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यूरो 2024 में कितने सुरक्षित हैं प्रशंसक

ऑलिवर मूडी
१४ जून २०२४

यूरो 2024 फुटबॉल प्रेमियों के लिए तो रोमांचक होगा, लेकिन सुरक्षा के नजरिए से जर्मनी के लिए यह टूर्नामेंट बड़ी चुनौती है. आतंकवाद के कारण खतरा बढ़ गया है. बड़ा सवाल यह है कि इस खेल के प्रशंसक कितने सुरक्षित हैं?

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बर्लिन में अमेरिकी कलाकार जोनाथन बोरोफ्स्की का बनाया दी मॉलिक्यूल मैन, जिसमें जर्मन टीम की पोशाक दिख रही है.
शीत युद्ध के आखिरी दौर में साल 1988 में तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी ने यूरो कप की मेजबानी की थी. जर्मन एकीकरण के बाद यह पहला मौका है, जब जर्मनी में इस यूरोपियन चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा है. जर्मनी अब तक तीन बार 1972, 1980 (तत्कालीन पश्चिम जर्मनी) और 1996 में यह प्रतिष्ठित मुकाबला जीत चुका है. तस्वीर: Ralf Hirschberger/AFP/Getty Images

जर्मनी में हो रहे यूरो 2024 चैंपियनशिप में फुटबॉल प्रशंसक अपनी टीमों को चैंपियन बनते देखने के लिए उत्साह और निराशा समेत कई तरह की भावनाओं का अनुभव करेंगे, लेकिन मैदान के बाहर भी काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है.

इस टूर्नामेंट के दौरान 10 शहरों में 51 मैच होने वाले हैं. इसे देखने के लिए लाखों दर्शक भी पहुंचेंगे. इस वजह से यह चैंपियनशिप सुरक्षाबलों के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती है. साथ ही, यह आशंका भी है कि इतने बड़े आयोजन को देखते हुए अशांति फैलाने वाले भी इसे निशाना बना सकते हैं.

बर्लिन में बुंडेसलिगा डर्बी मैच के दौरान स्टेडियम के बाहर मौजूद पुलिसकर्मी. तस्वीर जनवरी 2023 की है.
जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फाएजर ने आश्वासन दिया है कि यूरो 2024 चैंपियनशिप के सारे मुकाबले में सुरक्षा की काफी व्यवस्था होगी. बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे. जर्मनी महीनों से इस टूर्नामेंट के सुरक्षित आयोजन की तैयारियां कर रहा है. तस्वीर: Emmanuele Contini/Imago Images

मॉस्को पर हुए आतंकी हमले के मिली धमकी

गैर-लाभकारी संगठन 'काउंटर एक्स्ट्रीमिज्म प्रॉजेक्ट' से जुड़े हांस-याकोब शिंडलर ने डीडब्ल्यू को बताया, "जब यहां चैंपियनशिप होगी, तो उन कुछ हफ्तों के दौरान हर किसी की निगाहें जर्मनी पर टिकी रहेंगी. इसका मतलब है कि हमारे विरोधी किसी भी तरह की रुकावट पैदा करने की हर संभव कोशिश करेंगे."

इस साल की शुरुआत में मॉस्को के एक कॉन्सर्ट हॉल पर हुए हमले के बाद यूरो टूर्नामेंट पर आतंकी हमले का खतरा बढ़ गया है. मॉस्को में हुए हमले की जिम्मेदारी तथाकथित "इस्लामिक स्टेट" समूह के एक सदस्य ने ली थी. हमले में 145 लोग मारे गए थे.

इसके बाद, आईएस के प्रचार वाले मैगजीन में छपे धमकी भरे लेख में यूरो टूर्नामेंट को निशाना बनाने की बात कही गई थी. हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञ शिंडलर का कहना है कि इस तरह सार्वजनिक रूप से धमकी देना इस बात का संकेत हो सकता है कि कोई सुनियोजित हमला होने की आशंका कम है.

उन्होंने बताया, "बड़े हमलों को लेकर खुलेआम एलान नहीं किया जाता है. इस तरह की धमकियों का मतलब असल में यह होता है कि सुरक्षाबलों को ज्यादा-से-ज्यादा घबराहट दी जाए, ताकि वे हमेशा हमले के खतरे में रहें. साथ ही, यह आशंका होती है कि इससे कोई व्यक्ति अपने आप ही हमला करने के लिए प्रेरित हो जाए." ऐसी ही धमकी इस सीजन के चैंपियंस लीग के नॉकआउट चरण के दौरान भी दी गई थी, लेकिन किसी तरह की कोई घटना नहीं घटी.

काउंटर एक्सट्रीमिज्म प्रॉजेक्ट नाम के एक गैर-लाभकारी संगठन से जुड़े हांस-याकोब शिंडलर
हांस-याकोब शिंडलर आशंका जताते हैं कि लोन-वुल्फ हमले जैसी घटनाएं अभी जर्मनी के लिए सबसे बड़ा खतरा हो सकती हैं. सिर्फ मुकाबलों वाली जगहों पर ही नहीं, आसपास के इलाकों, बाजारों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे. तस्वीर: DW

यूरो 2024 के दौरान लोन-वुल्फ हमले का भी खतरा

लोन-वुल्फ हमले का मतलब है कि एक अकेला शख्स ही पूरी वारदात को अंजाम दे. जर्मनी में पहले भी लोन-वुल्फ हमला हो चुका है. 2016 में एक व्यक्ति ने बर्लिन के क्रिसमस बाजार में ट्रक घुसाकर 13 लोगों को मार डाला था. यह व्यक्ति तथाकथित 'इस्लामिक स्टेट' के विचारों से प्रेरित था.

वहीं, इस साल 31 मई को मानहाइम शहर में एक व्यक्ति ने चाकू से हमला कर छह लोगों को घायल कर दिया था. घायलों में शामिल एक पुलिस अधिकारी की बाद में मौत हो गई थी. अधिकारियों का मानना है कि हमलावर इस्लामी चरमपंथ से प्रभावित था.

शिंडलर इस तरह की घटना को जर्मनी के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हैं. वह कहते हैं, "असल चुनौती यह है कि उस व्यक्ति को पकड़ना मुश्किल होता है, जो आपकी निगरानी में नहीं है. वह शख्स खुद या अपने दोस्तों के साथ मिलकर चुपके से कट्टरपंथी विचारधारा अपना लेता है. फिर वह अचानक से चाकू लेकर किसी फैन जोन में चला जाता है और बेगुनाह लोगों पर हमला कर देता है."

मैच के दिनों में जर्मनी के स्टेडियमों में कई स्तर की सुरक्षा व्यवस्था होगी. सिर्फ टिकट वाले या मान्यता प्राप्त लोगों को ही मैदान में प्रवेश की अनुमति होगी. साथ ही, बाहर बड़ी संख्या में पुलिस की मौजूदगी में बैग और शरीर की तलाशी ली जाएगी.

हालांकि, सुरक्षा से जुड़ी सबसे जटिल चुनौती फैन जोन को लेकर होती है. यहां काफी ज्यादा लोग मौजूद होते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, स्टेडियम में आने वाले 27 लाख दर्शकों के मुकाबले फैन जोन में 1 करोड़ 20 लाख दर्शकों के आने का अनुमान है. साथ ही, टिकट की व्यवस्था न होने के कारण इस क्षेत्र में आने वालों पर नियंत्रण रखना भी मुश्किल हो जाता है.

शिंडलर कहते हैं, "यह स्पष्ट है कि फैन जोन को निशाना बनाना आतंकियों के लिए सबसे आसान है. सुरक्षा योजना बनाते समय फैन जोन को दरकिनार नहीं किया जा सकता. इन्हें स्टेडियम की तरह ही अहमियत देनी होगी. फैन जोन की सुरक्षा पर भी उतना ही ध्यान देना होगा, जितना स्टेडियम में होने वाले मैचों पर ध्यान दिया जाता है."

यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप यूरो 2024 की मेजबानी जर्मनी कर रहा है.
बड़े फुटबॉल मुकाबलों में जर्मनी चार बार विश्व कप जीत चुका है. जर्मनी ने तीन बार यूरोपियन चैंपियनशिप भी जीती है. यूरो 2024 में मेजबान जर्मनी को अपनी टीम से काफी उम्मीदें हैं. हालांकि, फ्रांस और इंग्लैंड सबसे ज्यादा पसंदीदा और मजबूत टीम मानी जा रही हैं. टूर्नामेंट का पहला मैच जर्मनी और स्कॉटलैंड के बीच 14 जून की देर शाम म्युनिख में हो रहा है.तस्वीर: Juergen Engler/nordphoto GmbH/picture alliance

यूरो 2024 में सुरक्षा के लिए तैयार हैं अधिकारी

भले ही हमले की आशंका प्रशंसकों के लिए चिंता का विषय है, लेकिन ये ऐसे खतरे हैं जिनसे निपटने के लिए अधिकारी तैयारी कर रहे हैं. यूरो 2024 के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा योजना बनाई गई है. इसके तहत, टूर्नामेंट के दौरान जर्मनी अपनी सीमा पर शेंगेन देशों से आने वाले लोगों की जांच करेगा.

एक विशेष पुलिस केंद्र स्थापित किया गया है, जहां पूरे यूरोप से जुड़ी सुरक्षा संबंधी जानकारियां इकट्ठा की जाएंगी. वहीं, स्थानीय सुरक्षा बलों को सलाह देने के लिए अन्य देशों से 300 अधिकारियों को बुलाया गया है.

जर्मनी की गृह मंत्री नैंसी फाएजर ने इस मसले पर कहा, "हमारे देश में यूरोपीय चैंपियनशिप की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. सुरक्षा से जुड़ी सभी सेवाएं बेहतर तैयारी कर रही हैं. खेल वाली सभी जगहों के साथ-साथ जहां भी बड़ी संख्या में लोग होंगे, वहां पुलिस की सख्त पहरेदारी रहेगी."

दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी सुरक्षा की स्थिति ज्यादा जटिल बन गई है. यूक्रेनी राष्ट्रीय टीम टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई कर गई है, जबकि यूईएफए ने रूस को निलंबित कर दिया है. शिंडलर कहते हैं, "रूस में यूक्रेनी टीम के खिलाफ बहुत ज्यादा दुष्प्रचार फैलाया जा सकता है. मुझे लगता है कि जहां भी यूक्रेनी टीम रहेगी या खेल रही होगी, वहां प्रदर्शन होने की काफी ज्यादा आशंका है."

शिंडलर को लगता है कि शारीरिक हमले से ज्यादा डिजिटल हमले का खतरा है. उन्होंने कहा, "यह साफ तौर पर जाहिर है कि साइबर दुनिया अब खतरा बन गई है. यह अब एक सक्रिय युद्ध क्षेत्र है."

जर्मनी ने साइबर हमलों के लिए रूस पर लगाए आरोप

क्या रूस हिंसा भड़काने के लिए इस स्तर तक जा सकता है? इस सवाल के जवाब में शिंडलर कहते हैं कि अगर कोई और ऐसा करता है, तो उससे रूस को परेशानी नहीं होगी. उन्होंने कहा, "हालांकि, मुझे नहीं लगता कि वह अभी जर्मनी में सीधे तौर पर हिंसा फैलाने की कोशिश करेगा."

यूरो 2024 की शुरुआत से पहले बर्लिन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुरक्षा बंदोबस्त की जानकारी देतीं जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फाएजर
जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फाएजर ने विश्वास जताया है कि यूरो 2024 चैंपियनशिप के सुरक्षित आयोजन के लिए हरसंभव कदम उठाए गए हैं. तस्वीर: Frederic Kern/Geisler-Fotopress/picture alliance

यूरो 2024 में दर्शकों-प्रशंसकों को भी साथ देना होगा

कुल मिलाकर, शिंडलर का मानना है कि अगर प्रशंसक टूर्नामेंट को सुचारु रूप से चलाने में सहयोग देते हैं, तो उन्हें किसी तरह की समस्या नहीं होगी. प्रशंसकों को यह सोचने की जरूरत नहीं है कि उन्हें किसी तरह का खतरा हो सकता है. सब कुछ अच्छी तरह से व्यवस्थित और सुरक्षित है. हालांकि, इसके लिए प्रशंसकों को भी थोड़ी सहायता करनी होगी. उन्हें किसी तरह की हिंसा या मूर्खतापूर्ण हरकत नहीं करनी होगी. अगर उन्हें कुछ गलत दिखे, तो तुरंत इसकी सूचना दें.

गृह मंत्री नैंसी फाएजर का भी यही मानना है. वह कहती हैं, "बेशक, खतरा है और हमें उन्हें पहचानना होगा. हम आतंकवादी हमलों और अन्य चीजों से बचने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. हम सुरक्षा के लिए काफी कुछ कर रहे हैं. हम सभी को आमंत्रित करते हैं कि वे हमारे मेहमान बनें."