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समाज

तरक्की के साइड इफेक्ट झेलता भूटान

२३ मार्च २०१८

पहाड़ों में बसा भूटान दशकों तक दुनिया से अलग थलग जीता रहा है. वहां ना टेलीविजन था और ना ट्रैफिक लाइट. जैसे लोग सदियों पहले रहते थे, वैसे ही रह थे. लेकिन अब भूटान में भी बदलाव की तेज हवा चल रही है.

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Touristische Attraktionen rund um die Thimpuh Stadt in Bhutan
तस्वीर: DW/M. M. Rahman

भूटान की राजधानी थिंपू में अब बार भी खुल गए हैं. इंटरनेट कैफे में किशोर आपको हिंसक वीडियो गेम खेलते मिल जाएंगे. धूम्रपान करने वाले भी भूटान में बढ़ रहे हैं तो स्नूकर हॉलों में लोग जुए पर रकम लगाते भी दिख जाएंगे.

मद्धम रोशनी में एक महिला डांस बार में आए लोगों की फरमाइश पर नाच रही है. यहां आने वाले लोगों को आमतौर पर भूटानी लोक संगीत ही पसंद आता है, लेकिन कई बार वे बॉलीवुड गानों की फरमाइश भी कर देते हैं. 38 साल की डांसर ल्हाडेन तलाकशुदा हैं और उनके दो बच्चे हैं. उन्हें ऐसे नाचना पसंद नहीं है लेकिन गुजारा चलाने के लिए यह सब करना पड़ता है. उन्हें रात 12 बजे तक डांस बार में काम करना पड़ता है.

भूटान अपनी राष्ट्रीय संपदा को ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स से मापता है जिसका मकसद ऐसा समाज बनाना है जहां सब खुश और संतुष्ट हों. लेकिन हर महीने लगभग आठ हजार रुपये कमाने वाली ल्हाडेन गुजारा मुश्किल ही चल पाता है. वह कहती हैं, "मैं बहुत ही छोटे कमरे में रहती हूं ताकि खाना और कपड़े खरीद सकूं."

बर्फ से ढके और घने जंगलों वाले पहाड़ों, नदियों और साफ हवा के लिए मशहूर भूटान में भी धूल धुआं दिखने लगा है. थिंपू घाटी के प्रवेश द्वार पर बनी सोने और कांस्य की विशाव बुद्ध प्रतिमा के पास अब टेलीकॉम टावर भी दिखाई देते हैं. भूटान की 2.2 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर कृषि पर ही आधारित है.

शहरों में ही नहीं, बल्कि भूटान के देहाती इलाकों में अब जीन्स अब उतनी ही आम है जितना पुरूषों के लिए पारंपरिक घो पोशाकें और महिलाओं के लिए कीरा पोशाकें. बाकी चीजों के साथ रोजमर्रा की आदतों में भी बदलाव आ रहा है. मोबाइल फोन और टीवी अब हर जगह दिखते हैं. यहां तक कि पोबजिखा घाटी में भी टीवी पहुंच गया है, जहां थिंपू से पहुंचने में कार से सात घंटे लगते हैं.

पेशे से किसान 43 साल के एप डा कुछ बदलावों से खुश नहीं है. वह कहते हैं कि अब सड़कों के आसपास कचरा बढ़ रहा है. बच्चों को लग रही मोबाइल फोन की आदत पर वह कहते हैं कि वे पढ़ने से ज्यादा समय मोबाइल फोन को दे रहे हैं.

भूटान में ट्रैफिक लाइटें अब भी नहीं हैं. लोगों के विरोध के कारण ट्रैफिक लाइटें नहीं लगाई जा सकीं. लेकिन भारत और चीन के बीच बसा भूटान बदलावों से गुजर रहा है. साथ ही वे समस्याएं भी वहां पहुंच रही हैं जिनसे दुनिया जूझ रही है.

एके/ओएसजे (रॉयटर्स)