बताओ, फोटो पर कितने फिल्टर चिपकाए हैं
६ जुलाई २०२१खुद को किसी भी तरह सुंदर दिखाने के चक्कर में इंफ्लूएंसर, खूबसूरती के नकली मानक बना रहे हैं. यही मानते हुए नॉर्वे ने ऐसी एडिटेड खूबसूरती पर लगाम लगाने का फैसला किया है. देश में सोशल मीडिया के इंफ्लूएंसरों और विज्ञापन एजेंसियों के लिए एक कानून लागू कर दिया है.
इस कानून के तहत इंफ्लूएसरों और विज्ञापन कंपनियों को अब बताना होगा कि उन्होंने अपनी फोटो को कितनी बार मोडिफाई किया है. मसलन अगर तस्वीर में शरीर के आकार, बनावट, त्वचा के रंग की एडिटिंग की गई तो तस्वीर के साथ ही जानकारी देनी होगी. तस्वीर पर सरकार द्वारा तैयार किया गया एक लेबल लगाना होगा. कमर, होठों के आकार और मसल्स को भी इसमें शामिल किया गया है. ये नियम उन सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए लागू होगा जहां पैसा लेकर प्रमोशन किया जाता है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिक टॉक, ट्विटर और स्नैपचैट इसके दायरे में हैं.
सोशल मीडिया पर सुंदर दिखने की होड़ में सैकड़ों ऐप्स या सॉफ्टवेयर बाजार में आ चुके हैं. नॉर्वे के बाल और परिवार मामलों के मंत्रालय के मुताबिक सुंदर दिखने की यह होड़ खूबसूरती के नकली मानक सेट कर रही है. नॉर्वे की संसद में इस कानून के समर्थन में 72 वोट पड़े और विरोध में 15.
कई शोध साबित कर चुके हैं कि इंटरनेट पर खूबसूरत दिखने की आंधी में कई लोग हीनभावना का शिकार होते हैं. लोग खुद को खूबसूरती के इन नकली मानकों पर तौलने लगते हैं. किशोरों और युवाओं पर इनका सबसे गहरा असर पड़ता है. कई युवा खुद को बदसूरत या बेडौल मानने लगते हैं.
ऐसी आर्टिफिशियल सुंदरता पर लगाम लगाने की कोशिश नई नहीं है. दुनिया भर में तस्वीरों के लिए मशहूर फोटो एजेंसी गेटी इमेजेज कुछ साल पहले अपने डाटा बेस से मॉडलों की एडिट की गई तस्वीरें बैन कर चुकी है. 2017 में फ्रांस ने भी फैशन मैगजीनों के कवर पर छपने वाली एडिटेड तस्वीरों के लिए डिक्लेरेशन अनिवार्य कर दिया.