म्यांमार पर ईयू का नया प्रतिबंध
२२ फ़रवरी २०२२म्यांमार में 1 फरवरी 2021 को तख्तापलट के बाद से वहां की स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है. अब यूरोपीय संघ ने देश के कई प्रमुख अधिकारियों और शासन से जुड़ी चार संस्थाओं पर अपने प्रतिबंध का विस्तार किया है. पिछले साल भी 27 सदस्यीय ब्लॉक ने सैन्य अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था और म्यांमार की सेना से जुड़ी चार "आर्थिक संस्थाओं" पर कार्रवाई की थी.
सैन्य जुंटा पर चोट
यूरोपीय संघ ने ताजा कदम में सरकारी म्यांमार ऑयल एंड गैस एंटरप्राइज (एमओजीई) को भी निशाना बनाया है. एमओजीई को सैन्य जुंटा के लिए राजस्व के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देखा जाता है. सेना द्वारा नियंत्रित कंपनी पर प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य सैन्य जुंटा को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाना है. सैन्य शासन के प्रतिरोध पर जुंटा की क्रूर कार्रवाई की वैश्विक निंदा होती आई है. हालांकि, जुंटा के खिलाफ अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों के पिछले दौर में तेल और गैस कंपनियों को बाहर रखा गया है.
ईयू की ओर से जारी बयान में कहा गया, "म्यांमार में लगातार बढ़ रही हिंसा और क्षेत्रीय प्रभावों के साथ एक लंबे संघर्ष की ओर बढ़ने से यूरोपीय संघ बहुत चिंतित है. सैन्य तख्तापलट के बाद से स्थिति लगातार और गंभीर रूप से खराब हुई है." ईयू ने अपने बयान में दोहराया है कि "युद्ध के कार्य तत्काल समाप्त होने चाहिए, बल के असंगत इस्तेमाल खत्म हो और आपातकाल की स्थिति को समाप्त किया जाए."
तख्तापलट के एक साल बाद अनिश्चित है म्यांमार का भविष्य
मंत्री पर भी लगा प्रतिबंध
सोमवार को जिन 22 अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनमें उद्योग और सूचना मंत्री, चुनाव आयोग के अधिकारी और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हैं. उनकी संपत्ति फ्रीज कर दी गई है और यात्रा प्रतिबंध लगाए गए. म्यांमार और दुनिया भर में मानवाधिकार समूहों ने तर्क दिया था कि एमओजीई पर प्रतिबंध लगाने से सेना के धन का एक महत्वपूर्ण स्रोत ठप हो जाएगा.
सरकारी अनुमानों के मुताबिक म्यांमार की विदेशी मुद्रा अंतर्वाह में प्राकृतिक गैस से होने वाला राजस्व लगभग 50 प्रतिशत है. एमओजीई पर प्रतिबंध ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टोटल एनर्जी और शेवरॉन के देश छोड़ने के ऐलान के एक महीने बाद आया है. दोनों कंपनियों ने मानवाधिकारों के हनन का हवाला देते हुए देश से बाहर निकलने का फैसला किया था.
यूरोपीय संघ की प्रतिबंधों की सूची में अब 65 अधिकारी और 10 कंपनियां शामिल हो गईं हैं. म्यांमार की सेना ने 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलट कर दिया था और स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और उनके सत्तारूढ़ एनएलडी के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था. स्थानीय मानवाधिकार समूहों का दावा है कि देश में सेना का विरोध करने के दौरान 1500 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
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विश्व बैंक के मुताबिक देश के आर्थिक उत्पादन में 2021 में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, लगभग साढ़े तीन लाख लोग देश के अंदर ही विस्थापित हो चुके हैं.
एए/सीके (एएफपी,एपी)