हर मानसिक रोग डिप्रेशन नहीं होता
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से डिप्रेशन और ड्रग एडिक्शन जैसे शब्दों का काफी इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन हर मानसिक रोग डिप्रेशन नहीं होता. जानिए तनाव और डिप्रेशन में क्या फर्क है.
एंग्जाइटी डिसऑर्डर
बात बात पर डर लगना इसका सबसे बड़ा लक्षण है. जिस शख्स को इस तरह का मानसिक रोग हो, उसे तर्क दे कर डर से बाहर नहीं निकला जा सकता. ऐसे में पैनिक अटैक भी होते हैं, दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, सांस लेने में दिक्कत आती है और खूब पसीना भी छूटने लगता है.
मूड डिसऑर्डर
जैसा कि नाम से पता चलता है इस रोग में व्यक्ति के मूड पर असर होता है. कभी वह बहुत दुखी रहने लगता है तो कभी अचानक ही बहुत खुश. डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर इसी के अलग अलग रूप हैं.
साइकोटिक डिसऑर्डर
इस रोग में इंसान को आवाजें सुनाई देने लगती हैं, वह काल्पनिक किरदारों को देखने लगता है. ऐसा व्यक्ति हैलुसिनेशन का शिकार हो सकता है या स्कित्सोफ्रीनिया का भी.
ईटिंग डिसऑर्डर
अपनी भावनाओं पर काबू ना होने के कारण कुछ लोगों की भूख मर जाती है, तो कुछ जरूरत से ज्यादा खाने लगते हैं. दोनों ही मामलों में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
एडिक्शन डिसऑर्डर
शराब की लत हो, ड्रग्स की या जुए की, ये सब एडिक्शन हैं. ऐसे रोग में व्यक्ति खुद को और अपने आसपास वालों को भूल जाता है और उसका सारा ध्यान लत पर ही केंद्रित होता है. इसे छुड़वाने के लिए दवाओं की जरूरत पड़ती है.
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर
इस रोग से प्रभावित शख्स ऐसी हरकतें करता है जिन्हें आम भाषा में "अजीब" कहा जाता है. वह खुद को और दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है पैरानोया जिसमें व्यक्ति हमेशा दूसरों की गलतियां खोजने में लगा रहता है.
ऑबसेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर
ऐसा व्यक्ति किसी एक चीज या बात पर अटक जाता है और उसे दोहराता रहता है. मिसाल के तौर पर अगर किसी को गंदगी नापसंद है तो वह लगातार सफाई करता रहेगा और उसे फिर भी छोटे से छोटी गंदी चीज नजर आएगी.
पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
किसी बुरे अनुभव के कारण सदमा लगने से यह रोग होता है. ऐसा सड़क दुर्घटना के बाद या किसी प्रियजन की मौत या बलात्कार के बाद होना स्वाभाविक है. कुछ लोगों को लंबे समय तक डर लगने लगता है.
मानसिक रोगों को समझें
जैसा कि आपने देखा हर रोग एक दूसरे से अलग है. हो सकता है कि किसी को एक से ज्यादा डिसऑर्डर हो जाएं लेकिन एक ही इंसान को एंग्जाइटी, बायपोलर, स्कित्सोफ्रीनिया और पैरानोया सब एक साथ नहीं होता है.
क्यों होता है?
इनकी कई वजह हो सकती हैं. ये जेनेटिक भी होते हैं यानी माता पिता से बच्चों को मिल सकते हैं. तनाव और बुरे तजुर्बों के कारण हो सकते हैं या फिर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर भी हो सकते हैं.
तो क्या करें?
मेंटल डिसऑर्डर किसी भी तरह का हो, डॉक्टर से सलाह लेना और वक्त रहते उसका इलाज कराना बहुत जरूरी है. 21वीं सदी के भारत में भी इस मुद्दे पर खुल कर चर्चा नहीं होती और नतीजतन हर साल लाखों लोग अपनी जान ले लेते हैं.