चीन में निवेश गारंटी सीमित करेगा जर्मनी
२३ नवम्बर २०२२जर्मनी चीन के साथ कारोबार कर रही कंपनियों की गारंटी को सीमित करेगा जिससे कि आने वाले महीनों और सालों में चीन पर निर्भरता घटाई जा सके. जर्मनी में आर्थिक मामलों के मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने यह जानकारी दी है.
रूस के साथ चीन के रिश्तों और मानवाधिकार की स्थिति को लेकर चिंता के बीच जर्मनी चीन के साथ अपने आर्थिक रिश्तों का मूल्यांकन कर रहा है.
पेरिस में एक न्यूज कांफ्रेंस के दौरान हाबेक ने कहा कि निवेश सहयोग कार्यक्रम में पूरी तरह बदलाव किए जाएगे ताकि "विविधता लाने के लिए प्रोत्साहन" तैयार किया जा सके. नीति बनाने वाले एक कोटा लागू करेंगे, "ताकि सारी जर्मन गारंटी सिर्फ एक देश पर ही लक्षित ना हो, यानी चीन." हाबेक के ऐसा कहते वक्त उनके बगल में फ्रेंच वित्त मंत्री ब्रूनो ली मायर भी खड़े थे.
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अलगाव तो संभव नहीं
हाबेक का कहना है "खास देश में निवेश की एक ऊपरी सीमा होगी." उन्होंने यह भी बताया कि तीन अरब यूरो की सीमा पर चर्चा हो रही है. हाबेक के मुताबिक, "इसके ऊपर किसी देश में कंपनियां निश्चित रूप से निवेश कर सकती हैं लेकिन करदाताओं के पैसे से उसकी गारंटी नहीं दी जाएगी.
जर्मन साप्ताहिक श्पीगल ने सरकारी दस्तावेजों के हवाले से पिछले हफ्ते रिपोर्ट दी थी कि गारंटी से पहले "गहराई से" जांच भी की जाएगी और इसमें पर्यावरण और सामाजिक मानकों का ध्यान रखा जाएगा. मई में जर्मनी ने फॉल्क्सवागेन को चीन में गारंटी देने से मना कर दिया. इसके पीछे शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन को कारण बताया गया. कार कंपनी फॉल्क्सवागेन का प्लांट इसी इलाके में है.
जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक का कहना है कि जर्मनी, "चीन से बिल्कुल अलग नहीं हो सकता और ना ही वह पूरी तरह चीनी बाजार के बगैर कुछ कर सकता है." हालांकि उनका कहना है कि जर्मनी के पास चीन के अलावा दुनिया के दूसरे देशों में ज्यादा निवेश गारंटी देने की क्षमता है.
जर्मनी के भीतर अहम बुनियादी ढांचे में चीन के निवेश को लेकर आशंकाएं उमड़ रही हैं.
संभलकर हिस्सेदारी
हाबेक का कहना है, "हम इन इलाकों (अहम बुनियादी ढांचे) में चीनी कंपनियों के निवेश को लगातार मना कर रहे हैं." चीनी खरीदारों को संवेदनशील इलाकों में हिस्सेदारी लेने से रोक कर जर्मनी, "उन्हीं अधिकारों का इस्तेमाल कर रहा है जो चीन खुद भी करता है." इसी महीने की शुरुआत में जर्मनी ने दो चिप बनाने वाली कंपनियों को चीनी निवेशकों को बेचने से मना कर दिया. इसके पीछे सुरक्षा पर खतरे को कारण बताया गया.
प्रमुख तकनीकी क्षेत्र लगातार चीन के साथ टकराव की वजह बन रहा है क्योंकि जर्मनी और उसके यूरोपीय सहयोगी एशिया पर अपनी निर्भरता घटाने के साथ घरेलू उद्योग को बढ़ाना चाहते हैं. हालांकि जर्मनी ने हैम्बर्ग पोर्ट टर्मिनल में चीनी कंपनी कॉस्को को हिस्सेदारी खरीदने दी जबकि सरकार के अंदर इसे लेकर काफी विरोध था.
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने छह मंत्रालयों के इस सौदे पर वीटो करने के बाद भी इसकी मंजूरी दे दी, हालांकि हिस्सेदारी को थोड़ा घटा दिया गया. जर्मन चांसलर ने इसी महीने अपने बीजिंग दौरे से पहले चीन के साथ रिश्तों में "व्यावहारिकता" लाने की भी दलील दी. शॉल्त्स का कहना है कि जर्मनी किसी प्रमुख बाजार से बाहर नहीं होगा लेकिन वह "एकतरफा निर्भरता को घटाने" पर काम करेगा.
एनआर/वीके (एएफपी)