भूख हड़ताल से बात मानेगी सरकार?
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. दूसरी ओर सरकार पर दबाव बनाने के लिए सोमवार 21 दिसंबर से किसानों ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी. सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर 11 किसान 24 घंटे की भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
भूख हड़ताल
किसानों ने सोमवार 21 दिसंबर से क्रमिक भूख हड़ताल की शुरुआत कर दी. देशभर में जहां भी किसान आंदोलन कर रहे हैं वहां वे 24-24 घंटे की पारी में भूख हड़ताल करेंगे. उनकी कोशिश है कि इस तरह से वे सरकार पर दबाव बना पाएंगे.
11-11 किसान करेंगे भूख हड़ताल
दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां आंदोलन चल रहा है, वहां हर रोज 11-11 किसान भूख हड़ताल करेंगे, जब इनके 24 घंटे पूरे होंगे तो अगले दिन दूसरे किसान नेता भूख हड़ताल शुरू कर देंगे.
भोजन त्यागने की अपील
आंदोलनकारी किसानों ने देशभर के लोगों से किसान दिवस के मौके पर एक समय का भोजन त्याग कर किसानों का सम्मान करने की अपील की है. हर साल 23 दिसंबर किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
तेज होता आंदोलन
किसान दिल्ली की सीमाओं पर कई दिनों से डटे हुए हैं. वे राशन-पानी के साथ अपना आंदोलन चला रहे हैं. किसान संगठनों को आम लोगों के साथ-साथ अन्य संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है.
आंदोलन में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि
आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए सभा आयोजित की गई और उनकी तस्वीरों पर फूल चढ़ाए गए. किसानों का कहना है कि उन्होंने तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के लिए अपनी जान दी.
"श्रद्धांजलि दिवस"
किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से जान गंवाने वाले 30 किसानों को रविवार 20 दिसंबर को गाजीपुर बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर श्रद्धांजलि दी गई. इन लोगों की मौत ठंड, बीमारी और सड़क हादसों में हुई थी.
कला जगत के लोगों का समर्थन
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में कलाकार भी उतर रहे हैं. मशहूर कव्वाल साबरी सूफी ब्रदर्स ग्रुप अपने अन्य कलाकारों के साथ सिंघु बॉर्डर पर रविवार को पहुंचे और किसान आंदोलन को समर्थन दिया.
सर्द रात और आंदोलन
दिल्ली-एनसीआर में इस वक्त कड़ाके की ठंड पड़ रही है. खुले आसमान के नीचे ना सिर्फ किसानों के लिए बल्कि सुरक्षाबलों के लिए रात गुजारना मुश्किल भरा है. किसान आग जलाकर सर्द हवाओं से बचने की कोशिश करते हैं. वे अपने साथ रजाई और कंबल भी लेकर आए हैं.
आंदोलन का अंत कब?
कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन 26 नवंबर से जारी है. कड़ाके की ठंड में सीमाओं पर डटे किसान कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. किसानों का कहना है कि सरकार अगर कानून वापस लेती है तो वे दो घंटे में बॉर्डर खाली कर चले जाएंगे. किसानों का कहना है कि उनका राजनीतिक दलों से कोई लेना देना नहीं है. इस बीच सरकार ने एक बार फिर बातचीत का न्योता भेजा है.