अखबार में खाते हैं खाना, तो हो जाइए सावधान
२ अक्टूबर २०२३भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने पूरे भारत में उपभोक्ताओं और खाद्य विक्रेताओं से आग्रह किया कि वे खाने की चीजों की पैकिंग, परोसने और भंडारण के लिए अखबारों का इस्तेमाल तुरंत बंद कर दें. एफएसएसएआई का कहना है कि अखबारों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं.
एफएसएसएआई के मुख्य कार्याधिकारी जी कमलावर्धन राव ने भोजन को लपेटने या पैकेजिंग करने के लिए अखबारों के इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की और और इस चलन से जुड़े महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में भी बताया.
सड़क किनारे खाना और नाश्ता बेचने वाले अक्सर अखबार के पन्नों का इस्तेमाल इसे परोसने के लिए करते हैं. इसके अलावा रोटी या पराठे को लपेटकर इसे पैक करने के लिए भी अखबार का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है.
अखबार में खाना लपेटना हानिकारक
एफएसएसएआई के मुताबिक प्रिंटिंग स्याही में "विभिन्न बायोएक्टिव सामग्रियां" होती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं. राव ने कहा, "समाचार पत्रों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में ज्ञात नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों वाले विभिन्न बायोएक्टिव मैटेरियल होते हैं, जो भोजन को दूषित कर सकते हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं."
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि स्याही में सीसा और भारी धातुओं जैसे रसायन हो सकते हैं जो परोसे गए या अखबार में लपेटे गए भोजन के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.
एफएसएसएआई ने चेतावनी दी, "इसके अलावा, वितरण के दौरान अखबारों को अक्सर विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे वे बैक्टीरिया, वायरस या अन्य रोगजनकों द्वारा संदूषित हो सकते हैं, जो भोजन में ट्रांसफर हो सकते हैं और संभावित रूप से खाद्य जनित बीमारियों का कारण बन सकते हैं."
बीमारियों का कारण बन सकते हैं अखबार
एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) नियम, 2018 को अधिसूचित किया है जो भोजन के स्टोरेज और लपेटने के लिए अखबार या इसी तरह की सामग्री के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लगाता है.
इस नियम के मुताबिक उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को खाद्य वस्तुओं को ढकने या परोसने के लिए अखबार के पन्नों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. यही नहीं नियम कहता है कि समोसा या पकौड़े जैसे तले हुए खाद्य पदार्थों से अतिरिक्त तेल सोखने के लिए अखबारों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
लेकिन पूरे देश में लाखों स्ट्रीट फूड वेंडर्स इस नियम की धज्जियां उड़ाते दिख जाएंगे.
एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर दिन अखबारों की 22 करोड़ कॉपियां प्रिंट होती हैं. इनमें से लाखों कॉपियां खाना, चाट, पकौड़े, रोटी और स्नैक्स परोसने या पैक करने में इस्तेमाल होती हैं.
एफएसएसएआई का कहना है कि गरम पराठे, समोसे, कचौड़ी और पकौड़े जैसी चीजें अखबार पर रखने से उसकी स्याही लग जाती है और खाने के साथ ही शरीर में चली जाती है, जिससे इंसान को कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.