क्या प्राचीन रोम से आए थे लद्दाख के ब्रोक्पा लोगों के पूर्वज
हिमालय के बर्फीले पहाड़ों के बीच लद्दाख के एक कोने में रहते हैं ब्रोक्पा. करीब 6,000 लोगों की आबादी वाले इस समुदाय की कोई लिखित भाषा नहीं है, उनका अपना कैलेंडर है और वे मानते हैं कि उनके पूर्वज प्राचीन रोम से आए थे.
कोई लिखित भाषा नहीं
ब्रोक्पा लोगों की कोई लिखित भाषा नहीं है. उनका सबसे प्रिय गीत है "इतिहास का गीत" जिसमें हर 12 साल बाद एक छंद जोड़ा जाता है. उनका अपना कैलेंडर है, जिसमें ये 12 साल एक साल के बराबर होते हैं.
सिकंदर की सेना से संबंध
85 साल के सेरिंग गांगफेल कहते हैं कि इस गीत में उनके समुदाय की प्राचीन कहानी है, जिसके मुताबिक उनके पूर्वज प्राचीन रोम से आए थे. दूसरे ब्रोक्पा पौराणिक मान्यताएं दोहराते हैं, जिनके मुताबिक उनका संबंध ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में भारत पर हमला करने वाले सिकंदर की सेना से है.
डीएनए जांच में निकला कुछ और
वैज्ञानिकों को इन दावों पर संदेह है. ब्रोक्पा डीएनए के एक अध्ययन में पाया गया कि उनकी जड़ें दक्षिण भारत में हो सकती हैं. लेकिन गांगफेल अपने लोगों के इतिहास को लेकर अपनी बात पर कायम हैं. गांगफेल कहते हैं कि वह ब्रोक्पा भाषा में एक हजार गाने गा सकते हैं, जिनमें उनकी संस्कृति का वर्णन है.
"हम आर्य हैं"
ब्रोक्पा बहुविवाह प्रथा में विश्वास रखते हैं. खुद गांगफेल की दो पत्नियां और छह बच्चे हैं. वह कहते हैं कि बाहरी लोगों से शादी करने को अच्छा नहीं माना जाता था. सिंधु नदी के करीब स्थित अपने घर में बैठे गांगफेल कहते हैं, "हम आज भी हर तीन साल में एक बार हर गांव में नाच-गाकर हमारे यहां आने का जश्न मनाते हैं. हम आर्य हैं."
कारगिल युद्ध में भूमिका
1999 में ब्रोक्पा याक चरवाहे ताशी नामग्याल ने भारतीय इलाके में "पाकिस्तानी घुसपैठियों" को देखा था और भारतीय सैनिकों को बता दिया था. इसके बाद ही कारगिल युद्ध शुरू हुआ था, जो अंत में भारत जीता. 60 साल के नामग्याल ने सेना से मिली उनकी सेवा की तारीफ करती चिट्ठियां गर्व से दिखाते हुए एएफपी से कहा, "मैंने देश की इज्जत बचाई."
"भारत के आखिरी आर्यन गांव"
युद्ध रुकने के बाद भारतीय अधिकारियों ने ब्रोक्पा इलाकों को "आर्यन वैली" कहकर यहां पर्यटन शुरू करवाया. पर्यटन मंत्रालय इन इलाकों का "भारत के आखिरी आर्यन गांव" के रूप में प्रचार करता है.
धूमिल होती संस्कृति
पर्यटकों और सरकारी नीतियों के साथ-साथ यहां आधुनिकता भी आ रही है. मिट्टी और लकड़ी के घरों की जगह कंक्रीट और शीशे की इमारतें बन रही हैं. ब्रोक्पा अपने पारंपरिक देवताओं को मानते हैं, लेकिन अब वहां दूसरे धर्म भी जगह बना रहे हैं. भारत में अधिकांश ब्रोक्पा बौद्ध हैं और पाकिस्तान में कई ब्रोक्पा मुसलमान हो गए हैं.