कर्नाटक में चर्च में तोड़फोड़
२३ दिसम्बर २०२१चिक्कबल्लापुर स्थित जिस चर्च में तोड़फोड़ हुई है वह करीब 160 साल पुराना है. समाचार चैनल एनडीटीवी के मुताबिक 160 साल पुराने सेंट जोसेफ चर्च में सेंट एंथोनी की टूटी हुई मूर्ति मिली है. आगे की जांच के लिए पुलिस मूर्ति अपने साथ ले गई. पुलिस ने इस तोड़फोड़ के मामले में प्राथमिकी भी दर्ज की है.
यह घटना ऐसे वक्त में हुई है जब कुछ ही दिनों पहले दक्षिणपंथी संगठनों के लोगों पर कोलार में ईसाइयों से जुड़ी धार्मिक किताब को जलाने का आरोप लगा था. कर्नाटक में चर्चों के खिलाफ दक्षिणपंथी संगठन जबरन धर्म बदलने का आरोप लगाते रहे हैं.
चर्च के पादरी जोसेफ एंथोनी डेनियल ने मीडिया को बताया कि राज्य की राजधानी बेंगलुरु से करीब 65 किलोमीटर दूर सरायपाल्या में चर्च सुबह करीब साढ़े पांच बजे क्षतिग्रस्त हुआ. पादरी के साथ रहने वाले ने सबसे पहले क्षति देखी और पादरी को मौके पर बुलाया. पादरी ने ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
धर्मांतरण विरोधी बिल पर बवाल
कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी विधेयक चर्चा के लिए रखा गया. गुरुवार सुबह विधानसभा में इस विधेयक को लेकर काफी हंगामा हुआ. विपक्षी दल कांग्रेस इस विधेयक का भारी विरोध कर रही है. पहले यह विधेयक बुधवार शाम विधानसभा को चर्चा के लिए पेश किया जाना था लेकिन इसे एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया.
कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है और वहां की कैबिनेट ने 20 दिसंबर को इस विधेयक को मंजूरी दी थी. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई इस बिल के समर्थन में कह रहे हैं कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक राज्य में "लालच के माध्यम से सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को बदलने के प्रयासों" को चुनौती देने के लिए जरूरी था.
कठोर सजा का प्रावधान
धर्मांतरण विरोधी विधेयक में सजा की अवधि तीन साल से बढ़ाकर 10 साल और जुर्माने की रकम 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख और 5 लाख तक करने का प्रावधान है. इस विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैर-कानूनी परिवर्तन पर रोक लगाने का प्रावधान है. अगर कोई व्यक्ति दूसरा धर्म अपनाना चाहता है तो उसे 30 दिन पहले घोषणापत्र देना होगा.
विधानसभा में चर्चा के दौरान कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि यह कानून गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण को रोकेगा और यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. वहीं कांग्रेस ने इस विधेयक को अल्पसंख्यक विरोधी बताया है.
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार विधेयक, 2021 या धर्मांतरण विरोधी विधेयक के खिलाफ बुधवार को कम से कम 40 सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के सैकड़ों सदस्यों ने राज्य सरकार के खिलाफ बेंगलुरू में एक विरोध मार्च निकाला था. ईसाई धर्म से जुड़े लोग इस विधेयक और हाल के दिनों में चर्चों पर हो रहे हमले को लेकर काफी चिंतित हैं.