भांग की बिक्री वैध बनाने की राह पर चला जर्मनी
१४ जून २०२२जर्मनी का स्वास्थ्य मंत्रालय भांग के तमाम पहलुओं पर विशेषज्ञों की राय लेने के लिए एक्सपर्ट हियरिंग करवा रहा है. इसी महीने ऐसी पांच दौर की सुनवाई पूरी की जाएगी. जर्मनी में नार्कोटिक ड्रग्स के संघीय कमिश्नर बुर्कहार्ड ब्लीनेर्ट ने बताया कि सुनवाई में इस विषय के 200 से भी ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे, जिनमें मेडिकल एक्सपर्ट्स, कानूनी जानकार, अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ और हर स्तर के सरकारी अधिकारी शामिल हैं. ब्लीनेर्ट ने इसे "सुखद पल" बताते हुए कहा कि वह कई सालों से जर्मनी में भांग का इस्तेमाल करने वाले लोगों को अपराध के दायरे से बाहर लाने और इसे लेकर एक आधुनिक, सेहत को केंद्र में रखने वाली नीति बनाने की ओर काम करते आए हैं.
पिछले दिसंबर में बनी नई जर्मन सरकार ने गठबंधन बनाने के लिए चल रही बातचीत के दौरान ही इस पर सहमति बना ली थी. एसपीडी, ग्रीन और एफडीपी के गठबंधन वाली सरकार कैनेबिस या भांग को सीमित मात्रा में बेचे जाने के पक्ष में थी और उसकी बिक्री को वैध करने के लिए कानून बनाने पर राजी हो गई थी. इसे केवल लाइसेंसधारी दुकानों में वयस्कों को ही बेचे जाने की योजना है. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की गठबंधन सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एक तो गांजे की क्वालिटी का ख्याल रखा जाए और दूसरे युवा लोग भी सुरक्षित रहें. सभी सत्ताधारी दलों में इसे लकेर भी सहमति बनी थी कि चार साल के बाद कानून के सामाजिक प्रभावों को परखा जाएगा.
इस साल मई में नए स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लाउटरबाख ने कहा था कि एक्सपर्ट्स की राय सुनने के बाद वह इसी साल कानून का प्रस्ताव पेश करेंगे. एक्सपर्ट्स की कुल पांच बार सुनवाई आयोजित होनी है. मकसद है ऐसे कदमों को शामिल करना जिससे युवा लोग, उनकी सेहत, ग्राहक सब सुरक्षित रहें.
आंकड़े दिखाते हैं कि 2021 में पूरे यूरोप में 15 से 64 की उम्र वाले लगभग तीस प्रतिशत लोगों ने किसी ना किसी अवैध ड्रग का इस्तेमाल किया है. इनमें पुरुषों की संख्या महिलाओं से कहीं ज्यादा है और सबसे ज्यादा लोगों ने कैनाबिस की ही किसी रूप में खपत की. पूरे ईयू साल 2020 में करीब 5,800 लोगों की ड्रग ओवरडोज के कारण मौत हुई.
कैनेबिस के किसी भी रूप में इस्तेमाल को लेकर जर्मन समाज हमेशा से बंटा दिखा है. लेकिन सच्चाई यह है कि इसी अवैध ड्रग की जर्मनी में सबसे ज्यादा खपत भी होती है. जर्मनी में 2017 में मेडिकल इस्तेमाल के लिए भांग के इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई थी. सालों चली लंबी बहस के बाद इसका रास्ता खुला था कि कैंसर पीड़ितों को कीमोथेरेपी के बाद होने वाली कुछ परेशानियों में राहत देने के लिए दवा के रूप में इसे दिया जा सके. भूख ना लगने, वजन गिरते जाने और ट्यूमर की समस्या से जूझते मरीजों में भी दवा के रूप में इसका इस्तेमाल फायदेमंद पाया गया. मल्टीपल स्केलेरोसिस के लक्षणों को कम करने में भी भांग असरदार साबित हुई.
एक सीमित मात्रा में इसका पौधा उगाने की अनुमति है, लेकिन अपने पास रखने पर रोक है. ज्यादा मात्रा में किसी के पास पकड़े जाने पर सजा भी हो सकती है. फिर भी 12 से लेकर 25 साल तक की उम्र वाले युवाओं में साल दर साल इसे आजमाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती गई है. 2020 के आंकड़े दिखाते हैं कि जर्मनी में 40 लाख से अधिक लोग आमतौर पर भांग लेते हैं. जर्मनी की कुल आबादी सवा आठ करोड़ है.
जर्मन सरकार कुछ दूसरे मामलों में भी ढील देने की ओर बढ़ रही है जैसे जर्मनी की दण्ड संहिता से डॉक्टरों पर से वह प्रतिबंध हटाना जिसके चलते मेडिकल प्रैक्टिशनर गर्भपात की सेवाओं का "प्रचार" नहीं कर सकते. इसके अलावा शॉल्त्स की सरकार जर्मन नागरिकता लेने का रास्ता भी आसान बनाना चाहती है. साथ ही और कई देशों से आए लोगों के दोहरी नागरिकता रखने का रास्ता भी खोलना चाहती है. राष्ट्रीय और यूरोप के स्तर पर होने वाले चुनावों में मतदाता की न्यूनतम आयु 18 से घटा कर 16 करने की भी योजना है.
लैंगिक बराबरी के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए जर्मन सरकार अपने यहां 40 साल पुराने उस कानून को रद्द करना चाहती है जिसमें ट्रांससेक्शुअल लोगों को अपना लिंग परिवर्तन करवाने से पहले अनिवार्य मनोवैज्ञानिक आकलन और उसके पक्ष में अदालत का फैसला हासिल करना पड़ता है. इस प्रक्रिया में बहुत ही निजी सवाल पूछे जाते हैं जिससे ज्यादातर लोग अपमानित महसूस करते हैं. इस कानून को हटा कर उसकी जगह नया "सेल्फ-डिटरमिनेशन लॉ" लाया जाएगा.
आरपी/एके (एपी, डीपीए)