1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या महात्मा गांधी भारत-पाकिस्तान विभाजन के समर्थन में थे?

ऋषभ कुमार शर्मा
२ अक्टूबर २०१९

सोशल मीडिया पर अकसर ये बात कही जाती है कि गांधी भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समर्थक थे. इसके समर्थन में कई गलत तर्क भी दिए जाते हैं. लेकिन ये सच नहीं है. जानिए भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर क्या थी महात्मा गांधी की राय.

https://p.dw.com/p/3QeZu
Indien Mahatma Gandhi
तस्वीर: AP

सोशल मीडिया पर महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के बारे में ऐसी कई बातें फैलाई जा रही हैं, जिनका तथ्य से कोई लेना देना नहीं है. भारत का दक्षिणपंथी समुदाय गांधी और नेहरू को विलेन साबित करने में लगा है. इसी कड़ी में कई सारी ऐसी झूठ फैलाई जाती हैं जिससे गांधी को विलेन साबित किया जा सके. सोशल मीडिया के जमाने में लोग वॉट्सऐप और फेसबुक पर आए मैसेजों को सच मान अपनी राय कायम कर लेते हैं. हम आपको गांधी के बारे में चलने वाले कुछ झूठ और उनके पीछे की सच्चाई बताएंगे.

भ्रम- गांधी भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समर्थक या उसके जिम्मेदार हैं.

सच- गांधी के बारे में कई किताबों को पढ़ने के बाद यह पता चलता है कि गांधी कभी बंटवारे के समर्थक नहीं थे. 'सारे जहां से अच्छा' गीत लिखने वाले मोहम्मद इकबाल ने 1930 में सबसे पहले मुस्लिमों के लिए अलग देश की मांग उठाई थी. जिन्ना उस समय राजनीति से कुछ समय के लिए दूर हो गए. लेकिन इकबाल ने उनसे मुस्लिमों का नेतृत्व करने की मांग की. मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में इस मांग को आगे बढ़ाया. 1933 में तीसरे गोलमेज सम्मेलन के दौरान रहमत अली ने मुस्लिमों के लिए अलग देश 'पाकिस्तान' का जिक्र किया. समय के साथ ये मांग आगे बढ़ती रही.

Pakistan - Muhammad Ali Jinnah
मोहम्मद अली जिन्ना.तस्वीर: picture alliance/CPA Media/Pictures From History

 उस समय मौजूद हिंदू कट्टरपंथी संगठनों ने इस मांग को आगे बढ़ाते हुए धार्मिक आधार पर हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग देश की मांग की. 1937 में अहमदाबाद में हुए हिंदू महासभा के अधिवेशन में विनायक दामोदर सावरकर उर्फ वीर सावरकर ने कहा था, "भारत आज एक यूनिटेरियन और समरूप राष्ट्र नहीं हो सकता है. यहां दो राष्ट्र होंगे एक हिंदू और एक मुस्लिम." (रेफरेंस: Vide writings Swatantrya Veer Savarkar, Vol. 6 page 296, Maharashtra Prantiya Hindu Mahasabha, Pune). 1945 में भी सावरकर ने फिर से दो राष्ट्रों के सिद्धांत की बात की. उन्होंने कहा "दो राष्ट्रों के मुद्दे पर मेरा जिन्ना से कोई मतभेद नहीं है. हम हिंदू अपने आप में एक राष्ट्र हैं. और ये एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग अलग राष्ट्र हैं." (रेफरेंस: vide Indian Educational Register 1943 vol. 2 page 10).

इस सबके विपरीत गांधी कभी भी भारत के बंटवारे के पक्ष में नहीं थे. गांधी और कांग्रेस ने भारत के बंटवारे के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया. इसके बाद भारत के कई इलाकों में हिंदू मुस्लिम दंगे भी हुए. लेकिन 1946 में हुए चुनावों ने स्थितियां बदल दीं. इन चुनावों में कांग्रेस को 923 और मुस्लिम लीग को 425 सीटें मिलीं. मुस्लिम लीग को पंजाब और बंगाल में अच्छी खासी सीटें मिलीं. इसके बाद पाकिस्तान की मांग ने तेजी पकड़ ली. हिंदू कट्टरपंथी भी ऐसा ही चाहते थे. 5 अप्रैल 1947 को गांधी ने लॉर्ड माउंटबेटन को पत्र लिखकर कहा कि वो जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री बनाने के लिए तैयार हैं लेकिन भारत का विभाजन नहीं किया जाए. वरिष्ठ पत्रकार शाजेब जिलानी के मुताबिक, "जिन्ना को असुरक्षा थी कि वो प्रधानमंत्री तो बन जाएंगे लेकिन अंग्रेजों के जाने के बाद हिंदू बहुसंख्यक चुनावों में उन्हें वोट नहीं देंगे. ऐसे में सत्ता वापस हिंदुओं के हाथ में चली जाएगी. और मुस्लिमों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व खत्म हो जाएगा. ऐसे में अलग देश से ही मुस्लिमों के हितों की रक्षा होगी."

Flash-Galerie Indien Mahatma Gandhi
तस्वीर: AP

जिन्ना गांधी को भारत के नेता की तरह ना देखकर हिंदुओं के नेता की तरह देखते थे. जिन्ना अपनी मांग पर अड़े रहे. लॉर्ड माउंटबेटन ने कांग्रेस के नेताओं को दो देश बनाने को लेकर राजी कर लिया गया. गांधी को इस बारे में बाद में पता चला था. भारत की आजादी बंटवारे के साथ हुई थी. गांधी आजादी के किसी जश्न में शामिल नहीं हुए. वो बंगाल में हो रहे दंगों को रोकने चले गए. गांधी ने कहा था कि भारत के शांत होने के बाद वो पाकिस्तान भी जाएंगे. इसके लिए वो कोई पासपोर्ट नहीं लेंगे क्योंकि पाकिस्तान भी उन्हीं का देश हैं और अपने देश जाने के लिए उन्हें पासपोर्ट नहीं चाहिए. हालांकि इससे पहले उनकी हत्या कर दी गई. गांधी भारत के बंटवारे के कभी समर्थक नहीं थे. लेकिन परिस्थितियों के चलते भारत का बंटवारा हुआ.

इस लेख में दी गई कई जानकारियां गांधी सेवाग्राम आश्रम, वर्धा की वेबसाइट, मार्क शेपर्ड की किताब 'गांधी और उनसे जुड़े झूठ 'और पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव लोचन के साथ बातचीत पर आधारित हैं.

_______________

हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

फैक्ट चैक: क्या गांधी ने भगत सिंह की फांसी को रोकने की कोशिश नहीं की?

फैक्ट चैक: क्या गांधी भारत के बीच से पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान को गलियारा देना चाहते थे?

फैक्ट चैक: क्या गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ दिलाने के लिए अनशन किया था?