फ्रांस में शारीरिक संबंधों के लिए सहमति की उम्र 15 साल होगी
११ फ़रवरी २०२१बलात्कार और यौन शोषण के बहुत सारे मामलों को देखते हुए सरकार पर दबाव था कि इस बारे में कदम उठाए जाएं. अब सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र 15 साल किए जाने के सरकार के कदम का बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है. लेकिन उनका कहना है कि यौन शोषण की बुराई को रोकने के लिए अभी फ्रांस के समाज को बहुत कुछ करना होगा.
फ्रांस के मौजूदा कानून में एक वयस्क और 15 साल से कम उम्र के व्यक्ति के बीच शारीरिक संबंधों की इजाजत नहीं है. लेकिन कानून इस बात को भी स्वीकारता है कि 15 साल के कम उम्र का व्यक्ति शारीरिक संबंधों के लिए सहमति देने में सक्षम है. ऐसे मामलों में व्यस्क व्यक्ति पर बलात्कार के नहीं, बल्कि यौन हमले का मुकदमा चलता है और दोषी साबित होने पर उसे कम सजा मिलती है. हाल में ऐसे कई मामले देखने को मिले जब आरोपियों पर बलात्कार का मुकदमा नहीं चला. इन आरोपियों में एक मशहूर मॉडलिंग एजेंट, एक पादरी, एक सर्जन और दमकल कर्मियों का एक समूह शामिल था.
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अब और नहीं
बच्चों के साथ ऐसे बर्ताव को फ्रांस के न्याय मंत्री ने "असहनीय" बताया. न्याय मंत्री एरिक दुपौं मोरेत्ती ने कहा, "सरकार उन बदलावों को तेजी से लागू करने के लिए दृढ़ संकल्प है, जो हमारा समाज चाहता है.. एक व्यस्क द्वारा 15 साल से कम उम्र के नाबालिग पर सेक्सुअल पेनेट्रेशन का मामला बलात्कार माना जाएगा." उन्होंने कहा कि यौन हिंसा में लिप्त लोग अपने ऊपर लगे आरोपों को यह कहकर हल्का नहीं कर पाएंगे कि सहमति से सब कुछ हुआ था. हालांकि किशोर उम्र के लोगों के बीच शारीरिक संबंधों को अपवाद माना जाएगा.
इस बादलाव को कानूनी रूप दिया जाना अभी बाकी है, लेकिन सरकार की तरफ से इस बारे में घोषणा उन लोगों के लिए बड़ा कदम है जो बरसों से बलात्कार और अन्य यौन हिंसा के शिकार बच्चों के संरक्षण के लिए मुहिम चला रहा थे.
फातिमा बेनोमार बच्चों के साथ यौन हिंसा करने वाले लोगों के प्रति सख्त नियम बनाने की वकालत करने वाली संस्था ले एफ्रोंटिस से जुड़ी हैं. वह कहती हैं, "आखिरकार ऐसा हुआ. यह अच्छी बात है कि इससे फिर बहस शुरू हो गई है. अब शारीरिक संबंधों के लिए सहमति की कम से कम उम्र की बात चल रही है.. इससे हम व्यस्क और जिम्मेदार बनेंगे."
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परिवार में यौन शोषण
फ्रांस में शारीरिक संबंधों के लिए सहमति की उम्र को लेकर कोशिश तीन साल पहले तब शुरू हुई, जब वैश्विक #MeToo आंदोलन कानूनी अड़चनों में फंस कर नाकाम हो गया. लेकिन इस आंदोलन को पिछले महीने उस समय रफ्तार मिली जब देश के एक पूर्व विदेश मंत्री बैर्नार्ड कुशनर की बेटी ने बताया कि कैसे उसके सौतेले पिता ओलिवर डुमैल ने 1980 के दशक में उसके जुड़वा भाई का यौन का शोषण किया था. डुमैल फ्रांस के एक जाने माने राजनीतिक पर्यवेक्षक हैं. डुमैल ने कहा कि उन्हें "निजी हमलों का निशाना" बनाया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कई पेशेवर पदों से इस्तीफा दे दिया. इनमें एक टीवी चैनल के पर्यवेक्षक और राष्ट्रीय राजनीति शास्त्र प्रतिष्ठान के प्रमुख का पद भी शामिल है.
डुमैल पर लगे आरोपों के बाद बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने परिवारों में होने वाले यौन उत्पीड़न के बारे में बताना शुरू कर दिया. इससे ठीक #MeToo जैसा अभियान शुरू हो गया. इसके बाद राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कानून में बदलाव करने का फैसला किया ताकि बाल यौन शोषण के पीड़ितों को बेहतर संरक्षण दिया जा सके.
माक्रों ने अपने एक वीडियो संदेश में कहा कि ऐसे मामलों में शर्मिंदगी पीड़ित को नहीं बल्कि ऐसे अपराध को अंजाम देने वालों को उठानी होगी. उन्होंने इस बात का भी स्वागत किया कि फ्रांस में लोग अपने बुरे अनुभवों को इस तरह खुल कर बयान कर रहे हैं.
एके/आईबी (एएफपी, एपी)
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