 18वें नंबर पर है.

एचवी/एनआर (डीपीए)