हाथरस मामले में सौ करोड़ रुपये की फंडिंग का आरोप
८ अक्टूबर २०२०एक ओर जहां अभियुक्तों ने जेल से ही हाथरस के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर खुद को निर्दोष बताया है, वहीं दूसरी ओर पीड़ित परिवार ने पुलिस पर उन्हें बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करके लोगों से मिलने-जुलने और बात करने की छूट देने की मांग की है. राज्य सरकार ने आरोप लगाया है कि हाथरस मामले को इतना बड़ा बनाने के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश है और इस साजिश के आरोप में एक पत्रकार समेत तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों पर देशद्रोह और अन्य धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है.
इस मामले के मुख्य अभियुक्त संदीप ने जेल से ही हाथरस के पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखा है, जिसमें उसने कहा है कि वह निर्दोष है और इस घटना से उसका कोई लेना-देना नहीं है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस पत्र में संदीप ने कहा है कि वह लड़की को न सिर्फ जानता था, बल्कि उसके साथ बातचीत भी करता था और लड़की के परिजनों को यह सब मंजूर नहीं था. पत्र में संदीप ने आरोप लगाया है कि लड़की को उसके घरवालों ने ही मारा है. इस पत्र पर अन्य तीन अभियुक्तों के भी हस्ताक्षर हैं.
इस पत्र में संदीप ने यह भी लिखा है, "घटना के दिन उससे मेरी मुलाकात खेत में हुई थी और उस वक्त उसके साथ उसकी मां और भाई थे. इसके बाद मैं अपने घर चला गया था और पशुओं को पानी पिलाने लगा. बाद में मुझे गांव वालों से पता चला कि उसकी मां और उसके भाई ने हमारी दोस्ती को लेकर लड़की को बुरी तरह पीटा था जिससे उसे गंभीर चोटें आई थीं और बाद उसने दम तोड़ दिया. मैंने कभी भी उसके साथ मारपीट व गलत काम नहीं किया. इस मामले में लड़की की मां व भाई ने मुझे और तीन अन्य लोगों को झूठे आरोप में फंसा कर जेल भिजवा दिया. हम सभी लोग निर्दोष हैं, हमें न्याय दिलाएं.”
पीड़ित लड़की के भाई और अभियुक्त के कॉल रिकॉर्ड
हाथरस जेल के अधीक्षक आलोक सिंह ने बताया कि जेल मैनुअल के अनुसार किसी भी कैदी को जेल से बाहर चिट्ठी भेजने का अधिकार है. संदीप ने बुधवार दोपहर में यह चिट्ठी बंद लिफाफे में उपलब्ध कराई थी जो शाम तक एसपी हाथरस को उपलब्ध करा दी गई. हाथरस के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने भी पत्र की पुष्टि की है.
पिछले दो दिनों से पीड़ित लड़की के भाई और अभियुक्त के फोन कॉल की सीडीआर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इसके अनुसार पांच महीने में दोनों के बीच सौ से भी ज्यादा बार बातचीत हुई है. बताया जा रहा है कि पुलिस और जांच एजेंसियों ने ही इसे निकलवाया है और इनके आधार पर जांच को दूसरे एंगल से भी खंगाला जा रहा है. हालांकि पुलिस ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है और कॉल डीटेल निकलवाने की बात से भी इनकार किया है.
इस बीच, पीड़ित लड़की के परिजनों का कहना है कि इस मामले में उन्हें ही फंसाने की साजिश रची जा रही है. पीड़ित लड़की के भाई ने मीडिया से साफतौर पर कहा है, "उन लोगों से मेरी आमने-सामने ही बात नहीं होती तो फोन पर क्यों बात करेंगे. हमारे घर में एक ही नंबर है और वह भी मेरे पिता के पास रहता है.”
पीड़ित परिवार अभियुक्तों के समर्थन में लगातार हो रहे प्रदर्शनों और पंचायतों से भी खुद को डरा हुआ महसूस कर रहा है. लड़की के पिता का कहना है कि यदि यही माहौल रहा तो उनके पूरे परिवार को गांव से पलायन करना पड़ेगा. हालांकि परिजनों की सुरक्षा में पुलिस लगी हुई है लेकिन परिजनों का डर यह है कि जब पुलिस चली जाएगी, तब क्या होगा.
परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस संबंध में एक याचिका भी दायर की है, जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस याचिका में परिवार ने अदालत से कहा है कि पुलिस-प्रशासन की ओर से लगाई गई बंदिशों के कारण वे लोग घरों में कैद हो गए हैं. इसलिए उन्हें लोगों से मिलने-जुलने की छूट और दूसरों से खुलकर बात करने की अनुमति दी जाए. यह याचिका पीड़ित परिवार की ओर से सुरेंद्र कुमार नाम के एक समाजसेवी ने दायर की है.
योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय साजिश
वहीं, यूपी सरकार इस घटना के तार अंतरराष्ट्रीय साजिशों से भी जोड़ रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस का आरोप है कि राज्य में जातीय और सांप्रदायिक दंगे कराने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने के लिए यह साजिश रची गई थी. हाथरस के चंदपा थाने में इस संबंध में तीन दिन पहले एक एफआईआर दर्ज की गई जिसमें कुछ अज्ञात व्यक्तियों के राजद्रोह जैसी धाराएं लगाई गई हैं.
बुधवार को इस मामले में चार लोगों को मथुरा से गिरफ्तार भी किया गया जिनमें केरल के एक पत्रकार भी शामिल हैं. राज्य भर में इस साजिश के संबंध में बीस एफआईआर दर्ज की गई हैं. जांच एजेंसियों का यह भी दावा है कि इस साजिश को अंजाम देने के लिए मॉरिशस के रास्ते करीब सौ करोड़ रुपये की फंडिंग भी की गई है. जांच एजेंसियों ने इस साजिश में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर खासतौर पर शक जताया है.
हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से चार लड़कों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था. घटना के करीब दो हफ्ते बाद पुलिस ने इस मामले में गैंगरेप की एफआईआर दर्ज की थी. लड़की की हालत बिगड़ने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई.
मौत के बाद पुलिस ने आनन-फानन में रात में परिजनों के विरोध के बावजूद लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसके बाद काफी हंगामा हुआ. घटना को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हुए और विपक्ष हमलावर हो गया. राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए पहले एसआईटी गठित की, उसके बाद सीबीआई जांच की भी सिफारिश की. हालांकि सीबीआ जांच की स्वीकृति अभी नहीं मिली है.
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