1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतियूक्रेन

यूक्रेन की लड़ाई में फंसा परमाणु संयंत्र खतरे में है

११ अगस्त २०२२

यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु बिजली घर यूक्रेन और रूस की लड़ाई में फंस गया है. प्लांट पर गोलीबारी के लिये दोनों देशों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय परमाणु हादसे की आशंका से चिंता में है.

https://p.dw.com/p/4FOoN
परमाणु संयंत्र के बाहर एक रूसी सैनिक
परमाणु संयंत्र के बाहर एक रूसी सैनिकतस्वीर: AP/picture alliance

दक्षिणी यूक्रेन का जापोरिझिया परमाणु संयंत्र एनरहोदर शहर के नजदीक और डिनीपर नदी के तट पर है. यह दुनिया के 10 सबसे बड़े परमाणु संयंत्रों में एक है. सोवियत संघ के जमाने में बने इस परमाणु संयंत्र में छह रिएक्टर हैं और इसकी कुल क्षमता 5,700 मेगावाट की है. फिलहाल इसके तीन रिएक्टर चल रहे हैं. युद्ध के पहले यूक्रेन में परमाणु ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली का आधा हिस्सा इसी संयंत्र से आता था. यूक्रेन में कुल 15 रिएक्टर हैं जो 4 संयंत्रों में लगे हैं. 1986 में परमाणु हादसे का शिकार हुआ चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र भी यूक्रेन में ही है जो अब बेकार पड़ा है.

24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करने के कुछ ही दिनों बाद रूसी सैनिकों ने इस परमाणु संयंत्र पर कब्जा कर लिया. मार्च की शुरुआत में दोनों के बीच हुई गोलीबारी की चपेट में यह संयंत्र भी आया था. इस गोलीबारी की वजह से प्लांट के ट्रेनिंग कॉम्पलेक्स में आग भी लग गई थी.

रूसी सेना ने यूक्रेनी स्टाफ को वहां रहने दिया गया है और संयंत्र का कामकाज वही लोग देख रहे हैं. यूक्रेन की सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों में बिजली की सप्लाई यहीं से जा रही है. हालांकि संयंत्र के आस पास चल रही लड़ाई के कारण हादसे की आशंका बढ़ गई है. विशेषज्ञ चेर्नोबिल जैसे हादसे की आशंका जता रहे हैं. चेर्नोबिल में एक रिएक्टर फट गया था और घातक विकिरण एक बड़े इलाके में फैल गया. यह दुनिया में परमाणु हादसे की सबसे बड़ी घटना थी.

रूसी सैनिकों ने चेर्नोबिल को भी अपने नियंत्रण में ले लिया था लेकिन मार्च के आखिर में उस इलाके से निकलने के बाद उसे यूक्रेनी लोगों को वापस सौंप दिया.

रूस और यूक्रेन के एक दूसरे पर आरोप

यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूस संयंत्र में सैनिक और हथियार जमा कर रहा है ताकि वहां से डनीपर नदी के पार वाले यूक्रेन नियंत्रित इलाकों पर हमला कर सके. यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि रूसी सैनिक संयंत्र को कवच की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि यूक्रेनी सेना यहां जवाबी गोलीबारी करने से हिचकिचाएगी.

परमाणु संयंत्र
परमाणु संयंत्रतस्वीर: Dmytro Smolyenko/Ukrinform/IMAGO

रूस ने इन आरोपों से इनकार किया है और उलटे यूक्रेनी सेना पर आरोप लगाया है कि वह प्लांट पर फायरिंग कर रही है. पिछले कुछ दिनों में प्लांट पर हुई फायरिंग की वजह से इसके बाहरी उपकरणों को नुकसान हुआ है लेकिन रिएक्टरों तक अभी गोलीबारी नहीं पहुंची है. रूसी अधिकारियों के मुताबिक विकिरण के रिसाव का कोई खतरा नहीं है. रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रविवार को प्लांट पर हुई यूक्रेन की गोलीबारी में यहां काफी धुआं फैल गया जिसके बाद इमर्जेंसी शटडाउन करना पड़ा और फिर दो रिएक्टरों से आउटपुट घटाया गया.

यूक्रेनी अधिकारियों ने इससे इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि रूसी सैनिक प्लांट में विस्फोटक लगा रहे हैं और इलाके में यूक्रेन पर जवाबी हमला करने की योजना है. उन्होंन  रूसी सेना पर प्लांट के कर्मचारियों को कवच की तरह इस्तेमाल करने और वहां गोलीबारी करने का भी आरोप लगाया.

यह भी पढ़ेंः आम लोग परेशान लेकिन तेल कंपनियां इतने मुनाफे में कैसे ?

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना कहना है कि रूसी गोलीबारी और संयंत्र में माइनिंग "न्यूक्लियर ब्लैकमेल" के बराबर है. जापोरिझिया के गवर्नर ओलेक्सांद्र स्तारुख का कहना है कि रिएक्टर तो कंक्रीट की मोटी गुंबदों के नीचे सुरक्षित है लेकिन वहां सुरक्षित तरीके से कामकाज रूसी सैनिकों की मौजूदगी के कारण असंभव है. 

लंदन के इंपीरियल कॉलेज में न्यूक्लियर एक्सपर्ट मार्क वेनमान का कहना है कि प्लांट के रिएक्टर इस तरह डिजाइन किये गये हैं कि "वे प्राकृतिक आपदाओं या फिर हवाई जहाज गिरने या रिएक्टर के दुर्घटना जैसे मानव जनित हादसों से सुरक्षित रह सकें."

अंतरराष्ट्रीय निगरानी की मांग

संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी आईएईए के प्रमुख रफायल मारियोना ग्रोसी ने पिछले हफ्ते कहा था कि संयंत्र के आसपास की स्थिति "पूरी तरह से नियंत्रण के बाहर है." ग्रोसी ने रूस और यूक्रेन से विशेषज्ञों को वहां जाने की इजाजत देने का अनुरोध किया था ताकि वहां स्थिति को संभाला और हादसे को टाला जा सके. ग्रोसी का कहना है कि "परमाणु सुरक्षा के हर सिद्धांत का वहां उल्लंघन किया गया है. जो दांव पर लगा है वह अत्यधिक गंभीर और भारी और खतरनाक है." ग्रोसी ने यह भी बताया कि प्लांट के उपकरणों और मरम्मत के सामानों की सप्लाई चेन बाधित हुई है और ऐसे में  "हमें नहीं पता कि संयंत्र की सारी जरूरतें पूरी हो रही हैं या नहीं."

यूक्रेन पर बरसते रूसी हथियारों में पश्चिमी पुर्जे कहां से आए

आईएईए के विशेषज्ञों के दौरे को लेकर भी यूक्रन और रूस में तनातनी है. रूस ने कहा है कि वह इस दौरे का स्वागत करेगा लेकिन यह साफ नहीं है कि वह इस दौरे की व्यवस्था करने में मदद करेगा या नहीं. उधर यूक्रेन ने रूस का नियंत्रण रहते विशेषज्ञों के दौरे का विरोध किया है. उसकी मांग है कि रूसी सेना पहले वहां से हट जाये.

हालांकि इस हफ्ते यूक्रेनी अधिकारी थोड़ा नरम पड़े हैं. यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र और आईएईए से आग्रह किया है कि वह इस जगह को असैन्य क्षेत्र बनाने में मदद करे और संयंत्र के कर्मचारियों के सुरक्षा की गारंटी ले. बुधवार को यूक्रेन ने संयंत्र के पास रूसी हमले में 13 आम लोगों के मारे जाने की बात कही. इस हमले में 11 लोगों के घायल होने की भी जानकारी दी गई है जिनमें पांच की हालत गंभीर है.

जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने संयंत्र के पास हमले के लिये रूस की आलोचना की है. उन्होंने मांग की है कि रूस संयंत्र का नियंत्रण यूक्रेन को तुरंत सौंप दे. जी-7 के विदेश मंत्रियों की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि संयंत्र को चला रहे यूक्रेनी कर्मचारी, "बिना किसी डर या दबाव के अपना काम कर सकें यह जरूरी है. संयंत्र पर रूस के नियंत्रण की वजह से यह इलाका खतरे में आ गया है."

एनआर/वीके (एएफपी, एपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी