दाने-दाने को तरसते अफगान
अफगानिस्तान में अब ऐसे लोगों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है जो खाद्य असुरक्षा की स्थिति में रहने को मजबूर हैं. दो करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों को तत्काल मदद की जरूरत है. देश की हालत हर रोज खराब हो रही है.
एक तस्वीर जो नहीं बदलती
समय के साथ अफगानिस्तान की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. देश की लगभग 95 प्रतिशत आबादी को जरूरत से कम भोजन के साथ ही गुजारा करना पड़ रहा है.
और गरीब हुआ दुनिया का सबसे गरीब देश
हाल ही में विश्व बैंक ने कहा कि तालिबान की वापसी के साथ ही 2021 के अंतिम चार महीनों में प्रति व्यक्ति आय में एक तिहाई से अधिक की गिरावट आई है. विश्व बैंक ने अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर पूर्वानुमान जताया है.
भोजन के लिए नहीं पैसे
विश्व बैंक के अपडेट में कहा गया है कि आय में इतनी गिरावट आई है कि लगभग 37 फीसदी अफगान परिवारों के पास भोजन पर खर्च करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है, जबकि 33 फीसदी भोजन का खर्च उठा सकते हैं लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं.
खाने की दुकान के सामने भूखों की भीड़
देश में गरीबी का यह आलम है कि लोग खाना नहीं खरीद सकते हैं. ऐसे लोगों को होटलों के सामने खड़ा होना पड़ता है. कई बार स्थानीय लोग रोटी खरीदकर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं या फिर सहायता समूह उन तक रोटी पहुंचाते हैं.
सूखे का असर
सूखे के कारण कृषि उत्पादों की उपज में भी कमी आई है. इस तस्वीर में काबुल नदी सूखी हुई दिख रही है.
विदेशी खाद्य सहायता
संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के मुताबिक कम से कम 2.3 करोड़ अफगान या देश की लगभग आधी आबादी, भोजन के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर है. इस तस्वीर में तालिबान लड़ाके एक विदेशी सहायता ट्रक में भोजन ले जा रहे हैं.
चीन की मदद पहुंची
अफगानिस्तान के शरणार्थी मामलों के मंत्रालय ने 23 अप्रैल को 1,500 जरूरतमंद लोगों को चीन द्वारा दान की गई मानवीय सहायता बांटी. चीन ने खाद्य सामग्री के अलावा दवा और कोविड वैक्सीन भी अफगानिस्तान को दी है.
मदद की अपील
जनवरी 2022 में यूएन ने संकटग्रस्त देश के लिए जो मानवीय मदद की अपील जारी की थी, वो किसी एक देश के लिए अभी तक की सबसे बड़ी अपील थी. इसमें साल 2022 के दौरान अफगानों की मदद करने के लिए पांच अरब डॉलर की सहायता राशि जुटाने की अपील की गई है.