विदेशों में चीन के ‘पुलिस थानों’ को लेकर चिंतित हैं संगठन
१६ दिसम्बर २०२२मानवाधिकार संगठनों को इस बात की चिंता है कि चीन के कथित ‘सेवा केंद्र' पुलिस स्टेशनों की तरह काम कर रहे हैं और विदेशों में रहने वाले चीनी लोगों के लिए खतरा हैं पर यूरोपीय सरकारें इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं. ‘सेफगार्ड डिफेंडर्स' नाम के एक मानवाधिकार संगठन ने इन ‘सेवा केंद्रों' के बारे में खुलासा किया है. स्पेन स्थित इस संगठन ने सितंबर से अब तक दो रिपोर्ट प्रकाशित की हैं जिनमें कहा गया है कि चीन ने 53 देशों में 102 पुलिस थाने स्थापित कर लिए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 11 इटली में हैं.
चीन का कहना है कि ये स्वयंसेवियों द्वारा चलाए जा रहे केंद्र हैं जिनमें विदेशों में रहने वाले चीनियों की सहायता की जाती है. चीनी अधिकारियों के मुताबिक खासतौर पर कोविड महामारी के दौरान फंसे लोगों की मदद के लिए ये केंद्र काम कर रहे थे.
‘सेफगार्ड डिफेंडर्स' की रिपोर्टों पर कनाडा, अमेरिका और नीदरलैंड्स समेत कई सरकारों ने कार्रवाई भी की है. लेकिन संगठन का कहना है कि यूरोपीय सरकारों ने अभी तक समुचित कार्रवाई नहीं की है. संगठन की अभियान निदेशक लॉरा हार्थ ने कहा, "हमें अब तक यूरोपीय संघ की सरकारों में एक समन्वित कार्रवाई करने की इच्छा नजर नहीं आई है. हमारी नजर में यह शर्म की बात है और एक गंभीर गलती है.”
विरोधियों पर कार्रवाई के केंद्र
रोम में एक समाचार सम्मेलन में हार्थ ने कहा कि उनकी संस्था ने चीनी मीडिया और सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है और उन्हें जो भी मिला है वह सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध है. संगठन का कहना है कि ये सेवा केंद्र चीन सरकार द्वारा चीनियों पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं. हार्थ कहती हैं कि ये केंद्र "अवैध हैं और असहमति जताने वालों को निशाना बनाने के लिए” इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
सेफगार्ड डिफेंडर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इटली में ये सेवा केंद्र 2016 से चल रहे हैं. हालांकि पिछले हफ्ते ही देश के गृह मंत्री मातेओ पिआंतेदोसी ने कहा था कि उन्हें 11 नहीं, ऐसे सिर्फ दो केंद्रों के सबूत मिले हैं. एनजीओ की रिपोर्ट के बारे में संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा था कि जासूसी एजेंसियां और पुलिस बल हाई अलर्ट पर हैं और कोई भी अवैध गतिविधि साबित होते ही वह पाबंदियां लगाने के लिए कदम उठाने को तैयार हैं.
इटली को लेकर विशेष चिंता
हार्थ ने कहा कि इटली और फ्रांस के प्रतिक्रियाएं सबसे कमजोर रही हैं. उन्होंने कहा कि बाकी देशों ने इन केंद्रों को बंद करने में काफी मुस्तैदी दिखाई लेकिन इन देशों की कार्रवाइयों में पारदर्शिता की कमी है.
2015 में हुए एक समझौते के तहत चीन के अधिकारी इटली में खुलेआम कार्रवाई करते रहे हैं. इस समझौते ने चीनी अधिकारियों को रोम, मिलान और नेपल्स आदि में इतालवी अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने की सुविधा मिली है.
2019 में इटली ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में सहयोग पर सहमति दी थी. ऐसा करने वाला इटली विकसिद दुनिया का पहला बड़ा देश बन गया था. हालांकि उस समझौते में अब तक कोई खास विकास नहीं हुआ है और देश की नई प्रधानमंत्री दक्षिणपंथी जर्जिया मेलनी ने चीन को लेकर सख्त रुख दिखाया है.
वीके/सीके (रॉयटर्स)