एम्सटर्डम में मशहूर क्राइम रिपोर्टर पर जानलेवा हमला
७ जुलाई २०२१डच पत्रकार पेटर आर दे विरीज पर हमला मंगलवार शाम नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम में हुआ. चश्मदीदों के मुताबिक 64 साल के पत्रकार और टीवी एंकर दे विरीज पर करीब साढ़े सात बजे पांच गोलियां दागी गईं. एक गोली क्राइम रिपोर्टर के सिर पर लगी. हमले से ठीक पहले दे विरीज एक टीवी शो करके स्टूडियो से निकले थे.
एम्सटर्डम की मेयर फेम्के हालजेमा के मुताबिक दे विरीज अस्पताल में "जिंदगी के लिए संघर्ष" कर रहे हैं. पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें संदिग्ध हमलावर भी शामिल है. इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है.
प्रेस की आजादी पर हमला
नीदरलैंड्स के अखबार हेट पारूल ने वारदात के पास रहने वाली एक महिला का बयान छापा है. महिला का कहना है कि उसने पांच गोलियों की आवाज सुनी. क्या हुआ है, ये देखने के लिए वह जब बाहर निकलीं तो दे विरीज जमीन पर गिरे थे और उनका चेहरा खून से लथपथ था. महिला के मुताबिक वह कुछ बोल नहीं सके लेकिन उनकी सांसें चल रही थीं. इसी महिला ने इमरजेंसी सर्विस को बुलाया और एंबुलेंस आने तक दे विरीज को सहारा दिया.
नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रुटे ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस हमले की निंदा करते हुए कहा, "यह एक साहसी पत्रकार और हमारे लोकतंत्र व कानून सम्मत शासन के लिए अनिवार्य प्रेस की आजादी पर हमला है." वारदात के बाद डच प्रधानमंत्री ने डच नेशनल कोऑर्डिनेटर फॉर सिक्योरिटी एंड काउंटरटेरेरिज्म के दफ्तर में न्याय मंत्री से बातचीत की.
नीदरलैंड्स के न्याय मंत्री फेर्डिनांड ग्रापरहाउज ने वारदात को एक काला दिन करार देते हुए कहा, "हम चाहते हैं कि नीदरलैंड्स में पत्रकारों को अपनी छानबीन करने का पूरी आजादी हो. आज शाम इसी आजादी पर गंभीर प्रहार किया गया है."
यूरोपीय संघ और आम लोगों ने भी हमले की कड़ी निंदा की है.
कौन हैं दे विरीज
दे विरीज का नाम दुनिया के दिग्गज क्राइम रिपोर्टरों में शुमार है. अपहरण, खुफिया एजेंसियों के अपराध और ड्रग्स की तस्करी में यूरोप से लेकर अमेरिका तक उनकी रिपोर्टिंग की चर्चा होती है. कई हाई प्रोफाइल मामलों का पर्दाफाश करने की वजह से दे विरीज को हत्या की धमकियां काफी समय से मिल रही थीं. एक बार उन्हें पुलिस सुरक्षा भी दी गई.
1983 में दे विरीज ने नीदरलैंड्स के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शुमार फ्रेडी हाइनेकन के अपहरण पर पहली किताब लिखी. बाद में इसी कांड से जुड़ी उनकी दूसरी किताब आई. इन किताबों में उन्होंने बताया कि फ्रेडी हाइनेकन कैसे 3.5 करोड़ गिल्डर्स (यूरो अपनाने से पहले नीदरलैंड्स की मुद्रा) देकर छूटे. उनकी किताबों के आधार पर एक फिल्म "किडनैपिंग फ्रेडी हाइनेकन" भी बनी.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या के मामले में भी दे विरीज की रिपोर्टिंग अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए पर कई सवाल खड़ी करती है.
2003 में उन्होंने डच रॉयल परिवार की सदस्य राजकुमारी माबेल के ड्रग्स माफियाओं से रिश्ते को भी उजागर किया. दे विरीज ने अपराधियों, ड्रग तस्करों, राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों के अपराधों को भी बेहद गहन रिसर्च से सार्वजनिक किया. अपहरण के मामलों में वह पीड़ित परिवारों के साथ खड़े रहे.
ओएसजे/एए (एपी, एएफपी)