ग्रैफीन सेमीकंडक्टरों से कंप्यूटर की दुनिया में क्रांति
१२ जनवरी २०२४वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉनिक्स में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. ये ग्रैफीन से बना दुनिया का पहला सेमीकंडक्टर है. ये सामग्री अपनी सख्ती, लचीलेपन, हल्केपन और उच्च प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है.
ये खोज ऐसे समय में हुई है, जब सिलिकॉन का इस्तेमाल हदें छू रहा है. कमोबेश तमाम आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उसी की मदद से बनाए जाते हैं. सिलिकॉन के मुकाबले ग्रैफीन की तेज रफ्तार और ऊर्जा सामर्थ्य को देखते हुए वैज्ञानिक उससे सेमीकंडक्टर बनाने की दिशा में काम कर रहे थे.
3 जनवरी को नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन ने नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोगी एक ग्रैफीन सेमीकंडक्टर के बारे में जानकारी दी. लेखकों का कहना है कि ये खोज अगली पीढ़ी की कम्प्यूटिंग की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है. इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण के तरीकों में बदलाव का नया रास्ता खुल सकता है.
अमेरिका में जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में कार्यरत और अध्ययन के शीर्ष लेखक वॉल्टर डी हीर ने एक प्रेस रिलीज में बताया, "हम नहीं जानते इन खोजों का अंत कहां होगा, लेकिन हम जानते हैं कि हम इलेक्ट्रॉनिक्स में एक प्रमुख बदलाव का दरवाजा खोल रहे हैं. ग्रैफीन एक अगला कदम है. उसके आगे के कदम क्या होंगे, हमें नहीं मालूम लेकिन हो सकता है कि ग्रैफीन अगले 50 साल तक इस पूरे बदलाव का स्रोत बन जाए."
सिलिकॉन सेमीकंडक्टरों के दिन लद रहे हैं
फोन या लैपटॉप में लगी चिप, सिलिकॉन के जरिए प्रवाहित होने वाली बिजली का इस्तेमाल करती है. ब्रिटेन स्थित मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में नेशनल ग्रैफीन इंस्टिट्यूट में प्रोफेसर सारा हाइग कहती हैं, "सेमीकंडक्टरों की बदौलत ही कंप्यूटर काम कर पाते हैं. उनकी मदद से हम छोटे-छोटे स्विच बना लेते हैं, जिन्हें ऑन या ऑफ कर बिजली प्रवाहित कराई जा सकती है. सर्किट के जरिए बहने वाली इसी बिजली की मदद से कंप्यूटर गणनाएं कर पाते हैं."
क्रेडिट कार्ड से लेनदेन में, कार स्टार्ट करते हुए, बस और ट्रेन का दरवाजा खोलते वक्त और स्मार्टफोन या लैपटॉप चलाते समय हम सिलिकॉन सेमीकंडक्टरों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इनकी अपनी सीमाएं होती हैं, जिसकी वजह से वैज्ञानिक एक नई सामग्री की तलाश में जुट गए.
सारा हाइग ने डीडब्ल्यू को बताया, "सिलिकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स को काफी बड़ी मात्रा में ताकत और ऊर्जा की जरूरत पड़ती है. इसमें उपकरणों को ठंडा करने वाली ऊर्जा भी शामिल है."
ग्रैफीनः एक निराली चीज
इसके जवाब में एक विकल्प था, ग्रैफीन. ग्रैफीन कार्बन अणुओं की एक अकेली परत होती है. यह एक द्विआयामी सामग्री है, जो अब तक ज्ञात सबसे शक्तिशाली कैमिकल बॉन्ड्स की मदद से परस्पर जुड़े होते हैं. ये कार्बन अणु एक जैसे हेक्सागन आकारों में व्यवस्थित होते हैं, करीब-करीब मधुमक्खी के छत्ते की तरह.
ग्रैफीन अविश्वसनीय रूप से मजबूत सामग्री है, इस्पात से 200 गुना मजबूत. ये इतना मजबूत होता है कि ग्रैफीन की सिर्फ एक आणविक परत से आप एक फुटबॉल को उठा सकते हैं. ग्रैफीन लचीला भी बहुत होता है. इसीलिए बिजली के उपकरणों और बैट्रियों में इस्तेमाल के लिए आदर्श है. उसे कांच, प्लास्टिक या कपड़ों पर भी प्रिंट किया जा सकता है.
लेकिन ज्यादा तेज गति और ऊर्जा खपत के लिहाज से ज्यादा उपयुक्त सेमीकंडक्टर के रूप में उसके सामर्थ्य पर वैज्ञानिक सबसे ज्यादा निहाल हैं. सारा हाइग कहती हैं, "ग्रैफीन की शानदार स्पीड और ज्यादा ऊर्जा खर्च किए बिना इलेक्ट्रॉन प्रवाहित करने की क्षमता उसे सिलिकॉन से आगे की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया के निर्माण में काम आने वाली एक बड़ी संभावना बनाती है. यहां कंप्यूटरों की गति तेजी होगी और उन्हें चलाने के लिए बहुत कम ऊर्जा चाहिए होगी."
पहला कार्यशील ग्रैफीन सुपरकंडक्टर
ग्रैफीन में कुछ बड़ी कमियां हैं, जिनकी वजह से इलेक्ट्रॉनिक्स में उसका उपयोग नहीं हो पाया. ऐसी ही एक प्रमुख समस्या है, "बैंड गैप प्रॉब्लम." सारा हाइग का कहना है, "इस क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिक एक दशक से भी अधिक समय से इलेक्ट्रॉनिक सर्किटों में ग्रैफीन की इस विशेष कंडक्टिविटी को समझने की कोशिश कर रहे हैं."
बैंड गैप एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक विशेषता है, जिसकी बदौलत सेमीकंडक्टर स्विच को ऑन या ऑफ कर पाते हैं. ग्रैफीन में अभी तक बैंड गैप नहीं था. डी हीर की टीम ने सिलिकॉन कार्बाइड की विशेष चिपों पर ग्रैफीन को तैयार करने के तरीके को खंगाला. इस रिसर्च में 10 साल लग गए. टीम ने इस दौरान सामग्रियों को रिफाइन किया और ग्रैफीन की रासायनिक विशेषताओं में बदलाव किए, तब जाकर वे एक मुकम्मल ढांचा हासिल कर पाए.
आखिरकार, सिलिकॉन की टक्कर में ग्रैफीन एक उच्च गुणवत्ता वाले सेमीकंडक्टर की तरह काम करने लायक बन पाया. डी हीर कहते हैं, "ग्रैफीन की अच्छी बात ये है कि उसकी मदद से चीजें आकार में ज्यादा छोटी और रफ्तार में और तेज बनाई जा सकती हैं, ऐसी चीजें जो उष्मा को बेकार नहीं जाने देतीं. ग्रैफीन में दरअसल इलेक्ट्रॉन की उन विशेषताओं का इस्तेमाल हो रहा होता है, जो सिलिकॉन में पहुंच से बाहर हैं. इसीलिए ये एक बड़ा भारी बदलाव है. ये इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया का उलट-पलट है."
ज्यादा तेज, ज्यादा ऊर्जा बचत वाली इलेक्ट्रॉनिक्स
जानकार कहते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में इनोवेशन की बड़ी संभावनाए हैं. वो हमें नए ग्रैफीन सेमीकंडक्टर बनाने में मदद कर सकती है, जो सिलिकॉन की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली हैं और कम ऊर्जा खर्च करते हैं.
सारा हाइग कहती हैं, "ग्रैफीन इलेक्ट्रॉनिक्स ज्यादा कारगर इसलिए हैं कि उन्हें बंद होने या खुलने के लिए कम ऊर्जा चाहिए. वरना प्रक्रिया को ठंडा करने के लिए पंखों की जरूरत होती है, यानी और ऊर्जा की खपत." वह कहती हैं, "इसका मतलब है कि बैटरी खत्म हुए बिना फोन हफ्तों चल सकते हैं, हम अपनी जिंदगी में ऊर्जा खपत कम कर सकते हैं, कीमतें कम होंगी और जीवाश्म ईंधनों का प्रदूषण भी."
डी हीर कहते हैं कि उनकी खोज इलेक्ट्रॉनिक्स के भविष्य को बदल सकती है. जैसे कि, नया ग्रैफीन सेमीकंडक्टर क्वांटम कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों के विकास को गति दे सकता है.
क्वांटम कंप्यूटर कुछ ही सेकंड में समस्याएं हल कर सकते हैं, जिन्हें हल करने में साधारण सुपर कंप्यूटरों को सदियां लग जाएंगी. लेकिन ऐसे कंप्यूटर अभी विकास की अवस्था में हैं. जानकारों का मानना है कि ग्रैफीन सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटरों के निर्माण से जुड़ी कई चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकते हैं.