डॉक्टर टैक्सी चला रहे हैं, अमेरिका भुगत रहा है
९ दिसम्बर २०१६अमेरिका में लगभग 20 लाख प्रवासी ऐसे हैं जिनके पास कॉलेज डिग्री है लेकिन वे या तो बेरोजगार हैं या छोटा मोटा काम कर रहे हैं. इस वजह से सरकार को टैक्स में करीब 10 अरब डॉलर हानि हो रही है. वॉशिंगटन के एक थिंक टैंक माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टिट्यूट (एमपीआई) की तरफ से जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका को एक बेहतर प्रवासी नीति की जरूरत है.
एमपीआई के अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि ये प्रवासी अपनी काबिलियत से लगभग 39 अरब डॉलर कम कमा रहे हैं. अगर ये अपनी काबिलियत के मुताबिक कमाएं तो सरकार को 10 अरब डॉलर का अतिरिक्त टैक्स मिलेगा. एमपीआई के अध्यक्ष माइकल फिक्स ने कहा, "यह वही पुरानी कहानी है कि डॉक्टर भी टैक्सी चला रहे हैं." इस पूरे मामले को वह ब्रेन वेस्ट कहते हैं, यानी दिमागों की बर्बादी.
देखिए, कैसी होगी अमेरिका-मेक्सिको दीवार
प्यू रिसर्च सेंटर ने एक अध्ययन में बताया था कि 2015 में सरकार ने देशभर से 1.5 खरब डॉलर का टैक्स जमा किया था. एमपीआई कहता है कि ब्रेन वेस्ट चिंता की बात है क्योंकि अमेरिका में ऐसे प्रवासियों की तादाद बढ़ रही है जिनके पास कम से कम एक बैचलर डिग्री है. अमेरिका में दुनिया में सबसे ज्यादा प्रवासी आते हैं. लेकिन बहुत से लोग अपनी शिक्षा और कौशल के हिसाब से नौकरी नहीं पा पाते. इसकी वजह विदेशी संस्थानों में हुई उनकी पढ़ाई भी होती है. इसके अलावा रिपोर्ट कहती है कि अंग्रेजी में निपुणता जैसे मुद्दे भी वजह बनते हैं.
मिसाल के तौर पर अमेरिका में रह रहे करीब आधे विदेशी डिग्री धारक मेक्सिकन बेरोजगार हैं या उन्हें अपनी योग्यता के मुताबिक काम नहीं मिला है. एमपीआई कहता है, "प्रवासी कामगार पहले से कहीं ज्यादा शिक्षित हैं लेकिन यह शिक्षा उन्हें बस अपने घर का किराया कमा सकने लायक ही काम दिला पाती है." 2015 के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में चार करोड़ 10 लाख प्रवासी हैं. यह देश की कुल जनसंख्या 32.1 करोड़ का लगभग 13 फीसदी हिस्सा है.
तस्वीरों में: प्रवासियों के फेवरेट देश
न्यू अमेरिकन इकॉनमी नामक संस्था के अध्यक्ष जॉन फाइनब्लाट इसे बड़ा आर्थिक नुकसान बताते हैं. वह कहते हैं, "जब भी कोई प्रवासी बेरोजगार रहता है या उसे सही काम नहीं मिल पाता, तो अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है."
वीके/एके (रॉयटर्स)