प्रोटेस्ट का वीडियो बनाने पर सजा 20 साल की जेल
१४ जनवरी २०२२एक ही परिवार के तीन सदस्यों ने इस बार क्रिसमस जेल की सलाखों के पीछे बिताया. उन्हें क्यूबा में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने के चलते सजा मिली है. क्यूबा की कम्युनिस्ट सरकार पर असहमतियों और विरोधों के प्रति असहिष्णु बर्ताव के आरोप लगते रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों को 30-30 साल की जेल
ऐसी सजा पाने वाले ये तीनों नागरिक, उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जिन्हें 11 जुलाई 2021 से हिरासत में रखा गया है. उस समय क्यूबा के करीब 50 शहरों में एक साथ बड़े स्तर पर जन प्रदर्शन शुरू हुए. हजारों लोग 'आजादी', 'तानाशाही मुर्दाबाद' और 'हम भूखे हैं' जैसे नारे लगाते हुए सड़कों पर उतर आए थे. इसके लिए अब उन पर गाज गिर रही है. कानून-व्यवस्था भंग करने और राजद्रोह जैसे आरोप लगाकर प्रदर्शनकारियों को 30-30 साल जेल तक की सजा सुनाई जा रही है.
एक ही परिवार के जिन तीन लोगों का ऊपर जिक्र आया, उनका मुश्किल समय 11 जुलाई 2021 से शुरू हुआ. यह दो दिन तक चले सरकार विरोधी जन प्रदर्शनों का पहला दिन था. प्रदर्शनों की मुख्य वजह थी- खराब आर्थिक स्थिति और सरकारी दमन. इसी दिन 41 साल के एक्सेंट बेरुत को क्यूबा के पूर्व में स्थित ग्वांतानामो में हिरासत में ले लिया गया.
एक दिन प्रोटेस्ट में शामिल होने पर गिरफ्तारी
गिरफ्तारी की बात पता चलने पर एक्सेंट के 64 वर्षीय पिता फ्रेडी और 36 साल की बहन काटिया भी अगले दिन राजधानी हवाना के पास स्थित 'ला गिनेरा' में हो रहे जन प्रदर्शनों में शामिल हो गए. दो दिनों तक चले इन जन प्रदर्शनों में 'ला गिनेरा' के प्रोटेस्ट सबसे हिंसक रहे थे.
आंकड़ों के मुताबिक, प्रदर्शनों के दौरान केवल एक जान गई. और वह मौत 'ला गिनेरा' में ही हुई थी. फ्रेडी बेरुत की 59 वर्षीय पूर्व पत्नी सोइला रोड्रिगेज बताती हैं कि 12 जुलाई, 2021 को फ्रेडी प्रोटेस्ट में हिस्सा लेकर अपनी मोटर साइकिल से घर लौट रहे थे. रास्ते में ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
मोबाइल से वीडियो पर मिली 20 साल की कैद
सात दिन बाद सुरक्षा बलों ने काटिया को बुलाया. काटिया को यकीन था कि उसके पास डरने की कोई वजह नहीं है. इसीलिए वह सुरक्षा बलों के बुलाने पर गई भी. लेकिन सरकारी अभियोजकों ने उस पर अपने मोबाइल से प्रदर्शनों की वीडियो रिकॉर्डिंग करने का आरोप लगाया. न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, अभियोजन पक्ष ने चार्जशीट में लिखा कि काटिया इस वीडियो को पब्लिश करना चाहती थी. वह दूसरों को भी बगावत के लिए उकसाना चाहती थी.
क्यूबालैक्स नाम के मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, फ्रेडी और काटिया उन 158 लोगों में हैं, जिन्हें राजद्रोह का दोषी मानकर सजा सुनाई गई है. दोनों को मुकदमा शुरू होने से पहले महीनों जेल में बंद रखा गया. फिर क्रिसमस के दो दिन पहले उन्हें 20-20 साल जेल की सजा सुनाई गई है.
सोइला रोड्रिगेज कहती हैं, "मेरी बेटी के पिता फ्रेडी अब जीते-जी जेल से बाहर नहीं आएंगे. वह 64 साल के हैं." उधर एक्सेंट बेरुत पर भी अव्यवस्था फैलाने के आरोप में अलग मुकदमा चला. उन्हें चार साल कैद की सजा मिली है.
प्रदर्शन खत्म होने के महीनों बाद भी निशाना बना रही है सरकार
क्यूबालैक्स ने बताया कि 11 और 12 जुलाई, 2021 को हुए जन प्रदर्शनों में दर्जनों लोग घायल हुए. 1,355 लोगों को हिरासत में लिया गया. इनमें से 719 अभी भी जेल में हैं. क्यूबा की सरकार ने इन जन प्रदर्शनों को दबाने के लिए बहुत सख्ती दिखाई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा भी हुई. मगर क्यूबन सरकार अभी भी प्रदर्शनकारियों को निशाना बना रही है.
हाल ही में जारी 'ह्यूमन राइट्स वॉच' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनता में खौफ पैदा करने और असहमतियों को कुचलने के लिए सरकार ने और भी सैकड़ों लोगों को पकड़ा है. कई लोग बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए पकड़े गए. उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाया गया. कुछ को यातनाएं भी दी गईं.
पीड़ितों की नाराजगी
सोइला रोड्रिगेज कहती हैं, "पहले मेरे पति और बेटी पर अव्यवस्था फैलाने का आरोप दर्ज किया गया. इसे बाद में बदलकर राजद्रोह कर दिया गया." काटिया के जेल में होने के चलते उनके नौ साल के बेटे की जिम्मेदारी भी सोइला पर आ गई है.
उनका समय जेल के चक्कर लगाने और नाती की परवरिश में बीत रहा है. वह बताती हैं, "मैं, मेरा परिवार और वे तमाम लोग जिन्हें ये सब झेलना पड़ रहा है, बहुत नाराज हैं. एक देश में शांति से विरोध प्रदर्शन करने वालों को 20 साल कैद की सजा दी जाती है, यह बात समझ के परे है."
झूठे आरोप में 30 साल की जेल!
'ला गिनेरा' के एक और प्रदर्शनकारी, 36 वर्षीय डेरॉन मार्टिन रोड्रिगेज को 30 साल जेल की सजा मिली है. उनकी मां एस्मेराल्डा रोड्रिगेज के मुताबिक, उनका बेटा कबूतरों के लिए दाना खरीदने बाजार गया था. वहां प्रदर्शन हो रहे थे. एस्मेराल्डा अभी इक्वाडोर में रहती हैं. यहीं से फोन पर बात करते हुए उन्होंने एएफपी को बताया, "प्रदर्शन देखकर डेरॉन वहां रुक गया. उसने अपने पिता को भेजने के लिए मोबाइल से एक वीडियो बनाया."
प्रशासन ने डेरॉन को गिरफ्तार करके उस पर पुलिस के ऊपर पत्थर और बोतलें फेंकने के आरोप में केस दर्ज किया. 36 साल के डेरॉन को अब 66 की उम्र में जेल से रिहाई मिलेगी. एस्मेराल्डा बताती हैं, "मेरे बेटे ने फोन पर कहा कि उन्होंने उसकी जिंदगी तबाह कर दी है."
मुकदमों पर सवाल
क्यूबालैक्स की निदेशक लारित्जा डाइवरसेंट ने एएफपी से कहा कि इतनी सख्त सजाएं इसलिए दी जा रही हैं, ताकि लोगों में डर बैठ जाए. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों पर चलाए गए मुकदमों में कानूनी प्रक्रिया का सही तरह पालन नहीं हुआ. आरोपियों को बचाव के लिए स्वतंत्र वकील नहीं दिए गए. बंद दरवाजों के पीछे मुकदमे चलाए गए.
वह बताती हैं, ''उनके पास सबूत के नाम पर ज्यादातर स्टेट एजेंटों के बयान ही हैं. ये वही लोग हैं, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों पर हिंसा की थी.'' लेकिन साक्ष्य के तौर पर जो वीडियो जमा किए गए हैं, उनमें कभी भी पुलिस की ज्यादतियां नहीं दिखती हैं.
जारी है संघर्ष
कुछ पीड़ितों के परिवार अब भी संघर्ष कर रहे हैं. 34 साल के ऐंडी लोरेन्जो 11 जुलाई को सेंटा क्लैरा में गिरफ्तार किए गए थे. इस हफ्ते उन पर मुकदमा शुरू होगा. अभियोजन पक्ष ने उन पर अव्यवस्था फैलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने ऐंडी के लिए सात साल जेल की सिफारिश की है. उधर ऐंडी का परिवार एक मुहिम चला रहा है.
वे न केवल कैदियों के लिए खाना जमा कर रहे हैं, बल्कि क्यूबा में मौजूद विदेशी दूतावासों से अपील कर रहे हैं कि वे ऐंडी के मुकदमे का मुआयना करने के लिए अपने पर्यवेक्षक भेजें. वहीं क्यूबा के अधिकारी देश में राजनैतिक कैदियों की मौजूदगी से इनकार करते हैं. वे सरकार के विपक्ष को अवैध मानते हैं. आरोप लगाते हैं कि विरोधियों को अमेरिका से आर्थिक मदद मिल रही है. क्यूबा में ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शनों के बाद नया साइबर सुरक्षा आदेश
विरोध प्रदर्शनों की वजह क्या थी?
जुलाई 2021 में क्यूबा की सरकार देश में बड़े स्तर पर हुए जन प्रदर्शनों के निशाने पर थी. कम्युनिस्ट सरकार के राष्ट्रपति हैं मिगेल दिएज कनेज. जनता का आरोप है कि मिगेल सरकार बदतर हो चुकी अर्थव्यवस्था को ठीक करने में बिल्कुल नाकाम साबित हुई है. देश की अर्थव्यवस्था पहले से बदहाल थी. अमेरिका ने दशकों से उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए थे. ओबामा कार्यकाल में प्रतिबंध कुछ ढीले हुए. मगर डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने क्यूबा पर फिर से आर्थिक प्रतिबंध बढ़ा दिए.
पहले से मौजूद इन परेशानियों के बीच कोराना के चलते क्यूबा की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई. कोविड के चलते पर्यटन सेक्टर करीब-करीब समूचा ठप हो गया. पर्यटन क्यूबा की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहमियत रखता है. इसके प्रभावित होने के कारण लाखों लोगों की आमदनी पर संकट आ गया. विदेशी मुद्रा की आमद भी कम हो गई.
विदेश से अनाज और बाकी जरूरी चीजें आयात करना भी मुश्किल हो गया. क्यूबा में खाने-पीने की चीजों की किल्लत हो गई. यहां तक कि बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी संसाधन भी नहीं बचे. जुलाई 2021 में हुए प्रदर्शनों के पीछे ये सारे कारण शामिल थे. ये प्रदर्शन इसलिए भी महत्वपूर्ण थे कि 1959 की क्यूबन क्रांति के बाद से वहां इतने बड़े स्तर पर जन प्रदर्शन नहीं हुए थे.
प्रदर्शनों में लोकप्रिय हुआ नारा
प्रदर्शनों में कुछ जगहों पर अर्नेस्टो चे ग्वेरा द्वारा दिए गए नारे "पातरिया ओ मोएरते" में बदलाव करके "पातरिया य विदा" का नारा भी लगाया गया. "पातरिया ओ मोएरते" का अर्थ होता है, मातृभूमि या मृत्यु. इसका तात्पर्य था कि अगर मातृभूमि की स्वतंत्रता, इसके हितों के लिए जान भी देनी पड़े, तो मंजूर है. जुलाई 2021 में प्रदर्शनकारियों ने इसे बदलकर कहा कि उन्हें देश और जिंदगी, दोनों चाहिए. यह नारा फरवरी 2021 में क्यूबा के पांच कलाकारों द्वारा बनाए गए एक गाने से प्रभावित था. रिलीज होने के बाद से ही यह गाना क्यूबा में काफी लोकप्रिय हो गया.
क्यूबा सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मंशा पर सवाल खड़ा करके प्रोटेस्ट की वैधता खत्म करने की कोशिश की. प्रदर्शनकारियों को देश विरोधी साबित करने के प्रयत्न किए गए. खबरों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने टेलिविजिन पर प्रसारित अपने संदेश में जनता को क्यूबा की क्रांति की याद दिलाते हुए कहा कि क्यूबा क्रांतिकारियों की जमीन है. प्रदर्शनकारी एक साजिश के तहत सड़कों पर उतरे हैं. जानकारों का कहना है कि जन विरोध को विदेशी साजिश बताकर सरकार प्रदर्शनकारियों पर दमन को उचित ठहराने की कोशिश कर रही थी.
एसएम/ओएसजे (एएफपी)