ईरान पहुंचने के लिए जान, पैसे झोंक रहे अफगान
१४ मार्च २०२२अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान अब तालिबान के नियंत्रण में है, लेकिन देश आर्थिक और सामाजिक अराजकता से घिरा हुआ है. देश की जनता भूख और गरीबी से बेहाल है. इन्हीं हालात के चलते मजार-ए-शरीफ निवासी सत्तार अमीरी अपने छोटे बच्चे और पत्नी को लेकर ट्रक में सवार होकर रेगिस्तान के रास्ते ईरान के लिए रवाना हो गए हैं. उन्हें मंजिल मिलेगी या नहीं, यह कोई नहीं जानता. लेकिन अमीरी जैसे सैकड़ों अफगान अपना देश छोड़ने को मजबूर हैं. 25 साल के अमीरी कहते हैं, "मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. अफगानिस्तान में कोई भविष्य नहीं है."
रेगिस्तान की यह यात्रा घातक हो सकती है. वे रास्ता भटक सकते हैं या फिर ईरानी सीमा प्रहरियों द्वारा चलाई गई गोलियों से घायल भी हो सकते हैं. अमीरी जैसे परेशान अफगान अपनी जान जोखिम में डालने से नहीं डरते. दशकों के युद्ध के बाद अफगानिस्तान अब एक गहरी मानवीय त्रासदी की चपेट में है.
कई अफगान अब काम की तलाश में ईरान की ओर रुख कर रहे हैं और अपनी कमाई का कुछ हिस्सा अफगानिस्तान में अपने परिवारों को भेज रहे हैं. पूर्व सरकार और विदेशी एजेंसियों के साथ उनके रिश्ते के कारण कई अफगान तालिबान द्वारा निशाना बनाए जाने से भी डरते हैं. तालिबान की वापसी के साथ ही कई लोगों की नौकरी चली गई. वे बमुश्किल से दस डॉलर तक भी नहीं कमा पा रहे हैं.
बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी
तालिबान की वापसी के पहले तक सत्तार मोटर मैकेनिक का काम करते थे. उन्होंने हताश होकर अपना मजार-ए-शरीफ का घर बेच डाला और इस पैसे का इस्तेमाल ईरान जाने के लिए किया.
प्रवासन के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन का कहना है कि पिछले साल अगस्त से दिसंबर के बीच करीब दस लाख अफगान देश छोड़कर भाग गए हैं. ईरानी सीमा के पास दक्षिण-पश्चिमी अफगान शहर जारंज देश छोड़ने की कोशिश करने वालों का प्रमुख केंद्र बन गया है और यहां मानव तस्करी भी आम हो गई है.
नागरिकों के देश छोड़ने पर तालिबान की रोक
जारंज के जर्जर होटलों में देश छोड़ने वाले लोग कालीन पर सोते हैं और सीमा पार करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं. उनके चेहरों पर भय और हताशा साफ झलकती है. इस शहर में मानव तस्कर भी परेशान लोगों से पैसे वसूलने में लगे हैं.
किसी तरह से ईरान पहुंचने की कोशिश
पिछले महीने 300 ट्रक रोजाना ईरान में प्रवेश कर रहे थे, जिनमें से हर एक में 20 अफगान नागरिक थे. इस तरह से हर रोज 6,000 लोग ईरान की ओर पलायन कर रहे थे. पूर्व पुलिसकर्मी मोहम्मद भी ईरान पहुंचने की कोशिश में जुटे हुए हैं. सर्विस रिवॉल्वर लौटने की मांग पर तालिबान उनकी दो बार पिटाई कर चुका है, जो उन्होंने पहले ही लौटा दी थी. मोहम्मद कहते हैं, "अगर वे तीसरी बार आते हैं, तो वे सच में मुझे मार डालेंगे." मोहम्मद डर की वजह से अपना पूरा नाम नहीं बताना चाहते.
ईरान तक यात्रा में भी कई घंटे लग जाते हैं. ईरानी सीमा पर एक दीवार खड़ी कर दी गई है, लेकिन मानव तस्करों को पता है कि ईरानी गार्डों को रिश्वत देकर अफगान शरणार्थियों को ईरानी शहर में ले जाना कहां संभव है. लेकिन कई ऐसे तस्कर भी हैं जो धोखा देकर पैसे वसूल लेते हैं और अफगानों को अधर में छोड़कर फरार हो जाते हैं.
एए/सीके (एएफपी)