जर्मनी: कृषि सब्सिडी में कटौती करेगी सरकार, किसान नाराज
१९ दिसम्बर २०२३जर्मनी में किसान कृषि क्षेत्र से जुड़ी कुछ सब्सिडी खत्म करने की सरकार की योजना का विरोध कर रहे हैं. 18 दिसंबर को राजधानी बर्लिन में सैकड़ों किसान विरोध जताने पहुंचे. उन्होंने ट्रैक्टर से परेड भी निकाली.
बीते दिनों जर्मनी की गठबंधन सरकार ने 2024 के बजट की घोषणा की. लंबी बातचीत के बाद गठबंधन सरकार के तीनों दलों- जर्मन सोशल डेमोक्रैट (एसपीडी), ग्रीन पार्टी और फ्री डेमोक्रैट (एफडीपी) में बजट पर सहमति बनी. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने एलान किया, "सरकार अपने लक्ष्यों पर कायम रहेगी, लेकिन हमें कम पैसों के साथ ये करना होगा, जिसका मतलब है कटौती और बचत."
बजट में मितव्ययिता और बचत का लक्ष्य
कटौती के तहत सरकार किसानों को मिलने वाली सब्सिडी में सालाना करीब 90 करोड़ यूरो की बचत करना चाहती है. इसके लिए कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले डीजल पर दिया जाने वाला आंशिक टैक्स रीफंड और कृषि गाड़ियों पर टैक्स में छूट खत्म करने की योजना है.
किसानों का कहना है कि इससे उनका रोजगार प्रभावित होगा. किसानों के मुताबिक, इस कदम से ना केवल उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, बल्कि जर्मनी के कृषि क्षेत्र की प्रतिद्वंद्विता को भी खतरा पहुंचने का जोखिम है.
ऐसे में जर्मन फार्मर्स असोसिएशन समेत कई किसान लॉबियां सब्सि़डी में कटौती का विरोध कर रही हैं. उन्होंने चेतावनी दी है कि इन उपायों से कृषि क्षेत्र को बड़ी चोट पहुंचेगी. साथ ही, रोजगार के मौके भी कम होंगे और खाने-पीने की चीजों में महंगाई बढ़ेगी. किसान संगठनों ने पिछले हफ्ते ही प्रस्तावित कटौती का विरोध करने की बात कही थी. इसी क्रम में कई किसान बर्लिन में विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए, जिसके कारण शहर में कई जगहों पर यातायात प्रभावित हुआ.
किसान संगठनों ने कहा है कि अगर प्रस्तावित उपाय लागू किए जाते हैं, तो देशभर में और भी विरोध प्रदर्शन होंगे. जर्मन फार्मर्स असोसिएशन के अध्यक्ष जोआषिम रुकवीड ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "ऐसी स्थिति में हम लोग 8 जनवरी से हर कहीं मौजूद रहेंगे, इस तरह जैसा कि इस देश ने पहले कभी अनुभव नहीं किया होगा. हम इसे मंजूर नहीं करेंगे."
राजनैतिक पार्टियों में भी असहमति
इस कटौती के कारण ना केवल गठबंधन सरकार के भीतर अवरोध खड़ा हो सकता है, बल्कि ग्रीन पार्टी में भी इस पर असहमतियां हैं. ग्रीन पार्टी के नेता और कृषि मंत्री चेम ओजडेमिर खुद किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुए. उन्होंने कहा, "मेरे बस में जो कुछ भी है, मैं वो सब करूंगा, ताकि ये इस तरह ना हो."
किसानों का कहना है कि प्रस्तावित कटौती से उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. राइनलैंड क्षेत्र की किसान यूल बोनसेल्स के मुताबिक, इसके कारण सालाना करीब 20,000 यूरो का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है. वह कहती हैं, "निजी तौर पर मैं इसे बिल्कुल अस्वीकार्य मानती हूं."
इसी तरह एरविन डेकर जर्मनी के ब्लैक फॉरेस्ट इलाके में किसान हैं. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कटौती को लागू करने से देशभर में परिवारों द्वारा चलाए जाने वाले फार्मों को काम बंद करना पड़ेगा. डेकर कहते हैं, "हम क्या करें? जमीन है. इससे पैदावार लेनी होगी. अगर ये जंगल में तब्दील हो जाए, तो किसी को कुछ नहीं मिलेगा."
पर्यावरण संगठन सब्सिडी हटाने के पक्ष में
प्रस्तावित कटौती का एक मकसद जलवायु से भी जुड़ा है. पिछले साल जर्मनी के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कृषि क्षेत्र की भागीदारी सात फीसदी से ज्यादा रही. पर्यावरण संगठनों का कहना है कि बढ़ती खाद्य कीमतों और जारी रहने वाली सब्सिडियों की मदद से किसान कटौती से होने वाले आर्थिक नुकसान का सामना कर सकते हैं.
ग्रीनपीस में कृषि मामलों के विशेषज्ञ मार्टिन हॉफश्टेटर ने कहा, "सरकार द्वारा कृषि कार्यों में लगने वाले डीजल को सस्ता करना, जलवायु के लिए महंगा और नुकसानदेह साबित होता है. इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए."
एसएम/वीएस (रॉयटर्स)