सीमाएं बंद करके क्या प्रवासियों को रोक सकेगा यूरोप
१७ अगस्त २०२३यूरोपियन यूनियन बॉर्डर एंड कोस्ट गार्ड एजेंसी फ्रॉन्टेक्स का अनुमान है कि यूरोपीय संघ में आने वाले प्रवासियों और शरण चाहने वालों की संख्या में एक बार फिर से बढ़ोतरी होगी. फ्रॉन्टेक्स के मुताबिक, 2022 में करीब 3,30,000 लोग कथित तौर पर अवैध तरीके से सीमा पार करके यूरोप पहुंचे थे. यह 2016 के बाद दर्ज किया गया सबसे अधिक आंकड़ा है. एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि इस साल यह आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है.
वजह यह है कि मध्य भूमध्य मार्ग से वसंत ऋतु के दौरान सामान्य से करीब तीन गुना अधिक लोग अवैध तरीके से इटली पहुंचे हैं. इसलिए, यूरोपीय संघ के सदस्य देश और यूनाइटेड किंगडम अपने देशों में लोगों को अवैध तरीके से पहुंचने से रोकने के लिए सख्त कानून, नियम और शरण प्रक्रियाओं को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं.
जर्मनी पर दबाव
जर्मन शहर और नगर-पालिकाएं कह रही हैं कि नए लोगों के लिए आवास मुहैया कराना और उन्हें अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना काफी मुश्किल काम है. जर्मनी की भौगोलिक स्थिति की वजह से भले ही ज्यादातर प्रवासी सबसे पहले यहां नहीं पहुंचते हैं, लेकिन यूरोपीय संघ में शरण पाने की चाह रखने वाले लोगों में से करीब एक-चौथाई जर्मनी में शरण के लिए आवेदन करते हैं. यूरोपीय संघ के कानून के तहत, जर्मनी इन आवेदनों पर फैसला लेने के लिए तकनीकी तौर पर जिम्मेदार नहीं है. इसलिए, जर्मनी की संघीय और राज्य सरकारें उन प्रवासियों के लिए सख्त निर्वासन और हिरासत नियमों को अपनाने पर सहमत हुई जिन्हें देश से बाहर निकाला जाना है.
हालांकि, जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने अब तक अवैध तरीके से देश में आने वालों को रोकने के लिए जर्मन-पोलिश सीमा पर जांच बढ़ाने से इनकार कर दिया है. वहीं, जर्मनी और ऑस्ट्रिया की सीमा पर कई वर्षों से जगह-जगह पर जांच की जा रही है, क्योंकि यह बाल्कन माइग्रेशन रूट के अंत में स्थित है.
यूरोपीय देश सख्त
फ्रांस, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड और यूके जैसे अन्य देश सख्त उपाय अपनाकर अवैध तरीके से आने वाले लोगों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, ब्रिटेन ने रवांडा के लोगों के लिए शरण की प्रक्रिया को आउटसोर्स करने या प्रवासियों को जहाजों पर रखने की धमकी दी है.
डेनमार्क रवांडा में शरणार्थी केंद्र खोलने में असफल रहा, फिर भी वहां की सरकार ने हाल के वर्षों में शरण की प्रक्रिया को सख्त बना दिया है. डेनमार्क जर्मनी की सीमा से लगे इलाकों में वर्षों से जांच की प्रक्रिया को बनाए हुए है. शायद यही वजह है कि डेनमार्क में हर महीने सिर्फ 180 लोग ही शरण के लिए आवेदन करते हैं. यह ऑस्ट्रिया जैसे देशों की तुलना में काफी कम है, जहां 2022 में हर महीने शरण के लिए 4,000 से 11,000 के बीच आवेदन मिले.
कैसे पहुंचते हैं यूरोप
प्रवासी अपनी भौगोलिक स्थिति के आधार पर सबसे पहले इटली, ग्रीस, माल्टा, साइप्रस, क्रोएशिया और पोलैंड पहुंचते हैं. अब ये देश भी प्रवासियों को रोकने के लिए सख्त उपाय अपना रहे हैं. यूरोपीय संघ की कुछ बाहरी सीमाओं को प्रभावी तरीके से बंद कर दिया गया है, जैसे कि एवरोज नदी के साथ लगी ग्रीक-तुर्की की सीमा. इससे यूरोपपहुंचने के बस दो ही रास्ते बच गए हैं. एक है खतरनाक समुद्री मार्ग और दूसरा है जाली या सही वीजा लेकर विमान से यूरोप पहुंचना. इस तरह की बाहरी सीमाओं को सील करने के उपाय को ‘यूरोपीय संघ की बाहरी सीमाओं की रक्षा करना' कहा गया है और यूरोपीय संघ के कई मंत्रियों ने इसका समर्थन किया है.
इटली जहाज में फंसे लोगों को अपने बंदरगाह तक लाने वाले निजी बचाव जहाजों पर भी नकेल कसने की कोशिश कर रहा है. यह उपाय भी प्रवासियों को रोकने के लिए अपनाया गया है. हालांकि, भूमध्य सागर के देश अभी भी प्रवासियों को अपने तटों पर आने से रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इसलिए, इटली की सरकार चाहती है कि ट्यूनीशिया सबसे पहले प्रवासियों को यूरोपीय संघ जाने वाले जहाजों पर चढ़ने से रोके. इसके लिए वह ट्यूनीशिया को आर्थिक मदद भी करना चाहती है. साथ ही, एक समझौते को लेकर भी बातचीत चल रही है. इसकी मुख्य वजह यह है कि ट्यूनीशिया से इटली पहुंचने की कोशिश करने वाले लोगों की संख्या इस साल दस गुना बढ़ गई.
मीडिया और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने बताया कि ग्रीक, क्रोएशियाई और पोलिश सीमा पर तैनात सुरक्षाबल नए प्रवासियों को अपने देश में पहुंचने से रोकने के लिए धक्का-मुक्की भी करते हैं. इन देशों में अवैध तरीके से प्रवेश करते पकड़े जाने पर प्रवासियों को उचित प्रक्रिया के बिना जबरन उसी देश में लौटा दिया जाता है जहां से वे आए थे. हालांकि, संबंधित अधिकारियों ने इस तरह की घटनाओं से इनकार किया है.
प्रवासियों की जबरन वापसी
हंगरी की सरकार ने कहा कि वह किसी भी प्रवासन को अनुमति नहीं देती है. अवैध तरीके से देश में प्रवेश करने वाले प्रवासियों को बिना मुकदमे के निर्वासित किया जा सकता है. हंगरी ऐसा 2015 के ‘आपातकालीन कानून' के आधार पर करता है. यूरोपीय अदालतों ने इस प्रथा को अवैध करार दिया है.
हालांकि, हंगरी की सरकार ने ईयू की अदालतों के फैसलों को नजर अंदाज किया है और प्रवासियों को तुरंत वापस भेजने की नीति को सफल मानती है. पिछले साल हंगरी में सिर्फ 44 लोगों ने शरण के लिए आवेदन किया था. इसकी वजह यह भी है कि शरण के लिए आवेदन सिर्फ हंगरी के दूतावासों के जरिए ही किए जा सकते हैं.
शरणार्थियों और निर्वासन पर यूरोपीय परिषद के अनुसार, करीब 1,50,000 लोगों को बिना किसी प्रक्रिया के हंगरी से सर्बिया लौटा दिया गया. हंगरी की सरकार ने कहा कि यह उपाय कारगर है, इसलिए ईयू के नए शरणार्थी कानून के तहत काम करने का कोई मतलब नहीं दिखता.
यूरोपीय संघ का आप्रवासन कोटा
जर्मनी की संसद बुंडेस्टाग में क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीएसयू) के संसदीय समूह के अध्यक्ष थॉर्स्टन फ्राई ने आप्रवासन कोटा को लेकर कहा था कि यूरोपीय संघ में शरण के व्यक्तिगत अधिकार की गारंटी को खत्म कर देना चाहिए.
वहीं, दूसरी ओर शरणार्थी संगठनों ने बताया कि ईयू की नीति की वजह से इसके सदस्य देशों में प्रवेश करना काफी मुश्किल है, क्योंकि शरण चाहने वालों को यूरोपीय संघ में मौजूद कार्यालय में ही आवेदन करना होता है. इसका मतलब है कि जो लोग ईयू पहुंचने में कामयाब रहते हैं वे वहां रह सकते हैं, भले ही उनका आवेदन खारिज कर दिया जाए. शायद ही किसी को उनके मूल देश वापस भेजा जाता है.
ईयू पहुंचने वाले 90 फीसदी से अधिक सीरियाई और अफगान शरणार्थियों को शरण मिलने की उम्मीद होती है. वहीं, पाकिस्तान या तुर्की जैसे देशों के 75 फीसदी से ज्यादा लोगों के आवेदन अस्वीकार कर दिए जाते हैं. इसके बावजूद, ज्यादातर लोगों को उनके देश वापस नहीं भेजा जाता.