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समाज

भारत-चीन सैन्य वार्ता पर सबकी निगाहें

आमिर अंसारी
१९ अक्टूबर २०२०

लद्दाख सेक्टर में सर्दियां आ चुकी हैं लेकिन भारत और चीना की सेनाएं आमने-सामने हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी हफ्ते दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की बातचीत हो सकती है.

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तस्वीर: Mukhtar Khan/AP/picture alliance

भारत-चीन सीमा विवाद पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए आठवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता इसी हफ्ते होने की संभावना है. इससे पहले 12 अक्टूबर को चुशुल में सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है. हालांकि इस बैठक में कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया था. चीनी सेना ने पीछे हटने के संकेत नहीं दिए हैं और लद्दाख क्षेत्र में तापमान शून्य के करीब पहुंच गया है. हालांकि भारत ने इस क्षेत्र में सेना के साथ-साथ अन्य अहम उपकरण तैनात किए हुए हैं. शनिवार 17 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि एलएसी पर शांति और अमन-चैन गंभीर रूप से बाधिक हुए हैं और जाहिर तौर पर इससे भारत और चीन के बीच संपूर्ण रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं.

भारत-चीन के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर की कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन लद्दाख में चीनी सेना पीछे नहीं हटी है. अब आठवें दौर की वार्ता पर सबकी निगाहें हैं क्योंकि लद्दाख सेक्टर में सर्दी शुरू हो चुकी है और आने वाले दिनों में तापमान माइनस में चला जाएगा. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की बातचीत में मुख्य तौर पर यही बात होगी कि दोनों तरफ की सेनाएं एक साथ मई, 2020 से पहले वाली स्थिति में जाने की शुरुआत करें. पिछले पांच महीने से लद्दाख क्षेत्र में तनातनी का माहौल है और गलवान घाटी के बाद से ही भारत ने भी अपने तेवर कड़े करते हुए सैन्य तैनाती बढ़ा दी है. गलवान घाटी में भारत-चीनी सैनिकों की झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए थे.

बेनतीजा बैठकें

दोनों देशों की आखिरी बैठक 12 अक्टूबर को हुई थी और इसका कोई नतीजा सामने नहीं आया था. बैठक के बाद, भारतीय सेना ने एक बयान जारी किया था और कहा था, "दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के पूर्वी सेक्टर में एलएसी के पास आमने-सामने की स्थिति पर गहन, गंभीर और रचनात्मक विचार साझा किए. दोनों पक्ष इस बात से सहमत हैं कि यह वार्ता सकारात्मक, रचनात्मक और एक-दूसरे के पक्ष के प्रति समझ बढ़ाने के लिए थी."

भारत अभी तक अपने इस रुख पर कायम है कि एलएसी पर हालात पूरी तरह से मई, 2020 से पहले वाली स्थिति में बहाल होनी चाहिए और इसके लिए दोनो तरफ से सैन्य वापसी एक साथ होनी चाहिए. अगस्त महीने में भारतीय सेना ने रणनीतिक रूप से अहम ऊंची चोटियों पर अपनी तैनाती कर ली थी जिसके बाद से चीन का भी रुख बदला है.

सीमा विवाद पर शनिवार को एस जयशंकर ने कहा था, "हमारा यह रुख नहीं है कि हमें सीमा के सवाल का हल निकालना चाहिए. हम समझते हैं कि यह बहुत जटिल और कठिन मुद्दा है. अलग-अलग स्तरों पर कई बातचीत हुई हैं. किसी संबंध के लिए यह बहुत उच्च पैमाना है."

दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद भारत और चीन के विदेश मंत्री मॉस्को में सितंबर के महीने में बैठक कर तनाव को खत्म करने की कोशिश को लेकर पांच सूत्री समझौता भी कर चुके हैं.

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